logo

ट्रेंडिंग:

एंट्रिक्स देवास मामला: ISRO के दो पूर्व अधिकारी के खिलाफ जांच के आदेश

इसरो के पूर्व अतिरिक्त सचिव वीना एस राव ने यह सवाल उठाया था कि इस मामले में शामिल कई अधिकारियों को शामिल नहीं किया गया है।

representational image। Photo Credit: PTI

प्रतीकात्मक तस्वीर । Photo Credit: PTI

दिल्ली की एक विशेष सीबीआई अदालत ने 2005 में इसरो की कंपनी एंट्रिक्स कॉर्प और स्टार्टअप कंपनी देवास मल्टीमीडिया के बीच हुए एक असफल सैटेलाइट लॉन्च सौदे से जुड़े मामले में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के दो पूर्व वरिष्ठ अधिकारियों की भूमिका की जांच के आदेश दिए हैं।

 

अदालत ने इसरो के पूर्व अतिरिक्त सचिव और वित्त सदस्य एस.के. दास और पूर्व आईएएस अधिकारी आर.जी. नदादुर की भूमिका की जांच के लिए कहा है। नादादुर उस समय अंतरिक्ष विभाग (डीओएस) में संयुक्त सचिव और सतर्कता अधिकारी थे, जब एंट्रिक्स-देवास सौदा तय हुआ था।

 

यह भी पढ़ेंः कौन हैं सुशीला कार्की जिनका नाम नेपाल संकट के बीच अचानक से उछला?

सौदे पर विवाद

2005 का एंट्रिक्स-देवास सौदा अभी सीबीआई की भ्रष्टाचार जांच, प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की मनी लॉन्ड्रिंग जांच और इसरो की इकाइयों और देवास के विदेशी निवेशकों के बीच 1.2 बिलियन डॉलर के अंतरराष्ट्रीय मुआवजे के विवाद का विषय है।

 

इसरो के पूर्व अतिरिक्त सचिव वीना एस. राव ने सीबीआई पर सवाल उठाए थे कि इस सौदे में शामिल कई अधिकारियों को जांच में शामिल क्यों नहीं किया गया, जबकि कई लोग इसकी चर्चा और मंजूरी का हिस्सा थे। सीबीआई ने 2019 में राव, पूर्व इसरो अध्यक्ष जी. माधवन नायर और सात अन्य पूर्व इसरो/देवास अधिकारियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी।

कोर्ट का फैसला

2 सितंबर को सीबीआई विशेष अदालत ने कहा कि एस.के. दास और आर.जी. नादादुर की भूमिका और इस सौदे से जुड़े दस्तावेजों की जांच जरूरी है। अदालत ने स्पष्ट किया कि वह यह नहीं कह रही कि ये दोनों अधिकारी आपराधिक रूप से शामिल हैं, लेकिन उनकी भूमिका की और जांच होनी चाहिए। सीबीआई को दो महीने में जांच पूरी करने को कहा गया है।

राव की याचिका

2020 में राव ने अदालत में याचिका दायर कर कई इसरो/डीओएस अधिकारियों की जांच की मांग की थी, जो 2004-05 में इस सौदे से जुड़े थे। इनमें एस.के. दास, पी.एस. गोयल, आर.जी. नादादुर, एस.वी. रंगनाथ और इकरामुल्लाह शामिल थे। राव ने पूर्व इसरो वैज्ञानिक के.एन. शंकर, जो शंकर समिति के प्रमुख थे, और इसरो के पूर्व अध्यक्ष डॉ. के. कस्तूरीरंगन की भूमिका की भी जांच की मांग की थी।

 

अदालत ने कहा कि कस्तूरीरंगन और शंकर के खिलाफ जांच संभव नहीं है, क्योंकि दोनों का निधन हो चुका है। रंगनाथ, गोयल और अन्य के खिलाफ जांच के लिए पर्याप्त आधार नहीं मिले। लेकिन दास और नादादुर के मामले में अदालत ने जांच के आदेश दिए।

दास और नादादुर की भूमिका

एस.के. दास 2003 से इस सौदे की जानकारी में थे। 17 मार्च 2005 को एंट्रिक्स बोर्ड की बैठक में दास मौजूद थे, जहां 144 मिलियन डॉलर के सौदे की बात हुई थी। अदालत ने कहा कि दास को कैबिनेट नोट में सही जानकारी देनी चाहिए थी, जिसमें गलत तरीके से कहा गया कि कई कंपनियां सैटेलाइट क्षमता के लिए इच्छुक थीं, जबकि केवल देवास के साथ समझौता हुआ था।

 

नादादुर 2004 में शंकर समिति के सदस्य थे, जो इस सौदे की तकनीकी और वित्तीय व्यवहार्यता की जांच के लिए बनाई गई थी। अदालत ने कहा कि नादादुर की भूमिका की जांच अधूरी है। नादादुर ने कैबिनेट नोट में यह नहीं बताया कि जी-सैट 6 सैटेलाइट की ट्रांसपोंडर क्षमता पहले ही देवास को दी जा चुकी थी।

सौदा क्यों रद्द हुआ?

2011 में यूपीए सरकार ने इस सौदे को रद्द कर दिया, क्योंकि सैटेलाइट के लिए आवंटित स्पेस स्पेक्ट्रम की सुरक्षा जरूरतों के लिए आवश्यकता थी। इसे 2जी घोटाले के बाद यूपीए सरकार के दौरान भ्रष्टाचार का एक और मामला माना गया।

 

इस सौदे में इसरो को 12 साल के लिए दो संचार सैटेलाइट 167 करोड़ रुपये में देवास को किराए पर देने थे। देवास को जी-सैट 6 और 6ए सैटेलाइट्स के एस-बैंड ट्रांसपोंडर का उपयोग कर मोबाइल प्लेटफॉर्म पर मल्टीमीडिया सेवाएं देनी थीं।

अंतरराष्ट्रीय विवाद

2014 में एनडीए सरकार के सत्ता में आने के बाद सीबीआई और ईडी ने इसकी जांच शुरू की। देवास के विदेशी निवेशकों ने मुआवजे के लिए अंतरराष्ट्रीय मंचों का रुख किया। अंतरराष्ट्रीय चैंबर ऑफ कॉमर्स ने देवास को 1.2 बिलियन डॉलर, ड्यूश टेलीकॉम को 101 मिलियन डॉलर और मॉरीशस के निवेशकों को 111 मिलियन डॉलर का मुआवजा दिया।

 

यह भी पढ़ेंः तोड़फोड़, आगजनी के बाद शांत होगा नेपाल? पूरे देश में लागू हुआ कर्फ्यू

भारत में कानूनी कार्रवाई

25 मई 2021 को राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) ने देवास मल्टीमीडिया को धोखाधड़ी के आधार पर बंद करने का आदेश दिया, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने 17 जनवरी 2022 को बरकरार रखा।

 

5 जून 2025 को अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने 2023 के एक अपीलीय कोर्ट के फैसले को पलट दिया, जिसमें कहा गया था कि एंट्रिक्स को अमेरिकी अदालतों में मुकदमे के लिए अमेरिका में कुछ कारोबार करना जरूरी है। अब यह मामला फिर से चर्चा में है।

Related Topic:#ISRO#CBI

शेयर करें

संबंधित खबरें

Reporter

और पढ़ें

हमारे बारे में

श्रेणियाँ

Copyright ©️ TIF MULTIMEDIA PRIVATE LIMITED | All Rights Reserved | Developed By TIF Technologies

CONTACT US | PRIVACY POLICY | TERMS OF USE | Sitemap