अमेरिका के लॉस एंजिलेस में लगी भीषण आग से अब तक 24 लोगों की मौत हो चुकी है। आग पर काबू पाने के लिए कई विमान लगातार गुलाबी रंग के एक तरल पदार्थ का इस्तेमाल कर रही है। जंगल की आग तेजी से रिहाइशी इलाकों में फैल रही है। बता दें कि इस आग से अरबों डॉलर की संपत्ति का नुकसान हो चुका है।
भयंकर आग पर काबू पाने के लिए फायर फाइटर्स लगातार कोशिश कर रही हैं लेकिन अभी भी इससे कोई राहत नहीं मिल रहा है। ऐसे में लॉस एंजिलेस की आग को शांत करने के लिए पिंक लिक्विड का इस्तेमाल भारी मात्रा में किया जा रहा है। आइये समझते है कि यह पिंक लिक्विड क्या है और क्या यह सच में आग को बुझाने में कामगर साबित हो रहा है?
क्या है पिंक लिक्विड?
लॉस एंजेलिस में हवाई जहाज के माध्यम से आग पर गुलाबी यानी पिंक लिक्विड गिराया जा रहा है। यह एक ऐसा पदार्थ है जो आग लगने या जलने की प्रक्रिया को कम करती है। यह लिक्विड पानी, केमिकल और उर्वरकों का एक मिश्रण होता है जो एक तरीके से अमोनियम फॉस्फेट का घोल होता है। अमोनियम फॉस्फेट पानी की तरह आसानी से भाप बनकर उड़ता नहीं है बल्कि बहुत लंबे समय तक सतह पर मौजूद रहता है। इससे सतह पर लगी आग को ऑक्सीजन की सप्लाई नहीं हो पाती है और आग की लपटें धीमी हो जाती हैं। इस तरह से यह तरल पदार्थ आग को फैलने से रोकता है।

गुलाबी रंग ही क्यों होता है इस्तेमाल?
आग बुझाने के लिए पिंक कलर का ही इस्तेमाल क्यों होता है? इसका जवाब है कि दमकल कर्मियों को इससे आसानी से पता चल जाता है कि कहां इसका इस्तेमाल हो चुका है। इसके अलावा यह रंग क्षेत्र को भी साफ दिखाता है जिससे लोगों को पता चलता है कि कौन से इलाके आग से प्रभावित हैं।

लोगों के लिए चिंता क्यों बन रहा यह तरीका?
आग पर काबू पाने की इस तकनीक की आलोचना की जा रही है। दरअसल, इस केमिकल का इंसानों और पर्यावरण पर बहुत अधिक असर पड़ेगा जो अब चिंता का विषय बनता जा रहा है। पर्यावरण विशेषज्ञों का मानना है कि इस पिंक लिक्विड के अधिक छिड़काव से नदियां अधिक प्रदूषित हो सकती हैं।
लॉस एंजिल्स टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, यूनिवर्सिटी ऑफ सदर्न कैलिफोर्निया (यूएससी) के शोधकर्ताओं ने 2024 में एक रिसर्च किया जिसमें पाया गया कि इन जहरीली धातुओं में क्रोमियम और कैडमियम शामिल हैं जो मनुष्यों में कैंसर और किडनी और लीवर की बीमारियों का कारण बन सकते हैं। हालांकि, पर्यावरण पर उनका प्रतिकूल प्रभाव अधिक चिंता का विषय है।