बांग्लादेश में अराजकता की आग थमने का नाम ही नहीं ले रही है। हिंदुओं समेत अल्पसंख्यकों पर लगातार अत्याचार किया जा रहा है। भारत लगातार इस मुद्दे को लेकर बांग्लादेश की अतंरिम सरकार के प्रधानमंत्री मुहम्मद यूनुस को आगाह कर रही है लेकिन अब तक कोई साकारात्मक परिणाम नहीं आए है।
सख्ती से निपट रहा भारत
अब भारत ने पड़ोसी देश से सख्ती से निपटने का फैसला किया है। दरअसल, त्रिपुरा ने बांग्लादेश को 135 करोड़ रुपये का बकाया चुकाने का आदेश दिया है। सीधे शब्दों में समझें तो बढ़ती भारत गतिविधियों के बीच त्रिपुरा ने बांग्लादेश को अल्टीमेटम दे दिया है। बता दें कि बांग्लादेश के ब्राह्मणबारिया जिले में ढाका से होकर जा रही अगरतला-कोलकाता बस पर शनिवार को ट्रक और ऑटोरिक्शा की टक्कर के बाद हमला हुआ था। एक समूह ने यात्रियों को धमकाया और भारत विरोधी नारे भी लगाए।
त्रिुपरा 160 मेगावट बिजली बांग्लादेश को देता है
बता दें कि बांग्लादेश ने एनटीपीसी विद्दुत व्यापार निगम लिमिटेड के साथ बिजली व्यापार समझौता किया था जिसके मद्देनजर बांग्लादेश पर त्रिपुरा का 135 करोड़ रुपये बिजली का बकाया है। अब राज्य ने तत्काल बकाया राशि भुगतान करने की मांग की है। इस समझौते के तहत त्रिुपरा 160 मेगावट बिजली बांग्लादेश को देता है। त्रिपुरा के बिजली मंत्री रतन लाल नाथ ने रविवार को कहा, '135 करोड़ रुपये बकाया हैं। बांग्लादेश नियमित रूप से भुगतान करता रहा है। बिजली की प्रत्येक यूनिट के लिए हम 6.65 रुपये चार्ज कर रहे हैं जो घरेलू कनेक्शन से मिलने वाली दर की तुलना में काफी कम है।'
भारतीय अधिकारियों ने लिखा पत्र
इससे पहले, मई 2024 में, त्रिपुरा राज्य विद्युत निगम लिमिटेड (TSECL) ने बांग्लादेश विद्युत विकास बोर्ड (BPDB) को बिजली आपूर्ति प्रतिबंधित कर दी थी क्योंकि वह समय पर भुगतान नहीं कर पाए थे। पिछले साल के आंकड़े को देखें तो बांग्लादेश के अधिकारियों ने समय पर भुगतान नहीं किया जिससे बकाया राशि बढ़ती चली गई। भारतीय अधिकारियों ने बांग्लादेश के अधिकारियों को पत्र लिखा हैं। TSECL के प्रबंध निदेशक देबाशीष सरकार ने कहा कि बकाया राशि बढ़ने के कारण TSECL को आर्थिक रूप से भी मुश्किल समय का सामना करना पड़ रहा है।
देबाशीष सरकार ने बताया कि समझौते के अनुसार बांग्लादेश को त्रिपुरा से 160 मेगावाट बिजली प्राप्त करने का अधिकार है। उन्होंने बताया कि 'त्रिपुरा स्थित बिजली संयंत्रों में बिजली उत्पादन में 60 से 70 मेगावाट की गिरावट आई है। हम पहले बिजली अधिशेष वाले राज्य थे, लेकिन अब हम बढ़ती घरेलू मांग से निपटने के लिए एक्सचेंज से बिजली खरीद रहे हैं।