जापान के प्रधानमंत्री शिगेरु इशिबा ने जापान के प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है। शिगेरु इशिबा की पार्टी विभाजन की कगार पर थी। लेफ्ट डेमोक्रेटिक पार्टी अल्पमत में थी, पार्टी में बिखराव को रोकने के लिए उन्होंने इस्तीफा दिया। उनकी सरकार जुलाई से ही अल्प मत में आ गई। शिगेरु इशिबा की सरकार ने हाउस ऑफ काउंसलर्स के चुनाव में हार गई थी। उन्होंने पहले ही इशारा कर दिया था कि वह अपने पद से इस्तीफा देंगे।
शिगेरु इशिबा के खिलाफ जापान में उनकी अपनी ही पार्टी में विरोध की आवाज उठने लगी। पार्टी ने जुलाई में हुए चुनाव में देश के ऊपरी सदम में बहुमत गंवा दिया था। वह प्रधानमंत्री पद पर बने थे। शिगेरु इशिबा अक्तूबर 2024 में ही प्रधानमंत्री बने थे। दक्षिणपंथी नेता, उनका इस्तीफा चाहते थे। वह जापान में बढ़ती महंगाई और आर्थिक अस्थिरता की वजह से भी सबके निशाने पर थे।
यह भी पढ़ें: फेसबुक के खिलाफ 'मार्क जकरबर्ग' का केस, पूरा मामला क्या है?
इस्तीफा क्यों देना पड़ा?
शिगेरु इशिबा ने रविवार को घोषणा की कि वह अपने पद से इस्तीफा दे रहे हैं। इस हार की वजह से उनकी सरकार घिर गई थी। उनकी पार्टी के नेताओं ने ही इस्तीफा मांगना शुरू कर दिया था। जुलाई 2025 में हुए संसदीय चुनाव में शिगेरु इशिबा की पार्टी और उनके गठबंधन ने संसद के दोनों सदनों में बहुमत खो दिया।
उन्हें इस्तीफा क्यों देना पड़ा, आइए समझते हैं-
- पार्टी में लगातार विरोध: इशिबा की पार्टी के कुछ दक्षिणपंथी नेता उनसे नाराज थे और चाहते थे कि वे हार की जिम्मेदारी लें। पिछले एक महीने से वे इस दबाव का सामना कर रहे थे।
- विभाजन के करीब थी पार्टी: एनएचके की एक रिपोर्ट में दावा किया गया था कि इशिबा ने इस्तीफा इसलिए दिया ताकि पार्टी में फूट न पड़े। वे पार्टी के बढ़ते दबाव को और नहीं झेल पाए।
- महंगाई और अर्थव्यवस्था पर घिरे: जापान में महंगाई बढ़ रही है, अर्थव्यवस्था अस्थिर है। महंगाई बढ़ रही है। जनता में सरकार के खिलाफ नाराजगी बढ़ रही थी। इस वजह से भी उनकी मुश्किलें बढ़ीं.
यह भी पढ़ें: ट्रंप, पुतिन या जिनपिंग; सबसे ट्रेन से ही क्यों मिलने जाते किम जोंग उन
अब क्या होगा?
- अगले प्रधानमंत्री का चुनाव: सोमवार को एलडीपी के सांसद और क्षेत्रीय नेता यह तय करेंगे कि पार्टी में आपातकालीन नेतृत्व चुनाव होगा या नहीं। अगर ऐसा हुआ तो नया नेता चुना जाएगा। तभी जापान को नया प्रधानमंत्री मिलेगा।
- पार्टी में बदलाव: पिछले हफ्ते, एलडीपी के चार बड़े नेताओं ने इस्तीफे की पेशकश की। हिरोशी मोरियामा ने इस्तीफा देने कादावा किया। पार्टी में कुछ बड़े बदलाव होने वाले हैं।
शिगेरु इशिबा की मुश्किलें क्यों बढ़ीं?
शिगेरु इशिबा अक्टूबर 2024 में प्रधानमंत्री बने थे। उनके कार्यकाल के दौरान उनकी पार्टी को कई बार चुनावी हार का सामना करना पड़ा। जुलाई 2025 का 248 सीटों वाले ऊपरी सदन में हारना पड़ा। 50 सीटों की जरूरत थी, 47 सीटें हीं आईं।
चुनाव उनकी सरकार के लिए बड़ा झटका साबित हुआ। इशिबा के गठबंधन के पास पहले 75 सीटें थीं। चुनाव में अगर 50 सीटें और मिल जातीं तो पार्टी की पकड़ कायम रहती।लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी के हिस्से सिर्फ 39 सीटें आईं। हार की वजह से सरकार कमजोर हो गई। पार्टी के भीतर ही इस्तीफे का दबाव बढ़ता गया।
जापान पर क्या असर होगा?
शिगेरु इशिबा के इस्तीफे बाद अब जापान में नई सियासी हलचल शुरू हो गई है। जापान में नया नेतृत्व चुना जाएगा। जापान को अब नए नेतृत्व की तलाश है।
नाम जो PM रेस में शामिल हैं
- शिंजिरो कोइजुमी, पूर्व पर्यावरण मंत्री
- सनाए ताकाइची, पूर्व आर्थिक सुरक्षा मंत्री
- ताकायुकी कोबायाशी, पूर्व आर्थिक सुरक्षा राज्य मंत्री
- योको कामिकावा, विदेश मंत्री
- तारो कोनो, डिजिटल परिवर्तन मंत्री
- तोशिमित्सु मोटेगी, एलडीपी महासचिव
- योशिमासा हयाशी, मुख्य कैबिनेट सचिव
- कात्सुनोबु कातो, वित्त मंत्री