ढाई साल से ज्यादा समय से जारी रूस-यूक्रेन युद्ध समय के साथ-साथ अलग मोड़ लेता जा रहा है। अब यूक्रेन ने यूरोपीय देशों को रूस से की जाने वाली गैस सप्लाई को बंद कर दिया है। यह गैस की सप्लाई की यह पाइपलाइन यूक्रेन से होकर ही गुजरती है। रिपोर्ट के मुताबिक, रूस और यूक्रेन के बीच पांच साल पुराना समझौता अब खत्म हो गया है और दोनों ही पक्ष इस समय इसको लेकर कोई बातचीत करने के मूड में नहीं है जिसके चलते यूक्रेन ने ऐसा कदम उठाया है। इसको लेकर यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की का कहना है कि अपने लोगों के खून की कीमत पर अरबों रुपये कमाने की अनुमति नहीं दी जाएगी।
दरअसल, साल 1991 से ही रूस इन यूरोपीय देशों को गैस की सप्लाई करता आ रहा है। इसके लिए वह यूक्रेन की पाइपलाइन का इस्तेमाल करता रहा है। अब इस सप्लाई के बंद होने से यूरोपीय देश बुरी तरह प्रभावित होंगे। हालांकि, रूस के पास विकल्प है कि वह हंगरी, सर्बिया और तुर्की से होकर गुजरने वाली टर्कस्ट्रीम पाइपलाइन के जरिए गैस की सप्लाई करता रहे। बता दें कि यूक्रेन से गुजरने वाली इस गैस के लिए यूक्रेन को हर साल 1 बिलियन डॉलर की कमाई ट्रांजिट फीस के रूप में होती थी। वहीं, गैस की सप्लाई करने वाली रूसी कंपनी गैजप्रॉम को यूक्रेन के इस फैसले की वजह से 5 बिलियन डॉलर का नुकसान होगा।
किस पर होगा असर?
पहले से ही लगभग तय हो चुके इस कदम के बारे में यूरोपियन कमीशन का कहना है, 'हम इस पर पहले से ही काम कर रहे हैं कि गैस सप्लाई बंद होने से जिन देशों पर असर पड़ेगा, उन्हें पहले से ही इसके लिए तैयार किया जा सके।' इस फैसले सबसे ज्यादा प्रभावित होने वाले देश मोल्डोवा, ऑस्ट्रिया और स्लोवाकिया हैं। 2023 तक के आंकड़ों के मुताबिक, स्लोवाकिया को एक साल में 3.2 बिलियन क्यूबिक मीटर, ऑस्ट्रिया को 5.7 बिलियन क्यूबिक मीटर और मोल्डोवा को 2 बिलियन क्यूबिक मीटर गैस हर साल मिल रही थी।
अब ऑस्ट्रिया का तो कहना है कि वह इस फैसले के लिए पहले से तैयार है लेकिन बाकी देशों की राय ऐसी नहीं है। अब स्लोवाकिया ने धमकी दी है कि वह यूक्रेन को दी जाने वाली बिजली रोक देगा। वहीं, मोल्डोवा ने ऊर्जा की कमी होते देख पहले ही 60 दिन की इमजरेंसी घोषित कर दी है। इस फैसले को यूक्रेन की सरकार के एक मंत्री ने ऐतिहासिक बताते हुए कहा, 'रूस को अब वित्तीय नुकसान होगा। यूरोप ने पहले ही फैसला कर लिया है कि वह रूस की गैस का इस्तेमाल नहीं करेगा।'