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खतरे के वक्त पायलट भेजता है 5 तरह की डिस्ट्रेस कॉल, क्या हैं मायने?

खतरा महसूस होने पर विमान का पायलट अलग अलग तरह की डिस्ट्रेस कॉल एटीसी को भेजता है, जिसके अलग अलग मायने होते हैं।

Representational Image। Photo Credit: PTI

प्रतीकात्मक तस्वीर । Photo Credit: PTI

हवाई यात्रा जितनी आधुनिक और सुरक्षित मानी जाती है, उतनी ही खतरनाक भी होती है। जब आसमान में किसी फ्लाइट को किसी संकट का सामना करना पड़ता है तो पायलटों को ऐसी स्थिति में जल्दी से मदद मांगनी पड़ती है और उसके लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तय किए गए कुछ विशेष इमरजेंसी कॉल्स या डिस्ट्रेस सिग्नल (Distress Signals) का प्रयोग किया जाता है। ये कॉल्स जब कोई विमान गंभीर संकट में होता है – जैसे इंजन फेल हो जाना, विमान में आग लगना, या कोई मेडिकल इमरजेंसी – तो पायलट को तयशुदा शब्दों, कोड्स या उपकरणों के ज़रिए तुरंत एयर ट्रैफिक कंट्रोल (ATC) से मदद मांगनी होती है। इन संकेतों को वैश्विक स्तर पर मान्यता प्राप्त है और इनका एक विशेष अर्थ होता है।

 

इनमें कुछ शब्द जैसे 'Mayday', 'Pan-Pan', विशेष Squawk Codes (जैसे 7700, 7600, 7500), Emergency Locator Transmitter (ELT) और CPDLC Text Messages शामिल होते हैं। हर एक का उपयोग अलग परिस्थिति में किया जाता है और इनका प्रभाव एयर ट्रैफिक व्यवस्था पर तुरंत पड़ता है – जैसे हवाई यातायात को रोकना, रनवे को खाली करना, रेस्क्यू ऑपरेशन तैयार करना आदि। पायलटों को इन कॉल्स का प्रयोग बहुत सोच-समझकर करना पड़ता है, क्योंकि इनका मतलब होता है कि विमान में कोई असाधारण स्थिति उत्पन्न हो गई है।

 

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इस लेख में खबरगांव आपको बताएगा कि इसका क्या मतलब होता है और कब कौन सा डिस्ट्रेस कॉल दिया जाता है?

1. मेडे कॉल (Mayday Call)

'Mayday Mayday Mayday' एक अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त संकट संकेत है, जिसका प्रयोग तब किया जाता है जब विमान को गंभीर खतरा हो और समय बिल्कुल ही न के बराबर हो। जैसे इंजन फेल हो जाना, विमान में आग लगना, केबिन में अत्यधिक दबाव होना या तकनीकी नियंत्रण पूरी तरह से नाकाम हो जाना। पायलट इस कॉल को रेडियो पर तीन बार दोहराता है ताकि यह स्पष्ट हो जाए कि यह कोई सामान्य संदेश नहीं बल्कि ज़िंदगी और मौत का सवाल है।

 

उदाहरण के लिए साल 2009 में US Airways Flight 1549 की हडसन नदी की चमत्कारी लैंडिंग के पहले Mayday कॉल दी गई थी। 15 जनवरी 2009 को, न्यूयॉर्क के ला गार्डिया एयरपोर्ट से उड़ान भरने के कुछ ही मिनटों बाद US Airways Flight 1549 के दोनों इंजन बर्ड स्ट्राइक (पक्षियों से टकराने) के कारण फेल हो गए। पायलट कैप्टन सली ने तुरंत 'Mayday' कॉल दी और विमान को न्यूयॉर्क की हडसन नदी में लैंड कराया। इस चमत्कारिक लैंडिग में सभी 155 यात्री सुरक्षित बच गए। यह घटना इतिहास में 'The Miracle on the Hudson' के नाम से जानी जाती है।

2. पैन-पैन कॉल (Pan-Pan Call) 

अगर किसी विमान को ऐसी तकनीकी खराबी का समस्या करना पड़ता है जो कि जानलेवा नहीं होती लेकिन तुरंत ऐक्शन लेने की जरूरत होती है। हां, अगर तुरंत ऐक्शन न लिया जाए तो समस्या जानलेवा हो सकती है। ऐसी स्थिति में पायलट 'Pan-Pan Pan-Pan Pan-Pan' की कॉल एटीसी को देता है। यह संकेत बताता है कि मामला गंभीर है, लेकिन उतना खतरनाक नहीं जितना मेड-डे में होता है।

 

उदाहरण के लिए 2008 में बीजिंग से लंदन आने वाली British Airways Flight 38 की लैंडिंग के समय दोनों इंजनों की पावर अचानक कम हो गई, जिसकी वजह से विमान रनवे तक नहीं पहुंच पाया और रनवे के कुछ ही मीटर पहले ज़मीन से टकरा गया। इस स्थिति में पायलट ने Pan-Pan कॉल दी थी। हालांकि, इस घटना में गनीमत रही कि कोई मौत नहीं हुई और सिर्फ कुछ यात्री घायल हुए।

3. स्क्वॉक कोड (Squawk Codes)

यह एक तरह का छुपा हुआ संकट संकेत होता है। जब पायलट किसी कारण से बोल नहीं सकता – जैसे कि रेडियो फेल हो गया हो, या विमान को हाईजैक कर लिया गया हो, तब वह विमान के ट्रांसपोंडर में एक विशेष कोड डाल देता है जिसे स्क्वॉक कोड कहते हैं। ये कोड एयर ट्रैफिक कंट्रोल के रडार पर तुरंत दिखाई देते हैं। जैसे- स्कॉक कोड 7500 का मतलब होता है कि प्लेन को हाईजैक कर लिया गया है, स्कॉक कोड 7600 का मतलब होता है कि तकनीकी खराबी के कारण रेडियो संपर्क नहीं हो पा रहा है, स्कॉक कोड 7700 का मतलब होता है कि कोई सामान्य इमरजेंसी है।

 

उदाहरण के लिए 1977 में Lufthansa Flight 181 जर्मनी से सोमालिया जा रही थी जब इसका अपहरण हो गया। पायलट ने बिना बोले स्क्वॉक कोड 7500 डाला, जिससे ATC को तुरंत पता चल गया कि विमान हाईजैक हो चुका है। बाद में इस विमान को जर्मन स्पेशल फोर्स ने रेस्क्यू किया।

4. ELT – इमरजेंसी लोकेटर ट्रांसमीटर

जब विमान बहुत गंभीर दुर्घटना का शिकार होता है – जैसे ज़मीन से टकरा जाना या पानी में गिरना – तब पायलट के पास एटीसी को संपर्क करने का कोई रास्ता नहीं रहता। ऐसे में विमान में लगी एक ऑटोमैटिक डिवाइस ELT (Emergency Locator Transmitter) एक्टिव हो जाती है और यह एक विशेष फ्रीक्वेंसी पर संकट संकेत भेजती है जो सैटेलाइट और रेस्क्यू टीमें पकड़ सकती हैं।

 

उदाहरण के लिए 1998 में न्यूयॉर्क से जिनेवा जाने वाली  Swissair Flight 111 फ्लाइट में समुद्र के ऊपर इलेक्ट्रिकल फायर हुआ। पायलट ने शुरुआत में Pan-Pan कॉल दी, लेकिन आग इतनी तेजी से फैली कि विमान क्रैश हो गया। विमान के गिरते ही ELT ने सिग्नल भेजा और मदद पहुंचने में मदद मिली, हालांकि इस घटना में सभी 229 यात्री मारे गए।

5. CPDLC इमरजेंसी मैसेज

जब विमान बहुत लंबी दूरी की उड़ान पर हो – जैसे अटलांटिक, अंटार्कटिक या आर्कटिक के ऊपर – तब रेडियो संपर्क बाधित हो सकता है। ऐसी जगहों पर CPDLC (Controller–Pilot Data Link Communications) का उपयोग होता है, जहां पायलट और एटीसी के बीच टेक्स्ट के जरिए बातचीत होती है।इस सिस्टम से पायलट ‘Mayday’ या ‘Pan-Pan’ जैसे संदेश भेज सकते हैं, साथ ही ऑल्टिट्यूड में परेशानी, मेडिकल इमरजेंसी, या रूट बदलने की सूचना भी दे सकते हैं।

 

उदाहरण के लिए 2009 में Air France Flight 447 विमान ब्राज़ील से फ्रांस जा रहा था जब अटलांटिक के ऊपर इसका संपर्क टूट गया। पायलटों ने कोई वॉइस कॉल नहीं दी, लेकिन विमान के सिस्टम ने कुछ ऑटोमेटिक टेक्निकल डिस्ट्रेस मैसेज CPDLC के जरिए भेजे, जिनसे बाद में हादसे की जानकारी मिली। इस हादसे में विमान समुद्र में गिर गया और 228 लोगों की जान चली गई।

 

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