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तुर्किये में टेंशन, ग्रीस में खुशी; भारत ने कौन सा दांव चला?

ग्रीस और भारत के बीच बढ़ती दोस्ती से पाकिस्तान का सहयोगी तुर्किये इन दिनों परेशान है। ग्रीस मीडिया की रिपोर्टों ने उसके होश उड़ा रखे हैं। जानते हैं पूरा मामला क्या है?

Greece-Turkiye News.

ग्रीस मीडिया रिपोर्ट से क्यों डरा तुर्किये? (AI Generated Image)

कश्मीर मुद्दे पर पाकिस्तान का साथ और ऑपरेशन सिंदूर के दौरान सैन्य मदद देने वाले तुर्किये में टेंशन वाला माहौल है। भारत ने साइप्रस, ग्रीस और आर्मेनिया के साथ सैन्य साझेदारी बढ़ाने पर फोकस किया है। हाल ही में पीएम मोदी की साइप्रस यात्रा और भारतीय वायुसेना प्रमुख अमरप्रीत सिंह के ग्रीस दौरे ने तुर्किये को चिंता में डाल दिया है। ग्रीस और तुर्किये के बीच बनती नहीं है। दोनों एक-दूसरे के कट्टर दुश्मन हैं। मगर अब ग्रीस के साथ भारत की नजदीकियों की चर्चा तुर्किये की मीडिया में खूब है। 

 

ग्रीस की मीडिया का कहना है कि भारत के साथ सहयोग से हिंद-प्रशांत महासागर क्षेत्र में देश की जियो-स्ट्रैटजिक प्रेजेंस मजबूत होगी। भारत के साथ सैन्य साझेदारी से ग्रीस की पश्चिमी देशों पर निर्भरता भी कम होगी। तुर्किये को यही दोस्ती अखरने लगी है। 

तुर्किये में नई हलचल क्यों?

ग्रीस के रक्षा न्यूज प्लेटफार्मों पर भारत से जुड़ी एक खबर खूब छाई है। इसमें दावा किया गया है कि भारत ने ग्रीस को लॉन्ग रेंज लैंड अटैक क्रूज मिसाइल (LR-LACM) देने की पेशकश की है। कहा जा रहा है कि तुर्किये से निपटने की खातिर भारत यह मिसाइल दे रहा है। मिसाइल की रेंज 1000 किलोमीटर होगी और इसके जद में तुर्किये होगा। ग्रीक सिटी टाइम्स ने लिखा, 'क्रूज मिसाइलों के क्षेत्र में संभावित सहयोग से ग्रीस की सेना को महत्वपूर्ण हमला करने की क्षमता हासिल होगी।

'निर्भय' से तुर्किये को क्या भय?

भारत के पेशकश के बारे में सबसे पहले खुलासा रक्षा समाचार आईएडीएन ने किया। उसी के हवाले से ग्रीस की मीडिया में कई खबरें छपी तो तुर्किये में इसकी चर्चा होने लगी। ग्रीस की मीडिया ने लिखा, यह एक अत्यधिक उन्नत हथियार है और डीआरडीओ ने पिछले साल ही इसका पहला परीक्षण किया था। मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि यह निर्भय मिसाइल का एक वैरिएंट है। एक हजार किमी रेंज वाली इस मिसाइल को दुश्मन के रणनीतिक ठिकानों को तबाह करने के लिहाज से बनाया गया है। मिसाइल को एक मोबाइल प्लेटफॉर्म से लॉन्च किया जा सकता है। कई तरह के वारहेड ले जाने वाली यह मिसाइल रडार को चकमा देने में सक्षम है। बता दें कि ग्रीस से तुर्किये का अहम शहर इस्तांबुल सिर्फ 880 किमी की दूरी पर है। मतलब साफ है कि भारत की इस मिसाइल की जद में इंस्ताबुल समेत तुर्किये का बड़ा भूभाग है।

भारत पर क्या लिख रहा तुर्की मीडिया?

तुर्किये का मीडिया प्लेटफॉर्म TR HABER ने 'भारत एजियन सागर में 1,000 किलोमीटर की मारक क्षमता वाली क्रूज मिसाइलें लाया है, इनका निशाना तुर्की होगा!' शीर्षक से समाचार प्रकाशित किया। इससे आगे लिखा कि तुर्किये-पाकिस्तान की दोस्ती से परेशान भारत एजियन सागर में तनाव को और बढ़ा रहा है। उसने ग्रीक मीडिया के हवाले से बताया कि भारत एजियन सागर में 1,000 किलोमीटर की रेंज वाली क्रूज मिसाइलें तैनात करेगा।

 

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ग्रीस के जियोस्ट्रेटिगिका अखबार में छपी एक खबर के हवाले से तुर्की मीडिया ने लिखा कि भारत ग्रीस को 1,000 किलोमीटर की क्रूज मिसाइल देगा। उसने ग्रीक अखबार पेंटापोस्टाग्मा में छपी खबर का भी उल्लेख किया। इसमें लिखा है, 'अगर हमारी सेना राफेल और एफ-16 वाइपर विमानों में पर्याप्त संख्या में इन मिसाइलों को तैनात करती है तो इससे तुर्किये को वह दर्द होगा, जो ईरान को इजरायल के साथ युद्ध में सहना पड़ा था। अगर ग्रीस और तुर्किये के बीच युद्ध होता है तो हमारे पास तुर्किये के हवाई अड्डों, रडार ठिकानों और एयर डिफेंस सिस्टम पर सीधे हमला करने की क्षमता होगी।' 

वायुसेना प्रमुख ने किया ग्रीस का दौरा

जून महीने में भारतीय वायुसेना प्रमुख एपी सिंह ने ग्रीस का दौरा किया था। यहां उन्होंने अपने समकक्ष लेफ्टिनेंट जनरल डिमोस्थनीज ग्रिगोरियाडिस से मुलाकात की थी। अभी तक यह स्पष्ट नहीं है कि उस दौरान एलआर-एलएसीएम पर कोई चर्चा हुई थी या नहीं। मगर ग्रीस की राजधानी एथेंस में आयोजित DIFEA-25 रक्षा प्रदर्शनी में भारत ने इस मिसाइल का प्रदर्शन किया था। लॉन्च रेंज क्रूज मिसाइल देने का दावा अभी तक अपुष्ट है, क्योंकि ग्रीक मीडिया के दावे पर भारत सरकार ने कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है।

दोनों देशों के बीच विवाद किया है?

तुर्किये और ग्रीस के बीच एजियन सागर में संप्रभुता की लड़ाई है। दक्षिण-पूर्वी भूमध्य सागर में भी विशेष आर्थिक जोन के मुद्दे पर विवाद है। पिछले तीन दशक में तीन बार संघर्ष वाली स्थिति बन चुकी है। अब भी दोनों देश संघर्ष के मुहाने पर खड़े हैं। इस बीच ग्रीस मीडिया ने दावा किया कि भारत से ब्रह्मोस मिसाइल खरीदी जाएगी। रिपोर्ट में लिखा कि हम एस-400 के खिलाफ ब्रह्मोस मिसाइल खरीदेंगे। बता दें कि तुर्किये पास रूस का एस-400 एयर डिफेंस सिस्टम है।

तुर्किये को भारी पड़ रहा पाकिस्तान प्रेम

भारत और तुर्किये के बीच संबंधों की स्थापना साल 1948 में हुई थी। दोनों ही देश जी-20 के सदस्य हैं और आपस में लगभग 10 अरब डॉलर का व्यापार करते हैं। भारत की तुलना में तुर्किये ने पाकिस्तान को अधिक महत्व दिया। नतीजा यह हुआ कि भारत उससे दूर जाने लगा। कश्मीर मुद्दे पर खुलकर पाकिस्तान का समर्थन भी तुर्किये पर भारी पड़ा। तुर्किये के राष्ट्रपति रेचेप तैयप एर्दोगन संयुक्त राष्ट्र में भी कश्मीर का मुद्दा उठा चुके हैं। उनके इन बयान के कारण भी रिश्तों में खटास आई है। तुर्किये ने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान की खुलकर मदद की। भारत में तुर्किये के प्रति गुस्सा बढ़ा और जवाब में मोदी सरकार ने तुर्किये की कंपनियों पर एक्शन लेना शुरू किया। मौजूदा समय में दोनों देशों के रिश्ते तनाव भरे हैं।

 

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तीन तरफ से घिर रहा एर्दोगन का मुल्क

भारत तुर्किये के पड़ोस में स्थित तीन देशों के साथ सैन्य सहयोग बढ़ा रहा है। पूर्वी सीमा पर स्थित आर्मेनिया ने आकाश एयर डिफेंस सिस्टम खरीदा है। पीएम मोदी की यात्रा के बाद साइप्रस और भारत के बीच सहयोग बढ़ना तय है। यह देश तुर्किये से दक्षिण और भूमध्य सागर में स्थित है। पश्चिम में स्थित ग्रीस की नजर भारतीय हथियारों पर है। वह ब्रह्मोस समेत भारतीय ड्रोन को खरीद पर दिलचस्पी दिखा रहा है।

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