इंजीनियर और कॉर्पोरेट ऑफिस में मोटी सैलरी की नौकरी छोड़ बन गए बाबा
ऐसे कई बाबा या धर्मगुरु हैं जिन्होंने IIT या IIM जैसे बड़े कॉलेज से डिग्री ली, अच्छे पैकेज पर नौकरी की लेकिन फिर सब कुछ छोड़कर बाबा बन गए। खबरगांव कुछ ऐसे बाबा के बारे में आपको बता रहा है।

क्रिएटिव इमेज । खबरगांव
महाकुंभ जब से शुरू हुआ है तब से इसकी खबरें चर्चा में हैं। महाकुंभ में आने वाले बाबा भी चर्चा में हैं। अलग अलग बाबाओं और संतों की अपनी-अपनी विशेषताएं हैं। किसी ने सालों से अपना एक हाथ हवा में ऊपर उठा रखा है तो कोई अपनी 40 साल पुरानी कार की वजह से चर्चा में है।
इन सबके बीच एक और बाबा काफी चर्चा में आए। उनकी खासियत यह है कि वह आईआईटी से बीटेक हैं और अपनी एक अच्छी खासी नौकरी छोड़कर संन्यासी बन गए। इन बाबा का नाम अभय सिंह है। बाबा के ढेरों इंटरव्यू लिए जा रहे हैं और दो दिनों से वह मीडिया में छाए हुए है।
लेकिन वह पहले ऐसे बाबा नहीं है जिनके पास आईआईटी या आईआईएम जैसी डिग्री हो। कई ऐसे बाबा हैं जिन्होंने न सिर्फ आईआईटी आईआईएम जैसे बड़े बड़े संस्थानों से डिग्री ली। कुछ बाबा ऐसे भी हैं जिन्होंने प्राइवेट सेक्टर की बड़ी-बड़ी नौकरियां ही नहीं छोड़ी हैं बल्कि सिविल सर्विसेज में सेलेक्शन के बाद बाबा बनने के विकल्प को चुना।
तो खबरगांव आपको ऐसे कुछ बाबा या संतों के बारे में बता रहा है-
बीके शिवानी
बीके शिवानी ब्रह्म कुमारीज़ से जुड़ी हुई हैं या कहें कि मौजूदा वक्त में वह ब्रह्म कुमारी का मुख्य चेहरा हैं। 52 साल की बीके शिवानी के माता-पिता ब्रह्मकुमारीज़ से जुड़े हुए थे, इसलिए वह भी छोटी उम्र से ही ध्यान और प्रवचन के लिए ब्रह्म कुमारीज जाया करती थीं।
इन्होंने अपना ग्रेजुएशन इलेक्ट्रॉनिक इजींनियरिंग में सावित्री बाई फुले यूनिवर्सिटी से पूरा किया और इसके बाद महाराष्ट्र इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नॉलजी से कंप्यूटर इंजीनियरिंग में मास्टर की डिग्री ली।
पहले वह ब्रह्म कुमारीज़ के लिए बैकस्टेज में काम करती थीं। लेकिन 2007 में उन्हें टीचर्स की कमी के चलते उन्हें वहां आने वाले लोगों के सवालों का उत्तर देने के लिए कहा गया।
बीके शिवानी शादीशुदा हैं। उनकी शादी विशाल वर्मा से हुई जिनकी वह साल 2004 तक सॉफ्टवेयर कंपनी भी चलाती थीं।
आचार्य प्रशांत
आचार्य प्रशांत अद्वैत वेदांत फाउंडेशन चलाते हैं और उनके प्रवचन मुख्य रूप से अद्वैत वेदांत पर आधारित हैं। आचार्य प्रशांत आईआईटी से बीटेक हैं इसके बाद उन्होंने आईआईएम से एमबीए किया।
आचार्य प्रशांत ने कई इंटरव्यू में बताया है कि उन्होंने यूपीएससी की परीक्षा भी पास की और सिविल सर्वेंट के रूप में भी उनका सेलेक्शन हुआ था, लेकिन उन्होंने वहां भी ज्वाइन नहीं किया और संन्यास धारण कर लिया।
उनके मुताबिक उन्होंने कई वर्षों तक वेदों और उपनिषदों का अध्ययन किया और अब वह वेदों और उपनिषदों की शिक्षाओं को लोगों तक पहुंचाते हैं।
Acharya Prashant के नाम से उनका यूट्यूब चैनल भी है और उन्होंने दर्जनों किताबें भी लिखी हैं।
लेकिन आचार्य प्रशांत आपको बाबा वाले वेश में बिल्कुल भी नहीं दिखेंगे। वह पैंट-शर्ट-ब्लेजर पहनते हैं।
आचार्य प्रशांत की बाइक चलाते हुए भी फोटो भी यदा-कदा सोशल मीडिया पर दिख जाती है। वह वीगनिज़म पर काफी जोर देते हैं और मांसाहार के विरोधी हैं।
अमोघ लीला दास
अमोघ लीला दास एक साधु, मोटीवेशनल स्पीकर और सोशल वर्कर हैं जो कि इंटरनेशनल सोसायटी फॉर कृष्णा कॉन्शसनेस (इस्कॉन) से जुड़े हुए हैं। उनका एक नाम अमोघ लीला प्रभु भी है।
उनका जन्म एक पंजाबी परिवार में हुआ। उनका वास्तविक नाम आशीष अरोड़ा है। अमोघ लीला दास ने 2004 में देलही कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग से सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग की डिग्री ली। इसके बाद उन्होंने इस्कॉन ज्वाइन करने से पहले एक मल्टीनेशनल कंपनी में काम भी किया।
कुछ दिन पहले वह स्वामी विवेकानंद और रामकृष्ण परमहंस पर एक टिप्पणी की वजह से विवादों में भी घिर गए थे।
गौर गोपाल दास
गौर गोपाल दास भी इस्कॉन से जुड़े हुए संत हैं। सोशल मीडिया पर उनके लाखों फॉलोवर्स हैं। उनका जन्म महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले के वाम्बोरी में हुआ था।
गौर गोपाल दास ने पुणे के कसरो वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नॉलजी से इलेक्ट्रिक इंजीनियरिंग में डिग्री ली। डिग्री लेने के बाद थोड़े समय के लिए उन्होंने एचपी (हैवलेट पैकर्ड) में नौकरी भी की। कुछ सालों के बाद उन्होंने नौकरी छोड़ दी और इस्कॉन ज्वाइन कर लिया।
2018 में उन्होंने एक किताब 'लाइफ'स अमेजिंग सीक्रेट्स' भी लिखी और केआईआईटी से उन्हें डॉक्टरेट की मानद उपाधि भी दी गई।
मुकुंदानंद
स्वामी मुकुंदानंद आध्यात्मिक गुरु और वेदों के जानकार हैं। इसके अलावा वह योग और ध्यान भी सिखाते हैं। मुकुंदानंद जगद्गुरु कृपालु जी महाराज के शिष्य है।
मुकुंदानंद ने अपनी बीटेक की डिग्री आईआईटी से पूरी की इसके बाद भारत के टॉप मोस्ट मैनेजमेंट कॉलेज आईआईएम से एमबीए की डिग्री ली। आईआईएम की डिग्री लेने के बाद उन्होंने एक मल्टीनेशनल कंपनी में कुछ समय के लिए नौकरी भी की।
अपने एक इंटरव्यू में उन्होंने बताया कि अध्यात्म की तरफ उनका रुझान कॉलेज के समय से ही हो गया था। नौकरी करते वक्त उन्हें ऐसा लगा कि उन्हें संन्यास की तरफ उन्मुख होना चाहिए।
श्री श्री रविशंकर
श्री श्री रविशंकर का नाम देश में सभी जानते हैं। उन्होंने ‘ट्रांसेन्डेन्टल मेडिटेशन’ और ‘आर्ट ऑफ लिविंग’ की शुरुआत की। वह महर्षि महेश योगी के शिष्य हैं।
श्री श्री रविशंकर का जन्म तमिलनाडु के पापनासम जिले में हुआ था। उन्होंने सेंट जोसेफ यूनिवर्सिटी बैंगलुरु से साइंस में डिग्री ली।
लेकिन अध्यात्म की तरफ उनका झुकाव होने की वजह से उन्होंने संन्यास धारण कर लिया।
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