न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र (UN) की एक बैठक में भारत के स्थाई प्रतिनिधि पी हरीश ने दुनिया को बताया है कि आखिर भारत ने यह संधि क्यों तोड़ी। उन्होंने कहा है कि पाकिस्तान लगातार भारत के खिलाफ आतंकी गतिविधियों में संलिप्त है, भारत इस समझौते में अच्छी मंशा के साथ गया था लेकिन उनकी गतिविधियां, संधि तोड़ने के लिए बाध्य कर रही हैं। पी हरीश ने कहा, 'इस संधि को भारत और पाकिस्तान ने 65 साल पहले साइन किया था, जिसके तहत दोनों देशों के बीच सिंधु नदी और उसकी सहायक नदियों के पानी का बंटवारा हुआ। हमने इस संधि को अच्छे इरादे से लागू किया, लेकिन पाकिस्तान ने इसका उल्लंघन किया है।'
भारत का कहना है कि पाकिस्तान आतंकवाद को बढ़ावा देकर इस समझौते की भावना का उल्लंघन करता है। हाल ही में भारत ने कहा कि जब तक पाकिस्तान आतंकवाद बंद नहीं करता, यह संधि निलंबित रहेगी।पाकिस्तान का कहना है कि 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले में कोई भूमिका नहीं है। भारत चाहे तो वैश्विक स्तर पर इसकी जांच करा ले। पाकिस्तान समर्थित आतंकी संगठन द रेजिस्टेंस फ्रंट ने पहलगाम आतंकी हमले की जिम्मेदारी ली है।
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भारत ने गिनाई वजहें, क्यों निलंबित है संधि जल समझौता
पी हरीश ने UNSC में कहा, 'पाकिस्तान ने तीन युद्ध और हजारों आतंकी हमले किए, जिनमें 20,000 से ज्यादा भारतीयों की जान गई। हाल ही में पहलगाम में हुए आतंकी हमले का भी जिक्र किया गया। भारत का कहना है कि उसने बहुत धैर्य और उदारता दिखाई, लेकिन पाकिस्तान आतंकवाद को बढ़ावा देता रहा।'
पी हरीश ने कहा, 'पुराने बांधों की सुरक्षा और दक्षता बढ़ाने के लिए तकनीकी बदलाव की जरूरत है, लेकिन पाकिस्तान इसके लिए अनुमति नहीं दे रहा। 2012 में जम्मू-कश्मीर के तुलबुल नेविगेशन प्रोजेक्ट पर आतंकी हमला भी इसका उदाहरण है।'
पी हरीश ने कहा, 'भारत ने पिछले दो साल में पाकिस्तान से संधि में बदलाव पर चर्चा करने की कोशिश की, लेकिन पाकिस्तान ने इसमें रुकावट डाली। अब भारत ने ऐलान किया है कि जब तक पाकिस्तान आतंकवाद को पूरी तरह और विश्वसनीय रूप से बंद नहीं करता, तब तक यह संधि निलंबित रहेगी।'
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क्या चाहता है भारत?
भारत का कहना है कि असल में पाकिस्तान ही इस संधि का उल्लंघन कर रहा है। पाकिस्तान जब तक आतंकियों के खिलाफ ऐक्शन नहीं लेता है, भारत विरोधी गतिविधियों को रोकता नहीं है, तब तक संधि जल समझौते को जारी नहीं रखा जा सकता है। भारत ने कहा है कि आतंकवाद और बातचीत एक साथ नहीं हो सकती है। अब भारत, वैश्विक स्तर पर पाकिस्तान के खिलाफ दबाव बना रहा है।
सिंधु जल समझौता क्या है?
सिंधु जल समझौता 1960 में भारत और पाकिस्तान के बीच हुआ एक महत्वपूर्ण समझौता है, जिसे विश्व बैंक की मध्यस्थता में साइन किया गया था। इसके तहत सिंधु नदी और उसकी सहायक नदियों सतलुज, ब्यास, रावी, चिनाब, झेलम और सिंधु के पानी का बंटवारा किया गया। समझौते के अनुसार, भारत को पूर्वी नदियों जैसे सतलुज, ब्यास, रावी और पाकिस्तान को पश्चिमी नदियों जैसे सिंधु, झेलम, चिनाब के पानी के उपयोग का अधिकार मिला।
भारत अपनी नदियों का पूरा पानी इस्तेमाल कर सकता है, जबकि पश्चिमी नदियों पर सीमित उपयोग जैसे, खेती, बिजली उत्पादन की अनुमति है। यह समझौता दोनों देशों के बीच पानी के विवाद को सुलझाने के लिए बनाया गया, ताकि शांति बनी रहे। इसमें एक स्थाई आयोग भी है, जो नियमित बातचीत और विवादों को हल करता है।