पुरानी दिल्ली के दरीबा कलां और जामा मस्जिद के बीच बसा मीना बाजार शहर के सबसे पुराने बाजारों में से एक है। छत्ता चौक बाजार के नाम से भी मशहूर इस जगह के गलियारे आपको मुगलकालीन दिल्ली की याद दिलाते हैं। इस्लामी कला की झलक को बनाए रखते हुए, यहां की ज्यादातर दुकानों में पारंपरिक मुस्लिम परिधान जैसे बुर्का, पुरुषों के लिए पारंपरिक कढ़ाई वाली टोपियां और इस्लामी धार्मिक स्थलों की तस्वीरें बिकती हैं।
मुगलकाल में हुई थी इस मार्केट की शुरुआत
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) इस मार्केट को संचालित करता है। इस बाजार में कुछ दुकानें हैं जिनमें शादी के कपड़े, रंग-बिरंगे कंबल, शॉल और यहां तक कि डायरियां भी बेची जाती हैं। टूरिस्ट के लिए सबसे आकर्षक मुगलकालीन नक्काशी है जो आज भी इसकी कुछ सबसे पुरानी इमारतों पर देखने को मिल जाती है। देश की राजधानी दिल्ली में बसे इस मार्केट की शुरुआत मुगलकाल में हुई थी।
क्या कहते है इतिहासकार?
वैसे तो दिल्ली में 2 मीना बाजार हैं, एक मीना बाजार जामा मस्जिद के पास है और दूसरा मीना बाजार लाल किले के अंदर है। हालांकि, इतिहासकारों का मानना है कि लाल किले के अंदर वाला बाजार ही असली मीना बाजार है। मुगलों के दौरान यह बाजार विशेष रूप से महिलाओं के लिए खोला गया था। यह बाजार सुबह 11 बजे से रात 9 बजे तक मंगलवार से शनिवार तक लगता है। सोमवार को यह मार्केट बंद रहता है। अगर आप भी मीना बाजार घूमना चाहते हैं तो आपको वायलेट लाइन से लाल किला मेट्रो स्टेशन पर उतरना होगा। गेट नंबर 1 से उतरने के बाद कुछ ही कदम की दूरी पर आपको लाल किले के अंदर जाकर यह बाजार मिल जाएगा।
जब अकबर ने किया इस मार्केट का विस्तार
सबसे पहले मुगल शासक हुमायूं ने यह मीना बाजार लगवाया था और बाद में इसका विस्तार अकबर ने किया। दुनिया के सबसे पुराने बाजारों में से एक मीना बाजार में आपको हाथ से बुनी चादरें, पश्मीना शॉल, घर की सजावट के सामान, शोपीस, रसोई के बर्तन, शाही कटलरी और कई यूनिक सामान आपको आसानी से मिल जाएंगे। इस बाजार में आपको कपड़ों की दुकानें भी मिल जाएंगी।