भारत आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) को लेकर बेहद उत्साहित है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 'AI एक्शन समिट' में हिस्सा लेने फ्रांस गए थे। उन्होंने फ्रांस में कहा कि भारत AI के सेक्टर में अपने अनुभव और दक्षता को दुनिया से साझा करने के लिए पूरी तरह से तैयार है।
दुनिया की AI पर निर्भरता बढ़ती जा रही है। AI क्रिएटिविटी के क्षेत्र में क्रांतिकारी तकनीक साबित हो रही लेकिन इसके संभावित जोखिम भी है। अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेन्स ने पेरिस समिट के दौरान सभी देशों को AI पर रेग्युलेशन लाने की नसीहत भी दी है।
हेल्थ सेक्टर में AI के जोखिम को लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) तक दुनिया को आगाह कर चुका है। वजह यह है कि कई मुद्दों पर AI मशीन लर्निंग के जरिए अलग-अलग तथ्यों से प्रभावित हो सकता है, जिसका नतीजा उसके आंकलनों पर भी पड़ सकता है।
मेडिकल सेक्टर में जरा सी चूक किसी गंभीर खतरे पैदा सकती है। हेल्थ केयर सिस्टम अगर AI पर निर्भर हो रहा है तो इसके लिए इस तकनीक पर अभी और काम करने की जरूरत है। अमेरिका के नेशनल हेल्थ सर्विस ने भी इसके जोखिमों पर बात की है।
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हेल्थ के किन विभागों में हो रहा AI का इस्तेमाल?
WHO के मुताबिक दवाइयों, बीमारियों के अनुमान, हेल्थ रिकॉर्ड्स को तैयार करने, कैंसर रिसर्च, टीबी, ट्रेडिशनल मेडिसिन, हेल्थ केयर प्लान, हेल्थ मॉनिटरिंग, वर्चु्अल हेल्थ केयर, AI रोबोट बेस्ड सर्जरी, मेंटल हेल्थ, क्लाइमेट चेंज से जुड़े मामलों में AI की मदद ली जा रही है। AI एक बेहतर खोज है लेकिन यह मशीन की ही उपज है। मानव स्वास्थ्य पर इसके जोखिम भी हैं, जिन्हें लेकर WHO चिंता जता चुका है। आइए उन जोखिमों के बारे में जानते हैं, जो AI की वजह से सामने आ सकते हैं।
- AI गलत और भ्रामक आंकड़े दे सकता है। इंटरनेट और वेबसाइट्स पर कई ऐसे आर्टिकल हैं, जिनमें भ्रामक जानकारियां दी गई हैं, AI खुद से सही और गलत नहीं चुन सकता है। यह अधूरे सलाह दे सकता है। अगर इन नतीजों के इनपुट पर स्वास्थ्य विभाग कोई फैसला लेता है तो इसे परिणाम गंभीर हो सकते हैं।
- AI के इनपुट नस्ल, समूह, वंशावली, सेक्स और लैंगिक पहचान से प्रभावित हो सकते हैं।
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- AI के आंकलन इंसानी शरीर पर होने वाले संभावित जोखिमों को या लाभ को बता सकते हैं लेकिन उनके सुझाव अपनाने पर स्वास्थ्य संबंधी जोखिम भी हो सकते हैं।
- हर व्यक्ति की मेडिकल हिस्ट्री और इम्युनिटी को भांप कर डॉक्टर इलाज करते हैं, AI यह संतुलन नहीं बना सकता है। चिकित्सक अपने अनुभवों के हिसाब से किसी दवाई की डोज तय करते हैं, उनमें बदलाव करते हैं, AI इस पैमानों को भांपने में चूक सकता है।
- चिकित्सा हमेशा किसी 'व्यक्तिगत' होती है, AI का सुझाव सबके के लिए एक सा होता है। जैसे अगर किसी के बाल झड़ रहे हैं, AI टूल की मदद से अगर इससे जुड़ी औषधियों के रासायनिक फॉर्मूले तैयार किए जाएं तो इसकी संभावना है AI बच्चे, बुजुर्ग और युवाओं के लिए एक जैसे फॉर्मूले तैयार करे। हर उम्र की दवाइयां अलग-अलग होती हैं, जैसे बूढ़े की दवाई बच्चे को बीमार सकती है, बच्चे की दवाई जवान को। AI यह अंतर नहीं कर सकता है।
- रोबोटिक्स ट्रीटमेंट में भी AI पर पूरी तरह से निर्भरता मरीज के लिए जानलेवा हो सकती है। सर्जरी जैसे प्रॉसेस में अगर डॉक्टर पूरी तरह से AI पर निर्भर हो जाएं तो कोई टेक्निकल ग्लिच आई तो जोखिम पैदा हो सकते हैं।