• GUWAHATI 26 May 2025, (अपडेटेड 26 May 2025, 8:29 AM IST)
मोहम्मद युनुस ने अपने चीन दौरे के दौरान कहा था कि पूर्वोत्तर के सातों राज्य जमीन से चारों ओर से घिरे हैं, इसलिए बांग्लादेश इस इलाके में समंदर का एकमात्र संरक्षक है। उन्होंने चीन से व्यापार बढ़ाने की मांग की थी। पढ़ें रिपोर्ट।
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असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्व सरमा बंगाल की अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस के 'चिकन नेक' कॉरिडोर पर दिए गए बयान पर एक बार फिर पलटवार किया है। उन्होंने कहा है कि जो लोग चिकन नेक कॉरिडोर पर भारत को आदतन धमकी देते हैं, उन्हें ध्यान देना चाहिए कि बांग्लादेश में जमीन के दो ऐसे संकरे क्षेत्र हैं जो कहीं अधिक असुरक्षित हैं। सिलिगुड़ी कॉरिडोर को भारत का चिकन नेक कहते हैं। 22 से 35 किलोमीटर चौड़े इस रास्ते से ही पूर्वोत्तर के राज्य भारत से जुड़े हैं।
सीएम हिमंता ने कहा कि बांग्लादेश के लिए किसी एक चिकन नेक में अगर दुश्वारियां आईं तो वहां की आर्थिक और राजनीतिक राजधानियों के बीच संपर्क टूटेगा, पूरा रंगपुर संभाग देश के अन्य हिस्सों से अलग हो जाएगा।
सीएम हिमंत ने कहा, 'मैं केवल भौगोलिक तथ्य प्रस्तुत कर रहा हूं, जिसे कुछ लोग भूल सकते हैं। भारत के सिलीगुड़ी कॉरिडोर की तरह, हमारे पड़ोसी देश में भी दो संकरे गलियारे हैं।'
बांग्लादेश के 2 चिकन नेक कौन से हैं? सीएम हिमंता ने कहा, 'जो लोग आदतन भारत को चिकन नेक कॉरिडोर पर धमकाते रहते हैं, उन्हें यह तथ्य भी ध्यान में रखना चाहिए बांग्लादेश में भी दो चिकन नेक हैं। दोनों ही बहुत ज्यादा असुरक्षित हैं। पहला है 80 किलोमीटर लंबा उत्तरी बांग्लादेश कॉरिडोर, दखिन दिनाजपुर से दक्षिण पश्चिम गारो हिल्स तक। यहां कोई भी व्यवधान, पूरे रंगपुर डिवीजन को बांग्लादेश के बाकी हिस्सों से पूरी तरह से अलग कर सकता है।'
सीएम हिमंत ने कहा, 'दूसरा, 28 किलोमीटर लंबा चटगांव कॉरिडोर है, जो दक्षिण त्रिपुरा से बंगाल की खाड़ी तक है। भारत के चिकन नेक से भी छोटा यह गलियारा बांग्लादेश की आर्थिक राजधानी और राजनीतिक राजधानी के बीच एकमात्र संपर्क मार्ग है।'
सिलिगुड़ी कॉरिडोर के जरिए भारत पूर्वोत्तर राज्यों से जुड़ा हुआ है। इसे भारत का चिकन नेक भी कहते हैं। पूर्वोत्तर तक संपर्क का यही इकलौता जरिया है। नेपाल और बांग्लादेश से घिरा है। यह इलाका करीब 22 किलोमीटर का है। बांग्लादेश की अस्थिरता, इस राह की सबसे बड़ी बाधा है। चीन भी इस इलाके में सक्रिय है। भारतीय सेना के लिए यह इलाका संवेदनशील है।