पाकिस्तानी मंत्रियों को आईना दिखाने वाली पत्रकार यालदा हकीम कौन हैं?
पाकिस्तानी के सूचना मंत्री अताउल्लाह तरार और रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ के इंटरव्यू लेने वाली पत्रकार यालदा हकीम इन दिनों खूब चर्चा में हैं।

यालदा हकीम, Photo Credit: Yalda hakim Instagram
'मैं स्पष्ट कर देता हूँ कि पाकिस्तान में एक भी आतंकी शिविर नहीं हैं। पाकिस्तान खुद आतंकवाद का पीड़ित है। हम अपने पश्चिमी भाग में बॉर्डर पर आतंकवादियों से ही लड़ रहे हैं। हमने आतंकवाद के खिलाफ इस लड़ाई में 90 हज़ार लोगों को खोया है। वहीं इसी साल जब जाफर एक्सप्रेस हाइजैक हुआ था, तो भारत ने उसकी निंदा तक नहीं की थी। भारत खुद ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका और कनाडा में सिखों को मरवाकर आतंकवाद को बढ़ावा दे रहा है। हमारे देश में कूलभूषण जाधव नाम का एक जासूस तक रख रखा था।'
स्काई न्यूज़ को दिए गए एक इंटरव्यू में यह बात पाकिस्तान के सूचना मंत्री अताउल्लाह तरार ने कही। इस पर स्काई न्यूज़ की पत्रकार यालदा हाकिम ने जिस तरह से पलटवार किया, उसके बाद से वह लगातार सोशल मीडिया पर छाई हुई हैं। यालदा ने पाकिस्तान को कबूल करवाया कि उसका इतिहास आतंकी संगठनों को फंड करना, उन्हें समर्थन देना और अपने जरूरत के हिसाब से इस्तेमाल करने का रहा है। तो आज बात यालदा हकीम की।
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पहले इस इंटरव्यू की बची कहानी को निपटा लेते हैं। भारत द्वारा आतंकियों के 9 ठिकानों पर एयरस्ट्राइक के बाद पाकिस्तान के सूचना मंत्री अताउल्लाह तरार ने यालदा को एक इंटरव्यू दिया। जब उन्होंने कहा कि पाकिस्तान में एक भी आतंकी शिविर नहीं है, तो यालदा ने सूचना मंत्री को रोकते हुए कहा। उन्होंने कहा, 'एक हफ्ते पहले मेरे ही कार्यक्रम में ही आपके देश के रक्षा मंत्री ख़्वाजा आसिफ ने स्वीकार किया था कि दशकों से पाकिस्तान में ये पॉलिसी है कि वह आतंकवादियों को फंड, समर्थन और उनका इस्तेमाल भी करते हैं। 2018 में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भी मिलिटरी एड यह कहते हुए कट कर दिया था कि पाकिस्तान डबल गेम खेल रहा है। एक तरफ हमसे पैसे ले रहा है और दूसरी तरफ आतंकियों को समर्थन दे रहा है। इसलिए जब आप यह बात हमसे कह रहे हैं कि आपके देश में आतंकी संगठन नहीं हैं, तो आप उसके खिलाफ बोल रहे हैं जो पूर्व में परवेज मुशर्रफ, बेनजीर भुट्टो और कुछ दिनों पहले ख़्वाजा आसिफ ने कहा था। कुछ दिनों पहले यही बात बिलावल भुट्टो ने भी मुझसे कही।'
“There are no terrorist camps in Pakistan” says Pakistan’s Information Minister Attaullah Tatar.
— Yalda Hakim (@SkyYaldaHakim) May 7, 2025
I spoke to him as India fired missiles into Pakistani-controlled territory in several locations early Wednesday. India says it is targeting “terrorist infrastructure”. pic.twitter.com/3ZOEww5dkK
इस सवाल से अताउल्लाह तरार थोड़े खीझ गए और कहा कि 9/11 हमलों के बाद हम फ्रंटलाइन स्टेट हैं, जो आतंकियों के खिलाफ लड़ रहा है। उन्होंने आगे कहा, 'आप कभी पाकिस्तान आकर देखिए।' जवाब में यालदा ने कहा कि मैं पाकिस्तान जा चुकी हूं और यह भी पता है कि ओसामा बिन लादेन को भी एबटाबाद में पाकिस्तान ने ही शरण दिया था।
पाकिस्तानी रक्षामंत्री ने भी स्वीकारी थी बात
यालदा के ही एक इंटरव्यू में पाकिस्तान के रक्षामंत्री ख़्वाजा आसिफ ने कहा था कि अमेरिका के लिए यह गंदा काम वह तीन दशक से करते आ रहे हैं। ब्रिटेन सहित पश्चिमी देशों के लिए भी। आसिफ ने आगे यह भी कहा था, 'वह हमारी गलती थी, जिसका हम ख़ामियाज़ा भी भुगत रहे हैं।' यालदा के इन दो इंटरव्यूज़ ने पाकिस्तान के पूरे प्रोपगैंडा पर पानी फेर दिया कि भारत ने हमला किसी आतंकी शिविर पर नहीं, बल्कि सिविलियंस पर किया है।
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कौन हैं यालदा हकीम?
यालदा हकीम अफगानी मूल की ऑस्ट्रेलियाई नागरिक हैं। यालदा खुद एक वॉर विक्टिम हैं। 26 जून 1983 को काबुल में जन्मी यालदा हकीम जब सिर्फ 6 महीने की थीं, तभी सोवियत अफ़गान वॉर के दौरान उनके परिवार को देश छोड़कर भागना पड़ा था। सोवियत अफगान वॉर सोवियत यूनियन और अफगान आर्मी के खिलाफ इस्लामिक मिलिटेंट ग्रुप अफगान मुजाहिदीन की लड़ाई थी। वह सोवियत और कम्युनिस्ट समर्थित डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ अफगानिस्तान को खत्म करना चाहते थे। इस वॉर में अफगान मुजाहिदीन को पाकिस्तान और अमेरिका सहित पश्चिमी देशों का भी समर्थन और फंडिंग मिला था। जिसके बारे में ख़्वाजा आसिफ ने यालदा को इंटरव्यू में कहा कि वह यह गंदा काम अमेरिका और पश्चिमी देशों के लिए करते आ रहे हैं।
यालदा बता चुकी हैं कि उनके पिता को उस जंग के दौरान फोर्सफुली अफगान आर्मी में रिक्रूट किया जा सकता था, जिसके डर से उनका परिवार पाकिस्तान चला गया। पाकिस्तान के एक कैंप में वह अगले तीन साल रिफ्यूजी की तरह रहीं। 1986 में उनका परिवार ऑस्ट्रेलिया के सिडनी शहर में शिफ्ट हो गया। जब यालदा के पिता के एक आर्किटेक्ट दोस्त और उनकी जर्नलिस्ट पत्नी ने उन्हें वहां आकर बसने का न्योता दिया।
इसके बाद यालदा के अंदर भी पत्रकारिता का जुनून सवार होने लगा। सिडनी के मैकले कॉलेज से पत्रकारिता की पढ़ाई पूरी करने के बाद ऑस्ट्रेलियाई चैनल डेटलाइन से जुड़ीं। डेटलाइन में रिपोर्टर बनने के बाद यालदा अपनी पहली रिपोर्ट करने के लिए काबूल ही आई थीं, जहां उनका जन्म हुआ था। इसके बाद डेटलाइन में अलग-अलग देशों के लिए रिपोर्टिंग करने के बाद यालदा 2012 में बीबीसी वर्ल्ड से जुड़ीं। बीबीसी के साथ एक दशक से भी ज़्यादा लंबे सफ़र के बाद 2023 में वह स्काई न्यूज़ से जुड़ीं, जहां लीड वर्ल्ड न्यूज़ प्रेजेंटर के तौर पर वह काम कर रही हैं।
यालदा हकीम फाउंडेशन नाम से अपना एक एनजीओ भी चलाती हैं, जो अफगानिस्तान की महिलाओं की शिक्षा और अन्य तरह के विकास के लिए काम करता है।
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