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दुनिया के सबसे 'गरीब राष्ट्रपति' कहे जाने वाले जोसे मुजीका की कहानी

उरुग्वे के पूर्व राष्ट्रपति जोसे मुजीका का 89 साल की उम्र में निधन हो गया। आइए जानते हैं, क्यों उन्हें कहा जाता है दुनिया का सबसे गरीब राष्ट्रपति।

Image of Jose Mujica

उरुग्वे के पूर्व राष्ट्रपति जोसे मुजीका(Photo Credit: Wikimedia Commons)

उरुग्वे के पूर्व राष्ट्रपति और कभी गुरिल्ला नेता रह चुके जोसे मुजीका का 89 साल की उम्र में निधन हो गया। दुनियाभर में वह अपनी सादगी भरे जीवन के लिए जाने थे। साथ ही जोसे मुजीका को राष्ट्रपति पद के दौरान उनके सादगी के लिए दुनिया का सबसे गरीब राष्ट्रपति की उपाधि मिली। हालांकि आपको बात दें कि मार्च 2010 से मार्च 2015 तक अपने राष्ट्रपति पद के दौरान, मुजिका ने 260,259 उरुग्वे पेसो का मासिक वेतन लिया। मार्च 2015 में पद छोड़ने पर, उन्होंने 8,077,063 पेसो- लगभग 300,000 डॉलर ( भारतीय रुपयों में करीब 2.5 करोड़ रुपये) की कुल संपत्ति घोषित की। उनकी वर्तमान कुल संपत्ति सार्वजनिक रूप से सामने नहीं आई है। उरुग्वे की जनता के लिए उनका जीवन संघर्ष, साहस, और सेवा का प्रतीक बन गया। 

कौन थे जोसे मुजीका?

जोसे मुजीका का जन्म 1935 में हुआ था, हालांकि उन्होंने एक बार कहा था कि उनके जन्म प्रमाण पत्र में वर्ष गलत दर्ज है और वह वास्तव में एक साल पहले जन्मे थे। उनका बचपन आर्थिक रूप से तंगहाल था, जिसे उन्होंने 'गरिमामयी गरीबी' कहा। जब वे छोटे थे, तभी उनके पिता का निधन हो गया था, जिसके बाद उन्होंने अपनी मां के साथ छोटे से खेत में फूल उगाने और कुछ जानवर पालने में मदद की।

 

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राजनीति में उनकी शुरुआत तब हुई जब उरुग्वे की वामपंथी राजनीति कमजोर हो रही थी। उन्होंने शुरुआत में एक राष्ट्रीय पार्टी से राजनीति की शुरुआत की लेकिन बाद में 1960 के दशक में वे तुपामारोस नामक एक मार्क्सवादी गुरिल्ला संगठन से जुड़ गए। यह संगठन सरकार के खिलाफ हथियारबंद संघर्ष में शामिल था। मुजीका खुद भी कई हिंसक झड़पों में शामिल हुए, और पुलिस गोलीबारी में छह बार घायल भी हुए।

 

1973 में जब उरुग्वे में सैन्य तानाशाही आई, तो मुजीका को पकड़ लिया गया और लगभग 15 सालों तक जेल में रखा गया, जिनमें से कई साल उन्होंने अकेले में बिताए। उस दौरान में वे एक पुराने घोड़े के अस्तबल में रहते थे, जहां उनके पास कोई साथी नहीं था। उन्होंने दो बार जेल से भागने की भी कोशिश की, जिनमें एक बार सुरंग के जरिए भाग निकले।

 

1985 में जब देश में लोकतंत्र की बहाली हुई, तो मुजीका को रिहा किया गया और उन्होंने फिर से राजनीतिक गतिविधियों में भाग लेना शुरू किया। उन्होंने धीरे-धीरे वामपंथी राजनीति में अपनी मजबूत पकड़ बना ली और 2005 में कृषि मंत्री बने। 2010 में उन्हें उरुग्वे का राष्ट्रपति चुना गया, और उन्होंने 2015 तक इस पद पर कार्य किया।

 

राष्ट्रपति रहते हुए मुजीका ने कई बड़े फैसले लिए, जिनमें समलैंगिक विवाह, गर्भपात के अधिकार और नशीले पदार्थों की नियंत्रित बिक्री को कानूनी मान्यता दी। यह कदम लैटिन अमेरिका जैसे कैथोलिक समाज के लिए बहुत बड़ा बदलाव था। उन्होंने हमेशा यह कहा कि नशीली दवाओं के सेवन को अपराध नहीं बल्कि बीमारी के रूप में देखा जाना चाहिए।

 

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मुजीका दुनियाभर में अपनी सादगी के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने राष्ट्रपति निवास में रहने से इनकार किया और अपने पुराने टिन की छत वाले घर में ही रहे, जहां वे अपनी पत्नी लूसिया टोपोलांस्की के साथ फूल और सब्जियां उगाया करते थे। साथ ही वह एक साधारण फॉक्सवैगन बीटल कार चलाते थे और अक्सर स्थानीय कैफे में आम लोगों के बीच खाना खाते दिखाई देते थे। उन्होंने कभी कोट-टाई नहीं पहनी और हमेशा आम जनता जैसे कपड़े पहनते रहे।

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