देशभर में कई ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म कैश-ऑन-डिलीवरी (COD) पर अतिरिक्त उगाही करते हैं। सीओडी के नाम पर लोगों को चूना लगाने का मामला अब केंद्र सरकार तक पहुंच गया है। केंद्रीय उपभोक्ता मामलों के मंत्री प्रल्हाद जोशी ने सीओडी के नाम पर लोगों से अतिरिक्त चार्ज वसूलने वाले ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म के खिलाफ एक्शन लेने की बात कही है।
पिछले हफ्ते सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हुआ। इसमें ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म द्वारा लगाए जा रहे कई फीस का जिक्र किया गया। वीडियो में कई लोगों ने इसे डार्क पैटर्न कहा। यूजर्स का आरोप है कि कंपनियां 'पेमेंट हैंडलिंग फीस' और 'ऑफर हैंडलिंग फीस' के नाम पर उगाही कर रही हैं।
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अतिरिक्त फीस लगाना उपभोक्ता का शोषण: केंद्र
बाद में केंद्रीय मंत्री प्रल्हाद जोशी ने भी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि उपभोक्ता मामलों के विभाग को ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म द्वारा कैश-ऑन-डिलीवरी के लिए अतिरिक्त शुल्क लेने के खिलाफ शिकायतें मिली हैं। इस प्रैक्टिस को एक डार्क पैटर्न माना जाता है। यह उपभोक्ताओं को गुमराह और उनका शोषण करता है।
कहां से शुरू हुआ मामला?
शख्स ने एक्स पर लिखा-जोमैटो/स्विगी/जेप्टो के रेन फीस को भूल जाइए। फ्लिपकार्ट का मास्टरस्ट्रोक देखिए- ऑफर हैंडलिंग फीस (मुझे आपके द्वारा विज्ञापित छूट देने के लिए?) भुगतान हैंडलिंग फीस (मुझे आपको भुगतान करने देने के लिए?) प्रोटेक्ट प्रॉमिस फीस (मुझे किस... संतुष्टि से बचाने के लिए?) अगला स्क्रॉलिंग ऐप फीस होगा।
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'डार्क पैटर्न' क्या हैं?
डार्क पैटर्न भ्रामक डिजाइन तकनीक है। इसका इस्तेमाल ई-कॉमर्स कंपनियां मूल्य निर्धारण की रणनीतियों से उपभोक्ता के खरीद व्यवहार में हेरफेर करती हैं। कई बार कंपनियां कहती हैं कि ऑफर कुछ मिनटों में समाप्त हो जाएगा। कुछ समय का स्टॉक सिर्फ एक या दो ही बचा है। यह सब डार्क पैटर्न का हिस्सा है।