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Iran-Israel War: खतरे के बावजूद ईरान में क्यों पढ़ रहे भारतीय छात्र?

इजरायल के साथ बढ़ते तनाव के बीच ईरान में पढ़ रहे भारतीय मेडिकल छात्र डरे हुए हैं। आखिर क्यों भारतीय छात्र मेडिकल की पढ़ाई के लिए यूक्रेन और ईरान जैसे देशों का रुख करते हैं?

why Indians choose to study medical in Iran

सांकेतिंक तस्वीर, Photo Credit: Chat GPT/Sora

तेहरान में आसमान नारंगी हो गया है और चारों तरफ धुएं का गुबार फैला हुआ है। इजरायल ने ऑपरेशन 'राइजिंग लॉयन' के तहत मिसाइलें दागनी शुरू कर दी हैं। हालात इतने खराब हो चुके हैं कि वहां मौजूद भारतीय छात्र, खासकर जो मेडिकल की पढ़ाई कर रहे हैं, डर के मारे सहमे हुए हैं। सभी यही दुआ कर रहे हैं कि भारत सरकार जल्दी से उन्हें वहां से सुरक्षित बाहर निकाल ले। वैसे यह पहली बार नहीं है जब भारत को अपने छात्रों को किसी युद्धग्रस्त देश से निकालना पड़ रहा है। इससे पहले 2022 में भी, जब रूस-यूक्रेन युद्ध शुरू हुआ था, तब भारत ने यूक्रेन में फंसे हजारों MBBS स्टूडेंट्स को वहां से सुरक्षित वापस लाया था। इससे एक बड़ा सवाल खड़ा होता है कि आखिर इतने सारे भारतीय मेडिकल की पढ़ाई के लिए विदेश क्यों जाते हैं?

 

पिछले शुक्रवार से जब इजरायल ने ईरान पर हमला किया है, तब से वहां पढ़ रहे हजारों भारतीय मेडिकल छात्र काफी डरे हुए हैं। जो छात्र अपने डॉक्टर बनने के सपने को पूरा करने के लिए ईरान गए थे, अब वे जंग के माहौल में फंस गए हैं। तेहरान की इस्लामिक आजाद यूनिवर्सिटी में एमबीबीएस के तीसरे साल की छात्रा फातिमा ख़ाखी ने इकोनॉमिक टाइम्स को बताया, 'हम डरे हुए हैं। नींद नहीं आ रही, हर वक्त टेंशन में रहते हैं। हमारे घरवाले भी परेशान हैं और हमें लेकर बहुत चिंता में हैं।'

 

 

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ईरान के इन कॉलेजों में कर रहे पढ़ाई

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, फिलहाल करीब 1,500 भारतीय छात्र ईरान के अलग-अलग मेडिकल कॉलेजों में पढ़ाई कर रहे हैं। इनमें तेहरान यूनिवर्सिटी ऑफ मेडिकल साइंसेज, शाहिद बेहेश्टी यूनिवर्सिटी, हमादान यूनिवर्सिटी, गोलेस्तान यूनिवर्सिटी, केरमान यूनिवर्सिटी जैसे कई संस्थान शामिल हैं। तेहरान यूनिवर्सिटी में पढ़ रहे एक भारतीय छात्र ने इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए कहा, 'हमें ठीक से समझ नहीं आ रहा कि हो क्या रहा है लेकिन पिछले चार दिन से हम सो नहीं पाए हैं। आज तो हमारे कॉलेज के पास ही बम गिरा। बहुत डर लग रहा है।'

 

शाहिद बेहेश्ती यूनिवर्सिटी में पढ़ने वाले एक और छात्र ने कहा, 'ऐसा लग रहा है जैसे हम किसी वॉर मूवी का हिस्सा हैं, फर्क बस इतना है कि यह रियल है। एक दिन तो हमें बहुत घबराहट हुई जब सुनने में आया कि ईरान की डिफेंस सिस्टम कमजोर हो गई है।' छात्रों की इन बातों से साफ है कि पढ़ाई छोड़कर अब उनकी सबसे बड़ी चिंता अपनी और अपने साथियों की सुरक्षा है।

 

भारतीय दूतावास क्या कर रही?

इस पर विदेश मंत्रालय ने कहा है कि कुछ छात्रों को ईरान में ही सुरक्षित जगहों पर शिफ्ट किया जा रहा है, जिसमें भारतीय दूतावास मदद कर रहा है। मंत्रालय ने यह भी कहा कि और भी रास्तों पर विचार किया जा रहा है ताकि छात्रों को सुरक्षित निकाला जा सके। सोमवार (16 जून) को कुछ खबरों में बताया गया कि भारतीय दूतावास ने अराक यूनिवर्सिटी ऑफ मेडिकल साइंसेज और शिराज यूनिवर्सिटी ऑफ मेडिकल साइंसेज को चिट्ठी भेजी है, जिसमें उनसे कहा गया है कि वह भारतीय छात्रों की निकासी में मदद करें।

 

दूतावास ने बताया कि निकासी की तैयारी कर ली गई है और छात्रों को यूनिवर्सिटी छोड़ने की इजाजत दी जा सकती है। साथ ही दूतावास ने यह भरोसा दिलाया है कि वह छात्रों की सुरक्षित वापसी और उनकी सुरक्षा की जिम्मेदारी ले रहा है। हालांकि, अभी तक यह साफ नहीं हो पाया है कि क्या ऐसे संदेश बाकी यूनिवर्सिटी को भी भेजे गए हैं या नहीं।

 

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एमबीबीएस के लिए ईरान क्यों चुनते हैं भारतीय छात्र?

आजकल बहुत से भारतीय स्टूडेंट, खासतौर पर जम्मू-कश्मीर से, MBBS की पढ़ाई के लिए ईरान जा रहे हैं लेकिन सवाल यह है कि ऐसा क्यों हो रहा है? विदेश मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, 2022 में करीब 2,050 भारतीय छात्र ईरान में पढ़ाई कर रहे थे। इनमें से ज्यादातर स्टूडेंट मेडिकल की पढ़ाई तेहरान यूनिवर्सिटी ऑफ मेडिकल साइंसेज, शाहिद बेहेश्ती यूनिवर्सिटी, और इस्लामिक आज़ाद यूनिवर्सिटी जैसे टॉप संस्थानों में कर रहे थे।

 

असल वजह है भारत में मेडिकल सीटों की भारी कमी और जबरदस्त कॉम्पिटिशन। हर साल NEET-UG एग्जाम में करीब 23 लाख छात्र बैठते हैं, जबकि पूरे देश में MBBS की सिर्फ 1.1 लाख सीटें हैं। इनमें भी सिर्फ करीब 55,000 सीटें सरकारी कॉलेजों में हैं, जिनकी फीस आम लोगों के बजट में होती है। बाकी की सीटें प्राइवेट कॉलेजों में होती हैं, जहां फीस इतनी ज्यादा है कि मिडिल क्लास फैमिली के लिए बहुत मुश्किल हो जाता है। अब ऐसे में जो छात्र डॉक्टर बनने का सपना देखते हैं, वो विदेश का रुख करते हैं और ईरान एक बेहतर ऑप्शन बनकर उभरा है।

 

ईरान को क्यों चुनते हैं?

वहां की ट्यूशन फीस कम है,  यूरोप या अमेरिका से कहीं सस्ती।

रहने का खर्च भी किफायती है  जिससे मिडिल क्लास परिवारों को राहत मिलती है।

कई यूनिवर्सिटी स्कॉलरशिप भी देती हैं।

5 साल का पूरा MBBS कोर्स मिलाकर कुल खर्च 14-15 लाख रुपये तक होता है, जबकि यही कोर्स बांग्लादेश में 40 लाख तक पहुंच जाता है।

इसके अलावा, ईरान के मेडिकल कॉलेजों में अच्छा इंफ्रास्ट्रक्चर है। मॉडर्न पढ़ाई का तरीका है और शुरुआत से ही क्लिनिकल एक्सपीरियंस मिल जाता है।

 

भारत की NMC ने दी मान्यता

सबसे बड़ी बात ईरान के मेडिकल कॉलेजों को भारत की नेशनल मेडिकल कमीशन (NMC) ने मान्यता दी हुई है। इसका मतलब, वहां से पढ़ाई करके लौटने के बाद, अगर आप FMGE (अब NEXT) पास कर लेते हैं, तो भारत में डॉक्टर बनकर प्रैक्टिस कर सकते हैं। साथ ही, कई ईरानी यूनिवर्सिटीज वर्ल्ड डायरेक्टरी ऑफ मेडिकल स्कूल्स में भी लिस्टेड हैं, जिससे उनकी इंटरनेशनल वैल्यू और बढ़ जाती है। तो कुल मिलाकर, ईरान भारतीय छात्रों के लिए एक ऐसा देश बन गया है जहां कम खर्च में अच्छी मेडिकल पढ़ाई मिल रही है और वह भी एक ऐसी डिग्री के साथ जिसे भारत में मान्यता भी मिलती है।

 

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ईरान ही एकमात्र ऑप्शन नहीं

भारतीय डॉक्टरों के लिए पढ़ाई के लिए ईरान ही एकमात्र रास्ता नहीं है। दरअसल, ईरान के अलावा भी कई और अच्छे ऑप्शन मौजूद हैं। जैसे कि यूक्रेन जो भारतीय मेडिकल छात्रों के बीच काफी पॉपुलर रहा है। साल 2022 में करीब 20,000 भारतीय छात्रों ने यूक्रेन के करीब 30 मेडिकल कॉलेजों में दाखिला लिया था।

यूक्रेन बीते 30 सालों से भारतीय छात्रों के लिए एक पसंदीदा देश रहा है, खासतौर पर मेडिकल, डेंटल और नर्सिंग की पढ़ाई के लिए। इसकी सबसे बड़ी वजह है  कम फीस और ठीक-ठाक क्वालिटी की पढ़ाई।

 

वहां एमबीबीएस का छह साल का कोर्स करने में लगभग 35,000 डॉलर (करीब 30 लाख रुपये) लगते हैं, जबकि भारत में यही कोर्स करने पर चार गुना ज्यादा खर्च आता है। एक और बात जो यूक्रेन को खास बनाती है, वह है वहां मेडिकल कॉलेज में एडमिशन के लिए भारत जैसी कठिन प्रवेश परीक्षाएं नहीं होतीं। इसके अलावा, यहां की डिग्री को वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन (WHO), यूरोपियन काउंसिल और कई इंटरनेशनल संस्थाएं मान्यता देती हैं। साथ ही, यूक्रेन में पढ़ाई पूरी करने के बाद यूरोप में बसने का मौका भी मिल सकता है।

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