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जस्टिन ट्रूडो को मिला अपनों से दगा, सत्ता गई तो भारत पर क्या असर होगा?

कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो का राजनीतिक भविष्य अधर में लटका हुआ है। डिप्टी पीएम क्रिस्टिया फ्रीलैंड के इस्तीफे देने के बाद ट्रूडो की पार्टी को बड़ा झटका लगा है।

Justin Trudeau Political career is in danger

कनाडा के पीएम जस्टिन ट्रूडो, Image Credit: PTI

कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रहीं। एक तरफ क्रिस्टिया फ्रीलैंड ने सोमवार को उपमुख्यमंत्री और वित्त मंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया तो दूसरी ओर ट्रूडो अपनी ही पार्टी में घिर गए हैं। उनकी गद्दी अब खतरे में है।

 

ढाई महीने से अल्पमत की सरकार चला रहे ट्रूडो की लिबरल पार्टी के ही 13 सांसद अब बागी हो गए हैं। अब सांसद ट्रूडो के इस्तीफे पर अड़े हुए हैं। 338 सदस्यों वाले हाउस ऑफ कॉमंस में ट्रूडो के पास 153 सांसदों का ही समर्थन है। वहीं, विपक्ष के पास 185 सांसद हैं। 

 

ट्रूडो को लगे एक साथ 2 झटके

सोमवार को जब डिप्टी पीएम क्रिस्टिया फ्रीलेंड ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने यह कदम ट्रूडो की नीतियों के विरोध में उठाया। ट्रूडो  को दूसरा झटका गुरुवार को लगा जब उनकी ही पार्टी के 13 सांसद उनके इस्तीफे की मांग करने लगे। ट्रूडो की सबसे बड़ी अग्नि परीक्षा फरवरी में आम बजट के दौरान देखने को मिलेगी। जानकारों का मानना है कि जनवरी तक ट्रूडो की सरकार गिरना तय है। कनाडा में अगले साल अक्तूबर में चुनाव कराए जाएंगे। 

 

ऐसे में सवाल खड़ा होता है कि अगर कनाडा में सत्ता बदली तो इससे भारत पर क्या असर होगा?

 

  • अगर विपक्षी कंजरवेटिव पार्टी की सरकार बन गई तो वीजा नीति में बदलाव के आसार हैं। बता दें कि ट्रूडो सरकार की ओर से वर्तमान में भारत के प्रति अपनाई जा रही वीजी नीति सख्त है। कंजरवेटिव पार्टी के आने से वीजा में निश्चित रूप से ढिलाई होगी। 
  • ऐसा माना जाता है कि कनाडा में लिबरल पार्टी हमेशा से भारत के खिलाफ नकारात्मक रहती है। ट्रूडो ने अपनी सरकार को बचाने के लिए खालिस्तान समर्थकों को पनाह दी है। कनाडा में हिंदुओं के विरोध में कई नारे लगाए गए है। ऐसे में कंजरवेटिव पार्टी के नेता पिएरे पोलिवरे ने इसके खिलाफ आवाज उठाई थी। उन्होंने कई बार ऐसे नारों पर आपत्ति जताई और खालिस्तानी समर्थकों के कृत्य की कठोर शब्दों में निंदा भी की। 
  • भारतीयों के लिए कनाडा फेवरेट डेस्टिनेशन हमेशा से रहा है। 10 लाख भारतीयों के पास कनाडाई नागरिकता है। 4 साल में भारतीयों की संख्या में कमी आई लेकिन अगर कंजरवेटिव पार्टी सत्ता में आती है तो इसकी संख्या बढ़ेगी। 
  • वर्तमान में भारत और कनाडा के बीच राजनायिक संबंध अपने सबसे निचले स्तर पर हैं। ऐसे में संभावना जताई जा रही है कनाडा में सत्ता परिवर्तन के बाद संबंध बहाली में तेजी आएगी। 

कई विपक्षी दलों ने ट्रूडो से की इस्तीफे की मांग

डिप्टी पीएम क्रिस्टिया फ्रीलैंड के इस्तीफे के बाद अब ट्रूडो के सहयोगी रहे कनाडा की एनडीपी पार्टी के नेता जगमीत सिंह ने भी प्रधानमंत्री से इस्तीफ मांगा है। एक्स पर पोस्ट कर जगमीत सिंह ने कहा, 'आज मैं ट्रूडो से इस्तीफे की मांग करता हूं। अब उन्हें जाना होगा। इस समय कनाडा के लोग महंगाई से परेशान हैं। लोगों को अपनी बजट के हिसाब से घर तक नहीं मिल रहे हैं। ट्रंप ने 25 फीसदी टैरिफ लगाने की बात की है। इस सब के बीच लिबरल पार्टी कनाडा के लोगों के लिए लड़ने के बजाय आपस में लड़ रही है।'

 

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