5 अगस्त 2024। यही वह तारीख थी जब बांग्लादेश में शेख हसीना को बांग्लादेश से जान बचाकर भागना पड़ा था। भीड़ प्रधानमंत्री आवास की ओर तेजी से बढ़ रही थी और उन्हें आनन-फानन में अपना देश छोड़ देना पड़ा था। तब से लेकर अब तक, बांग्लादेश में हिंदू उत्पीड़न की कई खबरें सामने आईं। इन खबरों को जिस एक शख्स ने सबसे मजबूती से उठाया, उनका नाम चिन्मय प्रभु है। वह बांग्लादेश में 1 करोड़ से ज्यादा हिंदुओं की मजबूत आवाज बन गए हैं।
मोहम्मद यूनुस की पुलिस उन्हें गिरफ्तार कर चुकी है। उनकी गिरफ्तारी के बाद से ही पूरे बांग्लादेश में हिंदू संगठन विरोध जता रहे हैं। भारत में भी रह रहे संत समाज ने उनकी गिरफ्तारी को लेकर आक्रोश जाहिर किया है और कहा है कि केंद्र सरकार को बांग्लादेश पर उनकी रिहाई का दबाव बनाना चाहिए।
कौन हैं चिन्मय कृष्ण प्रभु?
चिन्मय प्रभु, बांग्लादेश में हिंदुओं की सबसे मुखर आवाज हैं। वे इस्कॉन मंदिर के मुख्य पुजारी हैं। ढाका पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार किया है। हिंदुओं के उत्पीड़न के खिलाफ वे शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे थे लेकिन पुलिस ने उन्हें रोक लिया। चिन्मय कृष्ण दास प्रभु ब्रह्मचारी हैं और वे पुंडरीक धाम के पीठाधीश्वर हैं। बांग्लादेश सम्मिलित सनातन जागरण जोत के प्रवक्ता भी हैं।
कैसे अल्पसंख्यों के नेता बन गए चिन्मय प्रभु?
चिन्मय प्रभु पर देश द्रोह के आरोप हैं। उन पर आरोप लगाए हैं कि उन्होंने बांग्लादेश की ध्वज का अपमान किया है। चिन्मय प्रभु, लगातार अल्पसंख्यकों हितों की बात करते रहे हैं। कई इंटरव्यू में वह कह चुके हैं कि हिंदू मंदिरों को तोड़ा जा रहा है, हिंदू घरों को निशाना बनाया जा रहा है, हिंदुओं को उत्पीड़ित किया जा रहा है। बांग्लादेश में यूनुस सरकार इन्हें रोकने में फेल रही है।
ढाका में उनकी गिरफ्तारी के विरोध में हिंदू समाज के लोग प्रदर्शन कर रहे हैं। शाहबाग इलाके में भीड़ को रोकने के लिए जगह-जगह बैरिकेडिंग की गई है। इस्कॉन के सदस्य भी सड़कों पर उतरकर उनकी गिरफ्तारी का विरोध कर रहे हैं। चिन्मय प्रभु के लिए सोशल मीडिया पर इंसाफ मांगा जा रहा है। लोग उन्हें हिंदुओं का रक्षक बता रहे हैं, लोगों का कहना है कि उनकी वैश्विक ख्याति है, उनकी आवाज दुनिया सुन रही है, इसलिए ही उन्हें सलाखों के पीछे भेजा गया है।
चिन्मय प्रभु पर क्या है विदेश मंत्रालय का रिएक्शन?
विदेश मंत्रालय ने अपने आधिकारिक बयान में कहा है, 'बांग्लादेश सम्मिलित सनातन जागरण जोत के प्रवक्ता चिन्मय दास को गिरफ्तार किया गया, उन्हें जमानत भी नहीं दी गई है, यह चिंताजनक है। बांग्लादेश में हिंदू और अन्य धार्मिक अल्पसंख्यकों पर हमले हो रहे हैं।'
विदेश मंत्रालय की ओर से कहा गया, 'कई दस्तावेजों में कहा गया है कि अल्पसंख्यकों की दुकानों और घरों को लूटा गया है, तोड़फोड़ की गई है। हमलावर घूम रहे हैं, वहीं अपने हक मांगने वाले लोगों को जेल में भेजा जा रहा है। उनकी गिरफ्तारी पर शांतिपूर्ण आंदोलन कर रहे लोगों को गिरफ्तार किया जा रहा है। बांग्लादेश के अधिकारियों से अपील है कि हिंदू और अन्य अल्पसंख्यकों के हकों की हिफाजत करें, उन्हें बोलने और खड़े होने की आजादी दें।'
भारत में क्या चाह रहे हैं लोग?
भारतीय संत जग्गी वसुदेस उर्फ सदगुरु ने कहा, 'यह बेहद अपमानजनक है। एक लोकतांत्रिक देश, निरंकुश होता जा रहा है। सरकार का कर्तव्य हर नागरिक की हिफाजत होनी चाहिए लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है। धार्मिक आधार पर उत्पीड़न करना, किसी देश की जन सांख्यिकी को बदल देना अलोतांत्रिक है। अपने लोकतांत्रिक मूल्यों से वह भटक गया है।'
भारतीय जनता पार्टी के सांसद सुकांत मजूमदार ने कहा है कि चिन्मय कृष्ण प्रभु की गिरफ्तारी के केस में एस जयशंकर को दखल देना चाहिए, इस पर तत्काल हस्तक्षेप की जरूरत है।