CAG ऑडिट रिपोर्ट में देरी पर घिरी AAP, पढ़िए क्यों उत्साहित है BJP?
देश
• NEW DELHI 19 Dec 2024, (अपडेटेड 19 Dec 2024, 12:02 PM IST)
दिल्ली के विधानसभा चुनाव से पहले ऐसा लग रहा है कि CAG रिपोर्ट एक बड़ा चुनावी मुद्दा बन सकता है। LG के जवाब के बाद ऐसा भी लग रहा है कि जल्द ही रिपोर्ट सामने आ जाएंगी।
CAG रिपोर्ट पर आमने-सामने हैं AAP और BJP
दिल्ली चुनाव से पहले CAG ऑडिट रिपोर्ट चर्चा में है। विपक्षी भारतीय जनता पार्टी (BJP) सत्ताधारी आम आदमी पार्टी (AAP) पर आरोप लगा रही है कि वह जानबूझकर CAG रिपोर्ट पेश करने में देरी कर रही है। बीजेपी इसे चुनावी मुद्दा भी बनाना चाह रही है। इस बीच दिल्ली के उपराज्यपाल वी के सक्सेना ने कहा है कि दिल्ली सरकार एक विशेष सत्र बुलाकर CAG रिपोर्ट पेश करे। रोचक बात है कि 2013 से पहले अरविंद केजरीवाल खुद CAG रिपोर्ट सार्वजनिक करने और इसके आंकड़ों के आधार पर तमाम सरकारों और पार्टियों को खूब घेरते थे। अब विपक्षी बीजेपी भी आरोप लगा रही है कि वही केजरीवाल सीएजी रिपोर्ट दबाकर बैठे हैं।
उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने सोमवार को ही दिल्ली हाई कोर्ट को बताया था कि प्रदूषण और एक्साइज ड्यूटी जैसे मामलों से जुड़ी CAG रिपोर्ट को मंजूरी दे दी गई है। दरअसल, बीजेपी नेताओं ने एक याचिका दायर करके मांग की थी कि CAG रिपोर्ट को विधानसभा के पटल पर रखा जाए। इसके तहत कुल 14 फाइलों को विधानसभा में रखा जाना है। अब देखना यह है कि इन रिपोर्ट को सार्वजनिक तौर पर सदन के पटल पर रखने के लिए विशेष सत्र कब बुलाया जाता है।
राजनीतिक तौर पर देखें तो आम आदमी पार्टी फिलहाल फ्रंटफुट पर खेल रही है। AAP नेताओं को जमानत मिल जाने के बाद उसके नेता बार-बार कह रहे हैं कि उन्होंने तो कुछ किया ही नहीं। भले ही मामला अभी कोर्ट में पेंडिंग हो लेकिन राजनीतिक तौर पर AAP इसका फायदा उठा रही है। फ्री बिजली, पानी, और अन्य मुफ्त की योजनाओं पर अरविंद केजरीवाल अभी भी यह कह पा रहे हैं कि वह 'जादूगर' हैं और छड़ी घुमाकर पैसे ले आएंगे। उन्होंने ऑटो वालों के लिए, महिलाओं के लिए और बुजुर्गों के लिए नई और खर्चीली योजनाओं का ऐलान भी कर दिया है।
#WATCH | Delhi LoP Vijender Gupta says, "I challenge the corrupt government of Aam Aadmi Party (AAP). The CAG report that they had been sitting on for 1.5 years. Now, the Court has said that they have to handover the report to the Speaker within 48 hours and convene the Assembly.… pic.twitter.com/jkeEA6oHDO
— ANI (@ANI) December 17, 2024
दूसरी तरफ बीजेपी भले ही लगातार AAP को घेर रही है लेकिन CAG रिपोर्ट के न होने के चलते वह तथ्यों के आधार पर अरविंद केजरीवाल को घेर नहीं पा रही है। BJP को लगता है कि CAG रिपोर्ट के रूप में उसे एक ऐसा हथियार मिल जाएगा जो शायद चुनावी रूप से उसे फायदा दिलाए और AAP के खिलाफ एक मजबूत हथियार भी साबित हो।
CAG की कहानी क्या है?
कॉम्पट्रोलर एंड ऑडिटर जनरल ऑफ इंडिया यानी भारत के नियंत्रक-महालेखा परीक्षक का पद बेहद जिम्मेदारी वाला होता है। CAG का मुख्य काम सरकारों के खर्च, कमाई आदि का ऑडिट यानी जांच करना है। अक्सर देखा गया है कि CAG रिपोर्ट्स में कई वित्तीय गड़बड़ियां सामने आई हैं और ये कई नेताओं के लिए मुश्किलें बढ़ाने वाली भी रही हैं। कई मंत्री और मुख्यमंत्री तक सीएजी रिपोर्ट के बाद अपना पद छोड़ने को मजबूर हुए हैं। शायद यही वजह है कि बीजेपी इस बात पर जोर दे रही है कि चुनाव से ठीक पहले दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार CAG रिपोर्ट पेश करे।
संविधान के अनुच्छेद 148 के मुताबिक, भारत के राष्ट्रपति CAG की नियुक्ति करते हैं। सभी सरकारी संस्थाओं का ऑडिट करने के बाद CAG की रिपोर्ट संसद में या फिर विधानसभा के पटल पर रखी जाती है। कुल मिलाकर यह सार्वजनिक करना होता है कि सरकार जनता के पैसों को कहां और कैसे खर्च कर रही है और इसमें कोई गड़बड़ी तो नहीं हो रही है। इसमें यह भी देखा जाता है कि पैसे देने या कोई काम करवाने के लिए नियमों का ध्यान रखा गया या नहीं।
उदाहरण के लिए- CAG रिपोर्ट के जरिए ही यह सामने आया था कि आयु्ष्मान योजना के तहत ऐसे लोगों के इलाज के नाम पर भी पैसे खर्च कर दिए गए जो पहले ही मर चुके थे। द्वारका एक्सप्रेसवे में ज्यादा खर्च का खुलासा भी CAG रिपोर्ट से ही हुआ था।
पिछली रिपोर्ट में क्या था?
इससे पहले दिल्ली सरकार ने जुलाई 2022 में एक CAG रिपोर्ट सार्वजनिक की थी। इस रिपोर्ट के मुताबिक, सब्सिडी पर दिल्ली के खर्च में लगभग दोगुनी बढ़ोतरी हुई थी। इसी रिपोर्ट में यह भी सामने आया था कि 4 साल में दिल्ली सरकार पर 2268 करोड़ रुपये का कर्ज बढ़ गया है। ये आंकड़े 2019-20 तक के ही थे। इस रिपोर्ट के मुताबिक, 2015-16 में दिल्ली सरकार 32 हजार करोड़ के कर्ज में थी और 2019-20 में यह कर्ज बढ़कर 34 हजार करोड़ से ज्यादा हो गया।
हालांकि, दिल्ली सरकार की कमाई भी जबरदस्त थी। 2019-20 में दिल्ली सरकार का रेवेन्यू सरप्लस 7499 करोड़ रुपये था। यानी जितना दिल्ली सरकार खर्च कर रही थी उससे ज्यादा कमाई हो रही थी। यह रिपोर्ट तत्कालीन डिप्टी सीएम और दिल्ली के वित्त मंत्री मनीष सिसोदिया ने पेश की थी। इस रिपोर्ट में यह भी सामने आया था के दिल्ली में AAP की सरकार के 4 साल में सब्सिडी पर खर्च 92.38 पर्सेंट बढ़ गया था। 2015-16 में सब्सिडी पर खर्च 1867.61 करोड़ था जो 2019-20 में 3592 करोड़ हो गया।
अब जो रिपोर्ट पेश की जानी हैं उनमें 2022 की 5, 2023 की 4 और 2024 की 4 रिपोर्ट हैं। ये रिपोर्ट दिल्ली ट्रांसपोर्ट कॉरपोरेशन के कामकाज, स्वास्थ्य सुविधाएं, शराब की सप्लाई, आर्थिक मामलों, फाइनेंस, प्रदूषण और अन्य चीजों से संबंधित हैं। आखिरी रिपोर्ट आने के बाद से दिल्ली सरकार ने कई अन्य योजनाओं पर खर्च बढ़ाया है और अब नई योजनाओं का ऐलान भी किया है। ऐसे में ये रिपोर्ट दिल्ली सरकार चला रही AAP और विपक्षी BJP के आपकी टकराव का एक अहम मुद्दा हो सकती हैं।
भाजपा के प्रयासों से अंततः कामनवेल्थ खेलों पर सी.ए.जी. रिपोर्टों को उठा कर राजनीति में आये अरविंद केजरीवाल की सरकार के घोटालों पर एक दो नहीं 14 सी.ए.जी. रिपोर्ट अब सामने आयेंगी और केजरीवाल जांच के घेरे में होंगे।
— BJP Delhi (@BJP4Delhi) December 18, 2024
हम विधानसभा अध्यक्ष से मांग करते हैं कि आगामी 21 दिसम्बर को… pic.twitter.com/6mJiaLq8ID
बाकी राज्यों का क्या हाल है?
CAG रिपोर्ट पेश करने के मामले में बाकी राज्यों का क्या हाल है, यह जानने के लिए हमने CAG की आधिकारिक वेबसाइट खंगाली। बिहार ने जुलाई 2024 में, हरियाणा ने मार्च 2023 में, हिमाचल प्रदेश ने अप्रैल 2023 में, मध्य प्रदेश ने जुलाई 2024 में और उत्तर प्रदेश ने अगस्त 2024 में CAG रिपोर्ट पेश की थी।
क्या कह रही है बीजेपी?
CAG रिपोर्ट सामने लाने की अपील करते हुए हाल ही में दिल्ली बीजेपी के अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने कहा, 'बीजेपी के प्रयासों से अंततः कामनवेल्थ खेलों पर सीएजी रिपोर्टों को उठाकर राजनीति में आए अरविंद केजरीवाल की सरकार के घोटालों पर एक दो नहीं 14 सीएजी रिपोर्ट अब सामने आएंगी और केजरीवाल जांच के घेरे में होंगे। हम विधानसभा अध्यक्ष से मांग करते हैं कि आगामी 21 दिसम्बर को विधानसभा का विशेष सत्र बुलाएं और दिल्ली सरकार को वहां सीएजी की सभी 14 रिपोर्ट रखने का निर्देश दें।'
इस मामले में नेता प्रतिपक्ष विजेंद्र गुप्ता कहते हैं, 'CAG की ये 14 रिपोर्ट AAP सरकार के ताबूत में आखिरी कील होंगे। CAG की रिपोर्ट को छिपाना, दबाना और सदन में न रखना हत्या जैसा गंभीर आरोप है।'
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