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एडोल्फ हिटलर: एक कलाकार कैसे बन गया सबसे क्रूर तानाशाह?

दुनिया के सबसे कुख्यात लोगों का अगर नाम लिया जाए और उसमें हिटलर का नाम न आए, ऐसा हो नहीं सकता है। जर्मनी के तानाशाह हिटलर की सनक ने लाखों लोगों की जान ली।

Adolf Hitler

दुनिया का सबसे कुख्यात तानाशाह था एडोल्फ हिटलर. (फोटो क्रेडिट: USHMM, courtesy of Estelle Bechoefer)

एडोल्फ हिटलर। दुनिया का सबसे क्रूर तानाशाह। नाजी पार्टी का नेता, जिसने अपनी विचारधारा को इतना कुख्यात बना दिया कि लोग आज भी किसी को क्रूर बताते हैं तो उसकी तुलना हिटलर से कहते हैं। किसी की विचारधारा पसंद नहीं आती तो उसे नाजी बताते हैं। मौत की एक शताब्दी के बाद भी अगर लोग उसे भूल नहीं पा रहे हैं तो यही उसकी कमाई है। कुख्यात कमाई।

हिटलर, दुनिया के सबसे क्रूर तानाशाहों में से एक था। जर्मन सेना में एक सिपाही से लेकर तानाशाह तक का सफर उसने जिस तरह से तय किया है, वह चौंकाने वाला है। विश्वयुद्ध 1 के बाद हिटलर ने अपने देश में पैदा हुई परिस्थितियों के सहारे खुद को ताकतवर बना लिया। आर्थिक चुनौतियां, देश में फैले आक्रोश और वाइमर गणराज्य के पराक्रम के भरोसे हिटलर ने खुद को देश का सबसे बड़ा नायक साबित कर लिया था।

हिटलर के साम्राज्य की शुरुआत कैसे हुई? आखिर कौन सी परिस्थितियां ऐसी थीं, जिनके चलते हिटलर को ऐसा बनना पड़ा। आइए जान लेते हैं कहानी, इतिहास के सबसे क्रूर तानाशाह की जिसने यहूदी महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों पर ऐसा कहर ढाया, जिसकी गवाही पोलैंड के कंसंट्रेशन कैंप देते हैं।

बचपन में कैसा था हिटलर?
एडोल्फ हिटलर ऑस्ट्रिया के एक छोटे से कस्बे ब्रौनौ एम इन में पैदा हुआ था। यह कस्बा ऑस्ट्रिया-जर्मन बॉर्डर के पास है। हिटलर के पिता एलोइस एक कस्टम अधिकारी थे, वहीं उनकी मां क्लारा एक किसान परिवार से आती थीं। एलोइस एक गुस्सैल शख्स था, जिसका असर हिटलर पर बुरा पड़ा। हिटलर बचपन से ही बेहद मुखर था। उसे लोग पसंद करते थे। उसे न मनोविज्ञान पसंद था न ही इतिहास, उसने 16 साल की उम्र में स्कूल छोड़ दिया था। 

तानाशाह नहीं, कलाकार होता हिटलर
हिटलर का मन कला में रमता था। उसके पिता को यह जरा भी नहीं पसंद था। साल 1903 में हिटलर के पिता की मौत हुई तो उसने एक बार फिर कलाकारी की दुनिया में अपनी किस्मत आजमानी चाही। उसने 1907 में वियाना एकेडमी में फाइन आर्ट की पढ़ाई करनी चाही लेकिन वह पढ़ नहीं सका। कुछ दिनों बाद हिटलर की मां की मौत हो गई। वह मां की मौत से टूट गया था। वह वियाना चला गया और अपनी दुनिया में रम गया। वह पेंटिंग करता था और अपनी धुन में मस्त रहता। यहीं से उसके मन में ख्याल आया कि एकजुट जर्मनी के लिए कुछ करने का वक्त आ गया है। 

चाहता क्या था हिटलर?
वह चाहता था कि ऑस्ट्रिया और जर्मनी का एकीकरण हो जाए।  वह वियाना के मेयर कार्ल लीगर की विचारधारा से बहुत प्रभावित था। हिटलर एक नस्लवादी शख्स था जो कई नस्लों से नफरत करता था। उसे ऑस्ट्रिया का बहुरंगी हब्सबर्ग साम्राज्य पसंद नहीं आता था। हिटलर 1913 में म्युनिख चला गया। हिटलर जर्मनी के प्रति वफादार रहना चाहता था। अगस्त 1914 में विश्वयुद्ध की शुरुआत हो चुकी थी। दुनिया ने ऐसी जंग कभी नहीं देखी थी। हिटलर सैनिक बन चुका था। उसे अपने मंसूबों को अंजाम देने का सही मौका मिल गया था।
 

क्या है हिटलर के मूंछ की कहानी?
फ्रांस और बेल्जियम में सेवाएं देते हुए उसने कई बार बहादुरी दिखाई। 1916 में हिटलर सोम्मे की जंग में घायल हो गया था। इलाज के दौरान हिटलर ने एक खास अंदाज में अपनी मूंछें कटवाई, जिसे आज भी लोग नहीं भूल पाए हैं। यही मूंछ हिटलर की पहचान बन गई। नवंबर 1918 में एक बार फिर हिटलर घायल हुआ। ब्रिटिश के गैस अटैक में गंभीर चोटें आईं। पेसवॉक में उसका इलाज चल रहा था, तभी जर्मनी ने जंग में सरेंडर कर दिया था। इसर हार ने जर्मनी की तकदीर बदल दी। जर्मनकी के हाईकमान ने हार का दोष किसी और मढ़ना चाहा। रिचस्टैग को ज्यादा ताकतें मिलीं लेकिन यहूदियों से मिली इस हार को हिटलर बर्दाश्त नहीं कर पाया। उसने तय किया कि अब वह राजनीति में जाएगा। 

यहूदियों से क्यों नफरत करता था हिटलर?
जून 1919 में वर्साय की संधि हुई। जर्मनी के सिर पर ही युद्ध का ठीकरा फोड़ दिया गया। जर्मनी को इस अपमानजक हार का बदला लेना था। वहां की जनता ये सोच भी नहीं पा रही थी लेकिन हिटलर के मन में यही कारण पनप रहा था। हिटलर का कहना था कि जर्मनी की हार की सबसे बड़ी वजह यहूदी और कम्युनिस्ट हैं। हिटलर कम्युनिस्टों और यहूदियों से इस हद तक नफरत करता था कि इसने इनके खिलाफ प्रोपेगेंडा वार शुरू कर दिया। हिटलर जर्मन वर्कर्स पार्टी का सदस्य बन गया। इस पार्टी का नाम बदलकर बाद में नाजी पार्टी कर दिया गया। हिटलर को यह पार्टी भा गई। यह हिटलर के चरमपंथी राष्ट्रवाद का उदय था, जिसके परिणाम इंसानियत के लिए घातक सिद्ध हो गए। 

हिटलर के लिए पागल क्यों हो गई थी जर्मनी की जनता?
हिटलर प्रभावी भाषण देता था। हिटलर के लोगों को उसकी बातें पसंद आती थीं। वह जो भी बोलता लोग उसे सच मान बैठते। यहूदियों और कम्युनिस्टों के खिलाफ वह आग उगलता था। म्युनिख में 6000 लोगों की भीड़ में जब उसने पहली बार भाषण दिया तो लोग मंत्रमुग्ध होकर उसे सुनते रहे। जिन इलाकों में यहूदी और वामपंथी लोग रहते थे, हिटलर ने उन्हीं इलाकों में स्वास्तिक के झंडे लगवाए। हिटलर की बढ़ती लोकप्रियता से नाजी पार्टी के फाउंडर एंटन ड्रेक्सलर खुद डर रहे थे। 

कैसे बढ़ा हिटलर का सियासी कद?
हिटलर को कमजोर करने की कोशिश में उन्होंने सोशलिस्ट समूहों के साथ समझौता कर लिया। यह तब हुआ, जब हिटलर बर्लिन में राष्ट्रवादी पार्टी के नेताओं से मुलाकात करने गया था। हिटलर इस मोर्चे पर बुरी तरह घिर गया। हिटलर ने इस्तीफा दिया और पार्टी में तब शामिल हुआ जब वह पार्टी का सर्वेसर्वा बन गया। यह वही दौर था जब जर्मनी में मंहगाई हद से ज्यादा बढ़ गई थी। वार्साय की संधि के बाद हिटलर को जुर्माने की राशि भी चुकानी पड़ी थी। खाने-पीने की कीमतें बेतहाशा बढ़ गई थीं। जितने में आज शो रूम खुल जाए, उतने में वहां एक टुकड़ा ब्रेड आता था। हिटलर ने ठान लिया था कि अब ऐसे हालात से देश को निकलाना है।

जब हिटलर को हो गई जेल
हिटलर ने क्रांति की अपील की। 8 नवंबर को बैवेरियन प्रधानमंत्री गुस्ताव कहर म्युनिख के बीर हाल में एक संबोधन देते हैं। हिटलर इसी ताक में था कि कैसे उन्हें काबू में कर लिया जाए। वे हिटलर के जाल में फंस जाते हैं। बंदूक की नोक पर उनसे समर्थन लिया जाता है। हिटलर के नेतृत्व में 3000 सैनिक गलियों में उतरते हैं। एक दंगा भड़कता है और 16 नाजी और 3 पुलिसकर्मी घायल हो जाते हैं। हिटलर को गद्दारी के आरोप में 5 साल कैद की सजा हो जाती है। 

हिटलर का पहला प्यार
हिटलर 9 महीने जेल में रहता है और इसी दौरान वह जेल में रहकर अपनी किताब मीन कांफ लिखता है। वह ऐसी राज्य की परिकल्पना करता है जिसमें नस्लीय सुधार हो, जहां मिलावट न हो और आर्यन लोग रहें। वह तानाशाही सरकार चाहता है। जुलाई 1925 में उसकी पहली किताब छपती है। इसी दौरान दुनिया में बहुत कुछ उलफेटर का दौर चल रहा था। 1928 में जर्मनी में जुनाव होते हैं, जहां नाजियों को सिर्फ 2।6 प्रतिशत वोट मिलते हैं। जर्मनी की खराब अर्थव्यस्था और खराब हो जाती है। लोगों के पास रोजगार नहीं होता है। अमेरिका का स्टॉक मार्केट लुढक जाता है। बेरोजगारी दर बढ़ जाती है। हिटलर की मुलाकात इसी वक्त 17 साल की एक लड़की एवा ब्रुआन से होती है। 

कैसे नाजियों को जोड़ ले गया हिटलर?
हिटलर नाजियों को इकट्ठा करता है। वह देश की सबसे बड़ी पार्टी बनाता है। 37 प्रतिशत लोग उसके साथ होते हैं। जुलाई 1932 के चुनाव में वह खुद को साबित कर देता है। जर्मनी के राष्ट्रपति वोन हिंडेनबर्ग, बढ़ते समर्थन की वजह से हिटलर को चांसलर का पद देने के लिए राजी हो जाते हैं। हिटलर अपने पद पर आता है और जनवरी तक वह खुद को जर्मनी का तानाशाह घोषित कर देता है। नाजियों को बेशुमार ताकत मिलताी है। हिटलर को अब भी सेना के मदद की जरूरत होती है। 

जर्मनी की सेना हिटलर समर्थक पैरामिलिट्री बलों से डरी हुई थी। हिटलर अपनी ताकतें बढ़ाता चला गया। 1933 में नाजियों ने यहूदियों, मुसलमानों और कम्युनिस्टों को महत्वपूर्ण पदों से दूर कर दिया। न्यूरेमबर्ग रैली में हिटलर ने यहूदियों की नागरिकता छीनने का ऐलान कर दिया और जर्मनों से उनके रिश्तों पर बैन लगा दिया। जो लोग भी यहूदियों से अपनी दो या तीन पीढ़ियों से जुड़े थे, जो भले ही क्रिश्चियन थे, उन पर पाबंदियां लगाई गईं। हिटलर सितंबर 1938 तक और क्रूर हो गया था।

यूरोप पर पूरा नियंत्रण चाहता था हिटलर
हिटलर ने यहूदियों पर अत्याचार करना शुरू किया लेकिन अब उसका एजेंडा साम्राज्य विस्तार का था। वह आसपास के देशों को हड़प जाना चाहता था। मार्च में हिटलर ने ऑस्ट्रिया में अपनी सेना भेज दी। ऑस्ट्रिया पर जर्मनी का कब्जा हो गया। उसने चेक्स्लोवाकिया पर कब्जा जमा लिया। फ्रांस और ब्रिटेन पर दबाव बढ़ता चला गया। हिटलर ने पोलैंड पर भी कब्जा जमा लिया, उसने स्टालिन के नेतृत्वा वाले रूस के साथ एक समझौता किया।


रूस और जर्मनी के बीच में नॉन एग्रेशन डील होती है। 1 सितंबर को हिटलर पोलैंड पर धावा बोल देता है। जर्मनी सेना पूरी तरह से तैयार नहीं थी लेकिन जर्मनी को पता था कि पोलैंड में न तो फ्रांस आएगा, न ब्रिटेन। वह ऑस्ट्रिया और चेकेस्लोवाकिया पर भी अत्याचार ही कर रहा था। उसे जरा भी इल्म नहीं था कि ब्रिटिश सेना उससे पंगा लेगी। 3 सितंबर को ही फ्रांस और ब्रिटेन ने जर्मनी के खिलाफ जंग का ऐलान कर दिया। 

कितने देशों के लिए काल बना हिटलर?

यह वही दौर था जब हिटलर अपने साम्राज्य विस्तार पर निकल पड़ा था। उसे पूरा युरोप और एशिया पर राज करना था। जर्मनी की सेना ने फ्रांस और ब्रिटेन को करारी शिकस्त दी। फ्रांस ने 17 जून को सरेंडर कर दिया। हिटलर ने हार का बदला ले लिया था। हिटलर ने फ्रांस को समझौता करने पर मजबूर किया। हिटलर की ताकतें बेशुमार तरीके से बढ़ती गईं। नाजी सोवियत समझौता में हिटलर ने कम्युनिस्टों के प्रति घृणा कम नहीं की। हिटलर को कभी स्टालिन पर भरोसा ही नहीं था। सोवियत यूनियन को बताए बिना हिटलर ने सोच लिया था कि वह पश्चिमी यूरोप पर कब्जा जमा लेगा। हिटलर को भरोसा था कि लाल सेना को कुछ महीनों में ही हराया जा सकता है। वह गलत साबित हुआ। उसने अमेरिका के खिलाफ भी जंग छेड़ दी। वह कई मोर्च पर अलग-अलग मजबूत देशों के साथ जंग लड़ने लगा। 

'मर जाओ लेकिन सरेंडर मत करो'
फरवरी 1943 में जर्मनी ने सोवियत संघ पर भी हमला किया। हिटलर अपने मुख्यालय में बैठकर अपनी सेनाओं को कूच का आदेश देता रहा। हिटलर को भरोसा था कि अगर सेना उसके इशारे पर चली तो सोवियत संघ को हरा दिया जाएगा। वह स्टालिनगार्द में गलत साबित हो गया। जर्मनी की सेना शहर पर अपना नियंत्रण खो चुकी थी। हिटलर ने साफ कह दिया था कि सरेंडर प्रतिबंध है, जंग लड़ो। हिटलर के कमांडर उसके आदेशों को नहीं मान रहे थे। हार की वजह से हिटलर की चौतरफा निंदा होने लगी। 

कैसे सबकुछ हारता गया हिटलर?
साल 1944 में हिटलर को कई झटके लगे। हिटलर को पश्चिमी जर्मनी में भी हार का सामना करना पड़ा। उसकी लड़ाकी प्रवृत्ति का खामियाजा जर्मनी की सेना भुगतती रही। पश्चिमी मोर्चे पर सेना हारती चली गई। मित्र देशों की सेना जब फ्रांस की जमीन पर पहुंचने लगी, हिटलर की हार तय मानी जानने लगी। हिटलर को फिर भी भरोसा था कि उसकी सेना, इस जंग में जीत कर रहेगी। उधर हिटलर ने ब्रिटेन के लंदन में भी घुसकर हमला बोल दिया। उसे लगा था कि वायुसेना के भरोसे ब्रिटेन को वह तबाह कर देगा लेकिन इसका उल्टा हो गया। 600 से ज्यादा लड़ाकू विमानों को हिटलर ने अकेले लंदन में गंवा दिया था। उसे वहां से वापस भागना पड़ा।

जर्मनी की सेनाएं हर मोर्चे पर हारती चली गईं। सोवियत संघ की सेना बर्लिन में हिटलर के बंकर तक घुस आई। हिटलर सब देख सकता था लेकिन अपनी हार नहीं। पकड़े जाने से कुछ घंटे पहले ही उसने खुदकुशी का प्लान तैयार कर लिया। 11 साल पहले, जिस इवा ब्रुआन से उसकी दोस्ती हुई थी, उसके साथ 29 अप्रैल को उसने शादी रचाई। अगले दिन दोपहर 3।30 मिनट के बाद उसने एक शीशे के ग्लास में साइनाइड भर लिया। उसने खुद को गोली मार ली। जिस शख्स ने लाखों लोगों को मार डाला, उसकी दर्दनाक मौत हुई। 

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