सीरिया की बहुसंख्यक आबादी को उनका नया नायक मिल गया है। हयात तहरीर अल-शाम के चीफ अबू मोहम्मद अल-जोलानी ने बशर अल असद की सत्ता उखाड़ फेंकी है। उन्होंने ऐलान किया है कि अब सीरिया की नई सत्ता व्यवस्था इस्लामिक होगी, जिसमें अल्पसंख्यक हितों का भी ख्याल रखा जाएगा। सीरिया की बहुसंख्यक आबादी सुन्नी मुसलमानों की है।
बशर अल असद का परिवार 5 दशक से सत्ता में काबिज था। साल 2000 में असद ने सत्ता संभाली और 2011 आते-आते उनकी तानाशाही के खिलाफ आंदोलन भड़कने लगे। उन्होंने इस्लामिक स्टेट के विद्रोह को तो कुचल दिया था लेकिन हयात तहरीर अल-शम (HTS) के लड़ाकों ने आखिर सत्ता हथिया ही ली।
इस विद्रोह का सबसे बड़ा चेहरा रहा अबू मोहम्मद अल-जोलानी। आखिर कौन है यह शख्स जिसने बशर अल असद की सत्ता को उखाड़ फेंका, आइए जानते हैं।
कौन है अबू मोहम्मद अल-जोलानी?
अबू मोहम्मद अल-जोलानी की उम्र महज 42 साल है। वह हयात तहरीर अल शाम का मुखिया है। यह संगठन साल 2011 तक जबहत अल-नुसरा के तौर पर जाना जाता था। इस संगठन के अलकायदा से संबंध थे। खुद से आतंकी संगठन का ठप्पा हटाने के लिए अलकायदा के साथ इसने अपनी राहें अलग कर ली थीं। इस संगठन में कई कुख्यात चेहरे थे लेकिन नाम नया था। साल 2016 में हयात तहरीर अल-शाम का उदय हुआ। साल 2017 में अन्य संगठनों के साथ शामिल होने के बाद जबहत फतेह अल शाम से बदलकर इसका नाम हयात तहरीर अल-शाम हो गया।
अबू मोहम्मद अल-जोलानी ने खुद को विद्रोहियों को सबसे बड़ा नेता बना लिया है। जोलानी सऊदी अरब में पैदा हुआ था। उसके मां-बाप दमिश्क आ गए। सीरिया आने से पहले उसके मां-बाप गोलन हाइट्स में रहते थे, यह इजरायल और सीरिया के बीच में पड़ता था। साल 1967 में अरब-इजरायल के बीच जंग के बाद बहुत कुछ बदल गया। इजरायल का अब इस हिस्से पर 70 फीसदी कब्जा है।
कम उम्र में ही जोलानी यह समझ गया था कि सीरिया संघर्षों की जमीन है। साल 2000 में फिलिस्तीन में इजरायली कब्जे को लेकर विद्रोह हुआ, तब जोलानी की उम्र 17 से 18 साल थी। उसने एक इंटरव्यू में कहा था कि मैं सोचना लगा था कि अगर कोई मेरे वतन में घुसपैठ करता है तो कैसे मैं अपना कर्तव्य निभाऊं और उनके खिलाफ एक्शन लूं। उसने बशर अल असद को ही विद्रोही माना और अब सत्ता उखाड़ फेंकी।
जब साल 2003 में अमेरिका ने इराक में अपनी फौजें भेजी थीं, जोलानी वहां से भागकर बगदाद गया था। वह इस्लामिक जिहादी बन गया। वह विद्रोहियों के साथ जाकर मिल गया था और देखते ही देखते संगठन में उसकी पकड़ मजबूत होती गई। साल 2013 में अमेरिका के गृह विभाग ने वैश्विक आंतकी घोषित किया है।
सीरिया पर सोचता क्या है जोलानी?
अबू मोहम्मद अल-जोलानी का मानना है सीरिया में लोगों के बीच कोई विवाद ही नहीं है। विवाद सत्ता से था, जिसे उसने उखाड़ फेंका है। साल 2021 में एक इंटरव्यू में उसने ये बातें कही भी थीं। उसका मानना है कि सीरिया पर रूस और ईरान जैसे देशों की नजरें हैं जो इसके प्राकृति संसाधनों पर कब्जा चाहते हैं। वे इस इलाके में अपने दबदबे के लिए बना रहना चाहते हैं।
रूस सोवियत संघ वाली मानसिकता से बाहर नहीं आ पा रहा है। उनकी महत्वाकांक्षाओं की वजह से सीरिया के लोग जंग में पिस रहे हैं।
जोलानी मानता है कि सीरिया की क्रांति का असर दुनिया पर होगा। वह बशर अल असद को अपराधी बताता है। जोलानी की विचारधारा सुन्नी इस्लाम की है, वह इसी विचारधारा पर अपनी सरकार चलाएगा। जोलामी मानता है कि वह 40 लाख आबादी का नायक है जो सीरिया को असद के उत्पीड़न से बचाकर निकला है। वह सैन्य वर्दी में अब नजर आ रहा है।