ध्यान शरीर और मन को हल्का करने वाली एक पुरानी प्रक्रिया में से एक है। हमारे मन में एक साथ बहुत सारी परेशानी, कल्पनाएं और बहुत ज्यादा सोचना यह सब चलते रहते हैं। इससे मन-मस्तिष्क में शोर-सा मचा रहता है। अगर हम न चाहें तब भी यह चलता ही रहता है। इस तरह लगातार सोच-सोचकर और चिंता करके हम खुद को कमजोर करते रहते हैं। ध्यान ऐसी प्रक्रिया है जो इन सब चीजों को मन से हटाकर मन को शांत करने की क्षमता रखता है।
ध्यान जितना गहरा होगा। इंसान के मन को उतनी शांति ज्यादा मिलती है। उस पर किसी भी भाव, कल्पना और विचारों का असर नहीं पड़ता। ध्यान कोई क्रिया नहीं है इसलिए इसको करने के लिए कुछ अलग करने की जरूरत नहीं है। ध्यान बस हो जाता है और ध्यान की प्रक्रिया गहरी तब होती है जब आप इससे लगातार करते हैं। ध्यान करने वाला इंसान अपने आसपास के वातावरण को और खुद को भी भूल जाता है। उसको आस-पास के बारे में कुछ पता नहीं होता है। आइए जानते हैं ध्यान करनी की प्रक्रिया क्या हो सकती है?
ध्यान क्या है?
ध्यान एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें हम अपने मन को स्थिर करके अपने अंदर की शांति और सुकून को महसूस करते हैं। यह एक ऐसी तकनीक है जो हमें अपने मन को शांत और स्थिर बनाने में मदद करती है। ध्यान केवल तन-मन को ही नहीं बल्कि आपके शरीर को भी तनदुरुस्त और हस्त-पुष्ट रखता है। कई लोग आज भी अपनी बिजी लाइफ में रहते हुए भी सुबह कुछ मिनट के लिए ध्यान करते हैं जिससे उन्हें शांति और सुकून मिलता है।
ध्यान करने से हमारे मन में बुरे विचारों का असर कम होता है और हम ज्यादा पॉजिटिव और खुश रहते हैं। ध्यान करने से हमारे शरीर में तनाव और थकान कम होती है। जिससे हम खुद को स्वस्थ महसूस करते हैं। ध्यान करने के लिए हमें किसी अलग जगह पर जाने की या अलग से समय निकालने की जरूरत नहीं होती है। हम कहीं भी और कभी भी ध्यान कर सकते हैं। बस हमें अपने मन को शांत करना होता है और अपने अंदर की शांति को महसूस करना होता है।
कैसे करें ध्यान?
ध्यान के लिए ऐसा समय और स्थान चुनें जिसमें आपको कोई परेशान न कर सके। ध्यान के लिए सबसे अच्छा समय सुबह और शाम होता है। इसके बाद आप सीधे बैठें और रीढ़ की हड्डी को सीधी रखें और अपने कंधे और गर्दन को भी सीधा रखें और पूरे ध्यान करते समय आंखें बंद करके रखें। अगर शाम के समय में ध्यान करने वाले हैं तो जान लें कि ध्यान करने में और खाना खाने के बीच तीन घंटे का गैप हो। ध्यान से पहले छोटी-मोटी क्रियाएं कर लेनी चाहिए। इससे शरीर की थकान और बेचैनी दूर होती है और शरीर हल्का महसूस होता है। ऐसे में एक ही जगह पर कई घंटे बैठ सकेंगे।
ध्यान से पहले प्राणायाम करना अच्छा होता है। इससे सांस की लय स्थिर हो जाती है और मन आसानी से ध्यान में चला जाता है। ध्यान करते समय चेहरे पर हमेशा स्माइल बनाकर रखें। इससे आप आराम और शांति महसूस करेंगे और आपका ध्यान गहरा होगा। आपको सिर्फ आंखों को बंद करके आराम करना है और अगर आपको कोई इस प्रक्रिया को बता रहा है तो इससे सुनकर उनका पालन करते हुए अनुभव का आनंद लेना है।
ध्यान से कब बाहर आना है इसके लिए अलार्म का प्रयोग न करें। कुछ दिनों के अभ्यास से आप खुद ही तय समय पर ध्यान से बाहर आने लगेंगे। ध्यान के बाद आंखों को धीरे-धीरे खोलें। आंखों को खोलने में जल्दबाजी न करें और आंखें खोलने के बाद अपने हाथों को आपस में मसले और अपने चेहरे पर हाथ फेरते हुए इस प्रक्रिया को पूरा करें। सुबह और शाम दोनों समय 20-20 मिनट के लिए ध्यान किया जाए लेकिन अगर इतना समय नहीं है तो कम समय के लिए भी ध्यान में बैठा जा सकता है। इससे आप खुद को स्वस्थ और हल्का महसूस करेंगे।