भारत में भूकंप आता है तो लोगों को कच्छ का भूकंप याद आने लगता है लेकिन जापान के लोग भूकंपों से असहज नहीं होते। उन्होंने भूकंप के साथ जीना सीख लिया है। यही वजह है कि जापान के पारंपरिक घर छोटे और लड़की से बने हुए होते हैं। ये पर्यावरण के लिहाज से भी अच्छे होते हैं, वहीं भूकंप से यहां के लोगों की रक्षा भी करते हैं।
जापान में एक बड़ी आबादी लकड़ी से बने घरों में रहती है। आज जब अत्याधुनिक सुख-सुविधाएं अपने चरम पर हैं, तब भी जापान के 80 प्रतिशत पारंपरिक घरों में लकड़ी के सामान ज्यादा दिखते हैं। ऐसे वक्त में दुनिया जब कंकरीट के जंगलों में तब्दील हो गई है, तब जापान के ये छोटे-छोटे लकड़ी वाले घर बेहद खूबसूरत औऱ अलग लगते हैं।
जापान में बार-बार भूकंप आने की मुख्य वजह भूगर्भीय स्थिति और टेक्टोनिक प्लेटों का सक्रिय क्षेत्र में स्थित होना है। यूरेशियन, पैसिफिक, फिलिपीन और नॉर्थ अमेरिकन प्लेट के संगम पर स्थित है। इन प्लेटों के आपसी टकराव और खिसकने की प्रक्रिया की वजह से बार-बार भूकंप आते हैं।
जापान में लकड़ी के घरों में क्यों रहते हैं लोग?
जापान में लकड़ी के घर होने की एक बड़ी वजह, यहां बार-बार आने वाला भूकंप है। इन्हें बनाना भी बेहद आसान होता है और सीमेंट, लोहे, गिट्टी और छड़ के भारी-भरकम खर्चे से भी लोग बच जाते हैं। जापान में 66 प्रतिशत से ज्यादा जंगल हैं, ऐसे में यहां लकड़ियों का इंतजाम करना भी कठिन नहीं है। जापान के लोग लकड़ियो से घर एक अरसे से बना रहे हैं, ऐसे में वे इसे लेकर सहज हो चुके हैं।
ईंट-पत्थर की भरमार लेकिन लकड़ी है पसंद
जापान का 73 फीसदी भू-भाग पहाड़ों से घिरा है। पश्चिमी जापान में पत्थर हासिल करना कठिन काम नहीं है। जापानी संरक्षण वादी होते हैं ऐसे में वे प्रकृति को बिना नुकसान पहुंचाए, अपने लिए घर तैयार करने में माहिर होते हैं। पश्चिमी जापान में उन्हें पत्थरों को काटकर ईंट बनाने का हुनर आ गया था।
ये है जापान का सबसे प्रसिद्ध वुड हाउस
जापान का होरयूजी मंदिर दुनिया के सबसे पुराने लकड़ी की संरचनाओं में से एक है। यह मंदिर लकड़ी से बना है। जापान ने सदियों पहले पत्थर और ईंट बनाने की कला सीख ली थी लेकिन यह मंदिर काठ से बनाया गया है। यह मंदिर 607 ईस्वी के आसपास बना है।