जगुआर फाइटर जेट: जोखिम, जरूरत, मजबूरी से अलग क्या है इनकी कहानी?
भारतीय वायुसेना में कई ऐसे फाइटर जेट हैं, जिन्हें दो दशक पहले ही रिटायर हो जाना था लेकिन उन्हें अपग्रेड करके चलाया जा रहा है। इसके जोखिम भी हैं। पढ़ें रिपोर्ट।

जगुआर फाइटर जेट। (Photo Credit: IAF)
गुजरात के जामनगर में इंडियन एयरफोर्स का एक फाइटर जेट, हाल ही में ट्रेनिंग के दौरान क्रैश हो गया। हादसे में फ्लाइट लेफ्टिनेंट सिद्धार्थ यादव शहीद हो गए। हादसाग्रस्त फाइटर जेट जगुआर है। दो महीने के अंतराल पर 2 जगुआर एयरक्राफ्ट हादसे का शिकार हुए हैं। 3 मार्च 2023 को भारतीय वायुसेना (IAF) ने अपनी क्षमताओं में विस्तार के लिए एक 'एंपावर रिपोर्ट' रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को सौंपी थी। रक्षा सचिव राजेश कुमार सिंह की अगुवाई में पेश इस रिपोर्ट में वायुसेना के स्क्वार्डन को लेकर कुछ सिफारिशें की गई थीं। रिपोर्ट में कहा गया था कि वायुसेना के स्क्वाड्रन को बढ़ाने के लिए आत्मनिर्भर होने की जरूरत होती।
एंपावर कमेटी की रिपोर्ट में मांग की गई थी कि रक्षा उपकरणों को बनाने के लिए प्राइवेट क्षेत्रों को भी मौका दिया जाए। वायुसेना के पास कुल 31 स्क्वाड्रन हैं, जिनमें 31 ही मौजूदा वक्त में हैं। 42.4 को मंजूरी मिली है। लाइट कॉम्बेट एयरक्राफ्ट MK1A भी नहीं मिल पा रहा है। भारतीय वायुसेना में शामिल कई विमान पुराने हो गए हैं, जिन्हें रिटायर किया जाना है। जगुआर, MIG-29UPG और मिराज-2000 इनमें शामिल हैं। इन विमानों को बहुत पहले ही रिटायर हो जाना चाहिए था लेकिन इन्हें अब तक चलाया जा रहा है। एक तरफ चीन अपने यहां अत्याधुनिक विमानों को शामिल कर रहा है, भारत में अब भी हादसे हो रहे हैं।
4 दशक पुराना विमान फिर भी IAF के खेमे में शामिल
हाल के दिनों में कई फाइटर जेट दुर्घटनाग्रस्त हुए हैं। स्पेसकैट जगुआर 4 दशक से ज्यादा वक्त से भारतीय सेना में शामिल हैं। ये परमाणु शक्ति संपन्न फाइजेट जेट हैं, परमाणु हमले करने में एक जमाने में इस्तेमाल होते थे लेकिन अब ये 4 दशक पुराने हो चुके हैं। साल 1970 में जगुआर भारतीय सेना में शामिल हुए थे। इन विमानों को समय-समय पर अपडेट किया गया, इनमें नई तकनीक इस्तेमाल की गई, ड्युअल इंजन पर जोर दिया गया लेकिन कई बार यह मांग उठी है कि इन्हें रिटायर कर दिया जाए। इन्हें वायुसेना चरणबद्ध तरीके से साल 2035 तक रिटायर कर सकती है।

जगुआर फाइटर जेट से हुए हादसे जो सुर्खियों में रहे
28 जनवरी 2019 को कुशी नगर में एक जगुआर दुर्घटनाग्रस्त हुआ था। 5 जून 2018 को गुजरात के कच्छ क्षेत्र में भी बड़ा हादसा हुआ था। 8 जून 2018 को फिर एक जगुआर दुर्घटनाग्रस्त हुआ। 7 मार्च 2025 को भी एक जगुआर दुर्घटनाग्रस्त हुआ। 2 अप्रैल 2025 को गुजरात के जामनगर में हादसा हुआ।
दुनिया ने रिटायर किया, वायुसेना अब भी कर रही इस्तेमाल
ब्रिटिश और फ्रेंच एयर फोर्स दोनों ने जगुआर का शुरुआती दिनों में खूब इस्तेमाल किया। फ्रेंच एयर फोर्स ने इसे 1 जुलाई 2005 को रिटायर किया और इसकी जगह डसॉल्ट राफेल विमानों को शामिल किया। रॉयल एयर फोर्स ने अप्रैल 2007 के अंत तक इसे चरणबद्ध तरीके से हटाया और इसकी जगह पर पनाविया टारनाडो और यूरोफाइटर टाइफून विमानों को अपनाया। भारत भी वायुसेना में अत्याधुनिक विमानों को शामिल कर रहा है लेकिन पुराने विमानों को एक साथ रिटायर करने का जोखिम अभी नहीं ले सकता है।
भारतीय सेना में कितने अहम हैं जगुआर?
भारतीय वायुसेना में करीब 121 एयरक्राफ्ट शामिल हैं। फ्रांस को अपना पहला जगुआर 1973 में मिला था। रॉयल फोर्स ने इसे 1974 में अपने खेमे में शामिल किया। जगुआर अपने जमाने में अत्याधुनिक लड़ाकू विमानों में शामिल रहा है। विमान का स्वेप्ट विंग, मजबूत एयफ्रेम, ट्विन डिजाइन और उन्नत हथियारों को ले जाने की क्षमता इसे दूसरे विमानों से अलग करती है। भारतीय वायु सेना ने 1978 में जगुआर को शामिल किया, HAL ने इसका स्थानीय उत्पादन शुरू किया। साल 1987 से 1990 तक में श्रीलंका में शांति मिशन में इसका इस्तेमाल सेना ने किया था।

भारत और पाकिस्तान के बीच हुए साल 1999 के कारगिल युद्ध भी इस फाइटर जेट ने सेना को मजबूती दी थी। यह फाइटर जेट, परमाणु शक्तियों से संपन्न है, इससे लक्षित हमले किए जा सकते हैं। भारतीय वायुसेना ने अपनी जरूरत के हिसाब से इसे अपग्रेड कराया है। इसमें डिस्प्ले अटैक रेंजिंग इनर्शियल नेविगेशन (DARIN-III) अपग्रेड के तहत आधुनिक रडार, ऑटोपायलट और नए हथियार जोड़े गए हैं। भारतीय वायुसेना इसका इस्तेमाल 2035 तक कर सकती है। यह बहुउद्देश्यीय विमान है लेकिन जोखिम की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता है।
किन चुनौतियों से जूझ रहा है जगुआर?
एयरोनॉटिकल इंजीनियर अभिषेक राय बताते हैं, 'जगुआर, SEPECAT प्रोजेक्ट के तहत ब्रिटिश एयर क्राफ्ट कॉर्पोरेशन और ब्रेगेट एविशन की ओर से बनाया जाता था। 1960 के दशक का यह विमान, ब्रिटेन और फ्रांस दोनों देशों में आउटडेटेड हो चुका है। भारत इसका इस्तेमाल अब ट्रेनिंग के लिए ही करता है, जंग में इसका इस्तेमाल नहीं होता है। एक जमाने में इसकी गिनती सुपरसोनिक एयरक्राफ्ट में होती थी, लेकिन अब इसके स्पेयर पार्ट्स तक नहीं मिल पाते हैं। इसके इंजन को हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड की मदद से अपग्रेड किया गया है लेकिन अब इसके पुर्जे नए नहीं बनते हैं। हम पुराने विमानों के पुर्जों पर निर्भर हैं। इनकी संरचना, एक वक्त तक ठीक थी लेकिन 15 साल पुरानी गाड़ियां रिटायर हो जाती हैं, स्क्रैप में चली जाती हैं, अब ये विमान तो 4 दशक पुराने हैं।'
एयरोनॉटिकल इंजीनियर अभिषेक राय ने कहा, 'जगुआर के इंजन पुराने हो चुके हैं। एयरफ्रेम भी पुराने पैटर्न का है। इंजन अपग्रेड भी एक सीमा तक ही हो सकता है, स्क्वाड्रन के लायक इसे बनाए रखने में पुराने एयरफ्रेम के पुर्जे इस्तेमाल किए जा रहे हैं। एक झटके में सेना इसे रिटायर नहीं कर सकती है। इस विमान का इजेक्शन सिस्टम कमाल का है, जिसकी वजह से कम नुकसान होता है। दुर्घटनाएं हमेशा विमान की खराबी की वजह से नहीं होती हैं, बल्कि कई बार पायलट की खामियों, बर्ड स्ट्राइक और इंजन के रखरखाव में कमी की वजह से हादसे होते हैं।'

साल 2018 में टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट में जिक्र किया गया था कि फ्रांस, ओमान और ब्रिटेन से स्पेयर पार्ट्स और एयरफ्रेम भारत मंगवाता है। मकसद यह है कि जिससे जगुआर को 2035 तक ऑपरेशन रखा जा सके।
हादसे पर हादसे, कब तक ऑपरेशनल रहेंगे विमान?
वायुसेना की ओर से साल 2023 में कहा गया था कि जगुआर विमानों को रिप्लेस करने की प्रक्रिया 2027-28 से शुरू होगी। साल 2035 तक, यह पूरी तरह से रिटायर कर दिया जाएगा। IAF और HAL की संयुक्त योजना है कि इसे 2035 तक इसे ऑपरेशन रखा जाए। पुराने विमान DRAIN-1 और DRAIN-II को पहले हटाया जाएगा, DRAIN-III अपग्रेडेड विमानों के पहले फेज की रिटायरमेंट 2027-28 से शुरू होगी। वायुसेना पहले स्वदेशी लाइट कॉम्बेट एयरक्राफ्ट MK-II जैसे विमानों को शामिल करेगी। वायुसेना ने अपग्रेडेशन के जोखिमों को देखते हुए साल 2019 में नए इंजन हनीवेल F0125IN के साथ अपग्रेड करने की योजना टाल दी थी। इसमें लागत ज्यादा लग रही थी, इसे अपग्रेड करना व्यवहारिक नहीं रह गया था। Adour-811 इंजन के साथ अभी ये विमान ऑपरेशनल बने हुए हैं।
विमानों के अपग्रेड होने के जोखिम क्या हैं?

दुनिया की तुलना में कहां खड़ी है भारतीय वायुसेना?
एक तरफ अमेरिका अब F-22, F-35, लाइटनिंग II जैसे पांचवी पीढ़ी के फाइटर जेट्स को अपने बेड़े में शामिल कर रहा है, चौथी पीढ़ी के ईगल F-15, F-16, F/A-18 हॉर्नेट जैसे अत्याधुनिक विमान हैं, 6वीं पीढ़ी के उन्नत विमान विमान पर काम चल रहा है, भारत के पास 60-70 के दशक के विमान हैं। पड़ोसी देश चीन पांचवी पीढ़ी के विमान J-20 माइटी ड्रैगन को ऑपरेशन बना चुका है, स्टील्थ फाइटर इस विमान को भारतीय सीमाओं के पास तैनात रखा है, J-11, Su-30 MKK को इस्तेमाल कर रहा है, AI बेस्ट छठवीं पीढ़ी के विमानों को तैयार कर रहा है लेकिन भारत चौथी पीढ़ी के विमानों पर निर्भर है।

भारत में वही विमान ज्यादा हैं, जिन्हें अत्याधुनिक देश रिटायर कर चुके हैं। भारत के लड़ाकू दल में सुखोई Su-30 MKI, मिराज 2000, मिग-29, और जगुआर जैसे विमान हैं। साल 2016 के राफेल डील के बाद अब भारत के पास थोड़ा अत्याधुनिक राफेल भी है। तेजस Mk-1A अत्याधुनिक है लेकिन पूरी तरह से शामिल नहीं हुआ है। 2030 तक भारत पांचवी जनरेशन के फाइटर जेट एडवांस्ड मीडियम कॉम्बेट एयरक्राफ्ट (AMCA) को शामिल कर सकता है। छठवीं पीढ़ी के विमान पर कोई प्रोजेक्ट भारत ने अभी तक शुरू नहीं किया है।
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