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वक्फ बिल पर JPC ने 14 संशोधन किए स्वीकार, विपक्ष के सभी सुझाव खारिज

वक्फ बिल पर जेपीसी ने सत्तापक्ष के 14 संशोधन स्वीकार कर लिए हैं। विपक्ष का कहना है कि उसके सभी प्रस्तावों को खारिज कर दिया गया है।

JPC Meeting । Photo Credit: PTI

जेपीसी मीटिंग । Photo Credit: PTI

इतने दिनों से वक्फ बिल पर चल रहे बवाल के बाद अब ज्वाइंट पार्लियामेंट्री कमेंटी ने सोमवार को वक्फ बिल को क्लियर कर दिया है। इसमें 14 संशोधनों को स्वीकार कर लिया गया है। वक्फ बिल को लेकर कुल 44 संशोधन प्रस्तावित किए गए थे जिनमें से 14 को स्वीकार किया गया है।

 

सत्तारूढ़ भाजपा के जगदंबिका पाल की अगुआई वाली समिति के समक्ष कुल 44 बदलाव प्रस्तावित किए गए थे, जिनमें से कई विपक्षी सांसदों द्वारा प्रस्तावित किए गए थे। हालांकि, विपक्ष द्वारा प्रस्तावित बदलावों को खारिज कर दिया गया। 

 

खबरों के मुताबिक 14 बदलावों को स्वीकृति देने के लिए मतदान 29 जनवरी को होगा और अंतिम रिपोर्ट 31 जनवरी तक प्रस्तुत की जाएगी। समिति को मूल रूप से 29 नवंबर तक रिपोर्ट दाखिल करने के लिए कहा गया था, लेकिन उस समय सीमा को बढ़ाकर 13 फरवरी कर दिया गया, जो बजट सत्र का अंतिम दिन है।'

विपक्ष ने लगाया आरोप

जगदंबिका पाल ने कहा, '44 संशोधनों पर चर्चा की गई। छह महीने में विस्तृत चर्चा में, हमने सभी सदस्यों से संशोधन मांगे। यह हमारी अंतिम बैठक थी... 14 को समिति ने बहुमत (वोट) के आधार पर स्वीकार कर लिया। विपक्ष ने भी संशोधन सुझाए...प्रत्येक पर मतदान हुआ। उनके (सुझाए गए संशोधनों) समर्थन में 10 वोट पड़े और विरोध में 16 वोट पड़े...'

 

सुनवाई के लिए बनाई गई समिति ने कई बैठकें की हैं लेकिन अक्सर मीटिंग हो-हल्ले के साथ ही खत्म हुई, क्योंकि विपक्षी सदस्यों का आरोप था कि अध्यक्ष जगदंबिका पाल सत्तापक्ष की तरफ झुके हुए हैं।

ओम बिरला को लिखा पत्र

पिछले सप्ताह विपक्षी सांसदों ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को पत्र लिखकर अपनी चिंताएं व्यक्त की थीं, जिसमें कहा गया था कि पाल 5 फरवरी को होने वाले दिल्ली चुनाव को ध्यान में रखते हुए वक्फ संशोधन विधेयक को बिना सहमति के पारित कराने की कोशिश कर रहे हैं।

 

यह अपील 10 विपक्षी सांसदों के निलंबन के बाद की गई थी; उन्होंने और उनके सहयोगियों ने शिकायत की थी कि उन्हें सुझाए गए बदलावों को पढ़ने और समझने के लिए समय नहीं दिया गया।

कल्याण बनर्जी ने तोड़ दी थी बोतल

निलंबित सांसदों में तृणमूल कांग्रेस के कल्याण बनर्जी और ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी शामिल हैं, जो दोनों ही वक्फ संशोधन विधेयक के कट्टर आलोचक हैं। 

 

इस सबसे बड़ा उदाहरण यह है कि अक्टूबर में कल्याण बनर्जी ने मेज पर रखी कांच की बोतल तोड़कर श्री पाल पर फेंकी थी। बाद में उन्होंने अपने कार्यों के बारे में बताते हुए कहा कि एक अन्य भाजपा सांसद, कलकत्ता उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश अभिजीत गंगोपाध्याय ने उनके परिवार को अपशब्द कहे और उस तीखी प्रतिक्रिया को भड़काया।

कई परिवर्तनों का प्रस्ताव

वक्फ संशोधन बिल में तमाम तरह के परिवर्तनों का प्रस्ताव किया गया था जैसे कि गैर-मुस्लिम सदस्यों (कम से कम दो) और महिला सदस्यों को नॉमिनेट किया जाना।

 

इसके अलावा, अन्य संशोधनों में केंद्रीय वक्फ परिषद में (यदि संशोधन पारित हो जाते हैं) एक केंद्रीय मंत्री और तीन सांसद, साथ ही दो पूर्व न्यायाधीश, 'राष्ट्रीय प्रसिद्धि' के चार लोग और वरिष्ठ सरकारी अधिकारी शामिल होने चाहिए, जिनमें से किसी का भी इस्लामी धर्म से होना ज़रूरी नहीं है। इसके अलावा, नए नियमों के तहत वक्फ परिषद ज़मीन पर दावा नहीं कर सकती।

 

यह भी पढ़ेंः वक्फ विधेयक के JPC पैनल से सस्पेंड क्यों हुए 10 विपक्षी नेता?

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