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21 साल बाद अपने गांव लौट रहे हैं 25 आदिवासी परिवार, जानें क्यों?

महाराष्ट्र के गढ़चिरौली जिले के बॉर्डर से सटा अबूझमाड़ हाल तक माओवादियों का गढ़ माना जाता था। पिछले महीने 4 अक्टूबर को सुरक्षा बलों ने इलाके में मुठभेड़ के दौरान 31 नक्सलियों को मार गिराया था।

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प्रतीकात्मक तस्वीर। Source- PTI

छत्तीसगढ़ में 21 साल बाद नक्सल प्रभावित अबूझमाड़ में आदिवासी अपने मूल स्थान पर लौटने की योजना बना रहे हैं। माओवादियों की वजह से अपना गांव छोड़ चुके लगभग 25 आदिवासी परिवार नारायणपुर जिले में अपने मूल स्थान पर लौटने जा रहे हैं।  

 

दरअसल, साल 2003 में नक्सलियों ने अबूझमाड़ पर हमला कर दिया था, जिसके बाद इन परिवारों के लगभग 100 सदस्यों ने अबूझमाड़ स्थित गारपा गांव में अपना घर-बार छोड़ दिया था।

सरकारी जमीन पर बसाया गया 

 

इसके बाद इन परिवारों को नारायणपुर शहर के बाहरी इलाके में सरकारी जमीन पर बसाया गया था। इन लोगों ने अपनी आजीविका चलाने के लिए खेती की। अपने पलायन के 21 साल बाद ये परिवार हाल ही में अपने मूल स्थान का मुआयना करने आए थे। यहां पर पुलिस विकास कार्यों को देख रही है और स्थानीय आबादी की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए एक कैंप बनाया है।

माओवादियों का गढ़ रहा है अबूझमाड़

 

महाराष्ट्र के गढ़चिरौली जिले के बॉर्डर से सटा अबूझमाड़ हाल तक माओवादियों का गढ़ माना जाता था। पिछले महीने 4 अक्टूबर को सुरक्षा बलों ने इलाके में मुठभेड़ के दौरान 31 नक्सलियों को मार गिराया था।

सुक्कुरम नुरेती ने सुनाई आपबीती

 

समाचार एजेंसी पीटीआई से बात करते हुए 60 साल के सुक्कुरम नुरेती ने बताया कि पैतृक जमीन को छोड़ना कभी आसान नहीं था। हमारे पास अपनी जान बचाने के लिए भागने के अलावा कोई विकल्प नहीं था। नूरेती का परिवार उन 25 परिवारों में से एक था जिन्होंने अप्रैल 2003 में गारपा गांव छोड़ दिया था। नूरेती अबूझमाड़िया समुदाय से आते हैं। यह समुदाय विशेष रूप से कमज़ोर आदिवासी समूह है।

नक्सलियों ने धमकाया

 

सुक्कुरम नुरेती ने बताया कि गांव के 80 परिवारों में से लगभग 25 'गायत्री परिवार' के अनुयायी थे। नक्सलियों ने इस पर आपत्ति जताई थी। उन्होंने हमें धमकी दी थी कि अगर हमने गायत्री परिवार का अनुसरण करना नहीं छोड़ा तो हमें गंभीर परिणाम भुगतने होंगे। इसलिए हमने गांव छोड़ने का फैसला किया।

सपना सच हो रहा है 

 

नूरेती कहा कि वे हमेशा से अपने गांव-घर वापस लौटना चाहते थे। जनपद पंचायत के सदस्य पूर्व रह चुके हैं नूरेती ने कहा किअब ऐसा लगता है कि हमारा सपना सच हो जाएगा क्योंकि वहां पुलिस कैंप स्थापित हो गया है और हालात सुधरने लगे हैं। बता दें कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह लगातार इस बात पर जोर देते रहे हैं कि आदिवासियों को विकास से जोड़ते हुए उन्हें मुख्य धारा में लाना है।

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