logo

ट्रेंडिंग:

मसाई समुदाय के बारे में सबकुछ जो आप जानना चाहते हैं

अफ्रीकी महाद्वीप में कई ऐसी जनजातिया हैं जो आज भी सदियों पुराने तौर-तरीकों से ही रहते हैं। उनके जीवन में आधुनिक दुनिया का प्रभाव बेहद कम है। वे दुनिया की तकनीक और प्रगति से कोसों दूर हैं। ऐसी ही एक जनजाति है मसाई। आइए जानते हैं इसके बारे में।

Maasai

मसाई समुदाय के रहन-सहन के तरीके अब बदल रहे हैं। (तस्वीर- फ्री पिक)

अफ्रीकी महाद्वीप में की एक जनजाति है मसाई। मसाई समुदाय के लोग अफ्रीका के उत्तरी हिस्से में रहते हैं। मसाई क्षेत्र का विस्तार केन्या, उत्तरी तंजानिया और पूर्वी युगांडा तक है। माना जाता है कि मसाई जनजाति के लोग इथोपिया से आए थे। यह पूरी अफ्रीका में है। मसाई प्रदेश की ऊंचाई ज्यादा है, इसलिए का तापमान कागों और बेसिन के मैदानी भाग की अपेक्षा कम है। मसाई प्रदेश का औसत तापमान 14 डिग्री सेल्सियस है। 

मसाई निलोत जनजाति समूह का हिस्सा हैं। वे महान अफ्रीका झीलों के आसपास रहते हैं। मसाई जनजाति का मुख्य पेशा कृषि और पशुपालन है। वे मवेशियों को चराने के लिए जंगल-जंगल भटकते हैं। वे जितने सहज हैं, उतने ही हिंसक भी हो जाते हैं। शारीरिक तौर पर मसाई समुदाय के लोग बेहद मजबूत हैं और बेहतरीन योद्धा माने जाते हैं। मौखिक इतिहास के अनुसार, मसाई तुर्काना झील के उत्तर में निचली नील घाटी से आए हैं। उन्होंने 15वीं सदी के आसपास दक्षिण में आना-जाना शुरू किया।
 
यही वजह है कि मसाई नीलोटिक भाषा भी बोलते हैं। जिन इलाकों में मसाई आज रहते हैं, वहां कभी इमुताई जनजाति का दबदबा था। साल 1883 से 1902 के बीच मसाई यहां आकर बसने लगे। यहां पलायन की एक बड़ी वजह निमोनिया, रिंडरपेस्ट और चेचक जैसी महामारियां रहीं, जिनकी वजह से लोग अपने मूल स्थान को छोड़कर यहां बसने लगे।

उत्तर पश्चिम तांगानिका में रहने वाले एक जर्मन अधिकारी ने यह दावा किया था कि मसाइयों के 90 फीसदी मवेशी और जंगली जानवर रिंडरपेस्ट से मर गए थे। चेचक ऐसे फैली कि हर मसाई के चेहरे पर उस वक्त गहरे निशान पड़े थे। वहां भीषण सूखा पड़ा था, जिससे अकाल जैसे स्थिति पैदा हो गई थी और लोगों को पलायन करना पड़ा था। 

मसाई जाति की संस्कृति
मसाई समुदाय में मुखिया का रोल अहम होता है। बुजुर्ग मसाई समुदाय के सबसे कठिन फैसले लेते हैं। मसाई लोग सामुदायिक भावना में भरोसा करते हैं। प्राकृतिक संसाधनों पर एक-दूसरे का हक मानते हैं। मसाई समाज में एन्गई देवता की पूजा होती है। कई मसाई अब ईसाई धर्म मानने लगे हैं। पारंपरिक मसाई जीवन शैली में मसाई उन पशुओं को भी पालते हैं जिन्हें मारकर वे खा सकें। 

जिस व्यक्ति के पास जितने मवेशी हैं, उसे उतना समृद्ध माना जाता है। अगर किसी के पास 50 मवेशी हैं तो उसे बेहद समृद्ध माना जाता है। मवेशियों के हिसाब से यहां समुदाय के लोगों की हैसियत आंकी जाती है। मसाई सभ्यता में कान में बाली पहनी जाती है। वे कान को लेकर अतरंगे प्रयोग करते हैं। कान की त्वचा को ये फैलाने के लिए लकड़ियों के आभूषण का इस्तेमाल करते हैं। वे कान में हाथी के दांत, लकड़ी के आभूषण, कांटे, जानवरों की हड्डियों भी पहनते हैं। महिलाएं भी कुछ इसी तरह श्रृंगार करती हैं।

मसाइयों का कैसा है रहन सहन 
मसाई समुदाय में नाचना-गाना परंपरा का हिस्सा है। वे अपने समुदायिक गीतों पर नाचते हैं और स्थानीय तौर-तरीकों से तैयार होते हैं। उनके लिए नाचना उत्सव है। मसाई समुदाय के लोग हार, कंगन और रंगीन कपड़े खूब पहनते हैं। इनके कपड़ों में मोती, सींप, जानवरों की खाल बेहद सामान्य है। यह समुदाय इन्हीं कपड़ों को बेचकर कमाई भी करता है। मसाई लोग शरीर को सजाने के लिए चेहरे पर लाल, काले और सफेद रंगों का इस्तेमाल करते हैं। यह समाज समुदाय में रहता है। महिला और पुरुष दोनों शिकार पर जाते हैं। धीरे-धीरे यह समुदाय भी दुनिया की नजरों में आ रहा है और आधुनिक तौर-तरीके सीख रहा है। 

Related Topic:

शेयर करें

संबंधित खबरें

Reporter

और पढ़ें

design

हमारे बारे में

श्रेणियाँ

Copyright ©️ TIF MULTIMEDIA PRIVATE LIMITED | All Rights Reserved | Developed By TIF Technologies

CONTACT US | PRIVACY POLICY | TERMS OF USE | Sitemap