26 दिसंबर, 2004 रविवार की सुबह अचानक से जोर का झटका लगना शुरू हो गया जो लगभग 30 मिनट तक जारी रहा। 9.1 तीव्रता के भूंकप के झटके से सबकुछ तहत-नहस हो चुका था। इंडोनेशिया, दक्षिण भारत, श्रीलंका, मालदीव्स, थाइलैंड, भारत समेत 14 देशों में सुनामी का सबसे भयावह मंजर देखने को मिला। उस समय पूर्व चेतावनी न मिलने के कारण मौतों की संख्या सबसे ज्यादा हुई।
दुनिया के सबसे भयंकर आपादाओं में से एक इस भूकंप से पैदा होने वाली 100 फीट ऊंची सुनामी से 230,000 से अधिक लोग मारे गए। भारत, श्रीलंका, मालदीव, थाईलैंड और इंडोनेशिया को अरबों डॉलर की संपत्ति का नुकसान हुआ था। हिंद महासागर से उठी इस सुनामी को बॉक्सिंग डे सुनामी के नाम से भी जाना जाता है। भूकंप के झटके इतनी तेज थे कि हवा के झोकों की तरह घर तहस-नहस हो गया और सड़कों पर लाश ही लाश दिखने लगे।
कैसे आया था भूकंप?
समुद्र के अंदर आए इस बड़े भूकंप का केंद्र इंडोनेशिया के उत्तरी सुमात्रा के पश्चिमी तट पर था। यह भूकंप बर्मा प्लेट और भारतीय प्लेट के बीच की दरार के कारण हुआ था। नए साल का जश्न मनाने के लिए भारी संख्या में टूरिस्ट तटीय क्षेत्रों में घूमने के लिए आए थे। इस कारण मरने वालों की संख्या भी अधिक थी। समुद्र किनारे बने होटलों और रिसॉर्ट में बड़ी संख्या में ठहरे पर्यटकों को समुद्र ने अपने आगोश मे कर लिया था और हर जगह दिख रही थे पुल, इमारतें, कार, जानवर, पेड़ और लाशे ही लाशे....
भूकंंप के बाद भी महसूस किए गए थे झटके
बता दें कि यह एशिया में अब तक का सबसे शक्तिशाली भूकंप माना जाता है। इसे 1900 में आधुनिक भूकंप विज्ञान की शुरुआत के बाद से दुनिया में दर्ज किया गया कम से कम तीसरा सबसे शक्तिशाली भूकंप माना जाता है। इस शक्तिशाली भूकंप के बाद भी घंटों और दिनों में अंडमान द्वीप समूह, निकोबार द्वीप समूह और भूकंप केंद्र के क्षेत्र में कई झटके महसूस किए गए थे।
2004 में इतने बड़े पैमाने पर हुई मौत का क्या था कारण?
सुनामी का पता लगाने या महासागर के आसपास रहने वाली आम आबादी को चेतावनी देने के लिए हिंद महासागर में कोई सुनामी चेतावनी प्रणाली नहीं थी। दरअसल, सुनामी का पता लगाना मुश्किल है क्योंकि जब सुनामी गहरे पानी में होती है, तो उसकी ऊंचाई कम होती है और इसका पता लगाने के लिए सेंसर के एक नेटवर्क की आवश्यकता होती है।