साल 2004 में सक्रिय राजनीति में उतरे कांग्रेस नेता राहुल गांधी अपनी छवि गढ़ने में लगे हुए थे। साल 2009 के बाद वह और आक्रामक हो गए थे। कभी अपनी ही सरकार का अध्यादेश फाड़ देते तो कभी बाहें मोड़कर एंग्री यंग मैन दिखने की कोशिश करते। कांग्रेस में उनकी इस छवि को लेकर अलग-अलग राय हुआ करती थी। इसी बीच एक ऐसा कांड हुआ था जिसे आज भी राहुल गांधी की वजह से और बड़े स्तर पर जाना जाता है। यह घटना साल 2011 की है जब राहुल गांधी अचानक नोएडा के पास के गांवों में पहुंच गए और उत्तर प्रदेश की मायावती सरकार पर जमकर बरसे। यह घटना भट्टा-पारसौल कांड के नाम से चर्चित उस वाकये की है जिसमें कई किसान मारे गए थे और बाद में राहुल गांधी भी वहां गए।
उन दिनों देश के अलग-अलग हिस्सों में अलग-अलग प्रोजेक्ट जैसे कि सड़क निर्माण, शहर विकास और अन्य कामों के लिए जमीन का अधिग्रहण हो रहा था। इसी क्रम में साल 2009 में यमुना प्राधिकरण के अधिकारी नोएडा के दो गांव भट्टा और पारसौल गए और जमीन का अधिग्रहण करने का ऐलान कर दिया। इन अधिकारियों का कहना है था कि यहां पर ग्रेटर नोएडा के सेक्टर 18 और सेक्टर 20 बनाए जाने हैं। खेती की जमीनों का अधिग्रहण होने की बात सुनकर किसान सन्न रह गए। कहा गया कि जमीन के बदले किसानों को मुआवजा दिया जाएगा। हालांकि, यह मुआवजा इतना कम था कि किसान विरोध पर उतर आए।
हुआ क्या था?
2009 में हुए ऐलान के बाद से ही गाहे-बगाहे अपना विरोध दर्ज कराने वाले किसान 17 जनवरी 2011 को खुलेआम सड़क पर उतरने लगे। एक प्रभावशाली किसान मनवीर तेवतिया गांव-गांव जाकर किसानों के साथ बैठक करने लगे। राजनीतिक दल भी किसानों के साथ आने लगे। यह आंदोलन धीरे-धीरे आक्रामक हो रहा था और सरकार इसे दबाने की कोशिश कर रही थी। मायावती मुख्यमंत्री थीं और उन्हें अगले साल चुनाव लड़ना था। इसी बीच 7 मई 2011 को पुलिस और किसानों के बीच का संघर्ष हिंसक हो गया। इसमें दो पुलिसकर्मियों और दो किसानों की जान गई। कई किसानों के खिलाफ गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज हुआ।
5 जुलाई 2011 की सुबह राहुल गांधी अचानक भट्टा-पारसौल गांव पहुंच गए। रास्ते में उन्हें पुलिस न रोके इसलिए वह उस समय कांग्रेस के नेता रहे धीरेंद्र सिंह की बाइक पर बैठकर वहां पहुंचे और प्रभावित किसानों से मुलाकात की। किसानों के बीच पैदल चलते राहुल गांधी की तस्वीर ने सनसनी मचा दी थी। यही नहीं राहुल गांधी ने भट्टा पारसौल से एक पैदल यात्रा भी निकाल दी जो अलीगढ़ तक गई। भट्टा पारसौल जाने से पहले मई के महीने में ही राहुल गांधी ने आरोप लगाए थे कि इन गांवों के 74 किसानों की मौत हो चुकी है, उस वक्त राहुल गांधी ने कई तस्वीरें भी जारी की थीं। इतना ही नहीं, उन्हों कई महिलाओं के साथ बलात्कार किए जाने के भी आरोप लगाए थे।
आगे क्या हुआ?
2012 में जब चुनाव हुआ तो मायावती चुनाव हार गईं। सपा को जीत मिली और अखिलेश यादव सीएम बने। समय के साथ भट्टा-पारसौल आंदोलन के समय दर्ज हुए मुकदमे वापस लिए गए। कुछ मुकदमे अखिलेश सरकार ने वापस कराए तो कुछ योगी सरकार ने वापस ले लिए। हालांकि, आज भी कई किसानों को तय तारीख पर हाजिरी लगाने थाने जाना होता है। कई किसान ऐसे भी हैं जिन्हें मुआवजा या प्लॉट नहीं मिल पाया है।