'नाल नमोशी, पानी-पानी हो चिनाब दे पानी, नफरत दे विच डूब के मर गई हर इक प्रीत कहानी...' यह लाइनें चिनाब नदी की गहराई और इसके इतिहास की एक झलक देती हैं। आज यह नदी एक बार फिर सुर्खियों में है और वजह भी खास है। आज देश के लिए एक ऐतिहासिक दिन है, क्योंकि दुनिया का सबसे ऊंचा रेलवे पुल, चिनाब ब्रिज, आज उद्घाटन के लिए तैयार है। यह शानदार पुल जम्मू-कश्मीर के रियासी जिले में चिनाब नदी पर बना है। चिनाब पंजाब क्षेत्र की पांच बड़ी नदियों में से एक मानी जाती है। इसकी सबसे दिलचस्प बात यह है कि यह जहां-जहां से गुजरती है, वहां-वहां इसका नाम बदलता जाता है। कहीं इसे चंद्रभागा कहा जाता है, तो कहीं चिनाब या चनाब।
भारत और पाकिस्तान की बड़ी नदियों में शामिल चिनाब नदी हिमाचल प्रदेश के ऊंचे पहाड़ों से निकलती है। लाहौल और कश्मीर के रास्ते गुजरते हुए यह पाकिस्तान के मैदानों तक पहुंचती है। हिमाचल में इसे चंद्रा और भागा नदियों के संगम के कारण चंद्रभागा कहा जाता है। जैसे ही यह जम्मू-कश्मीर में पहुंचती है, इसका नाम चिनाब हो जाता है और पाकिस्तान में इसे लोग चनाब कहते हैं। हर जगह इसका नाम अलग क्यों है? क्योंकि ये नाम उस इलाके की भाषा, संस्कृति और लोगों की बोली के हिसाब से बदलते हैं। अब चलिए, जानते हैं इन नामों के पीछे का मतलब – ताकि अगली बार जब आप ‘चिनाब’ का नाम सुनें, तो उसके बहते पानी के साथ बहती संस्कृति और इतिहास की भी एक तस्वीर आपके सामने हो।
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चिनाब नदी कहां-कहां क्या कहलाती है और क्यों उसका नाम हर जगह थोड़ा बदल जाता है?
हिमाचल प्रदेश में चंद्रभागा
चिनाब नदी की शुरुआत हिमाचल प्रदेश के लाहौल इलाके से होती है। यहां दो नदियां मिलती हैं - चंद्रा और भागा। जब ये दोनों मिलती हैं, तो उसे कहा जाता है चंद्रभागा। यह नाम इसलिए पड़ा क्योंकि 'चंद्रा' चांद जैसी साफ और ठंडी नदी है और 'भागा' एक तेज बहाव वाली नदी। दोनों मिलकर बनती हैं चंद्रभागा।
जम्मू-कश्मीर में चिनाब
जैसे ही ये नदी जम्मू-कश्मीर के क्षेत्र में दाखिल होती है, इसका नाम हो जाता है चिनाब। यह नाम फारसी भाषा से आया है -'चीन' यानी चांद और 'आब' यानी पानी। इसका मतलब हुआ 'चांद जैसा पानी।' शायद इसकी चमकती हुई धारा देखकर लोगों ने ऐसा नाम रखा होगा।
पाकिस्तान में चनाब
पाकिस्तान में पहुंचते ही इसका उच्चारण थोड़ा बदल जाता है और लोग इसे चनाब कहते हैं। यहां ये पंजाब प्रांत से होकर बहती है और आखिर में जाकर सिंधु नदी में मिल जाती है। पंजाब यानी 'पांच नदियों की जमीन' और चनाब उन्हीं में से एक है। हर जगह का नाम वहां की भाषा, संस्कृति और बोली के हिसाब से बदला है पर नदी वही है, शांत, गहरी और इतिहास से भरी हुई।
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पुराने जमाने में चिनाब को क्या कहते थे?
चिनाब नदी का नाम आज भले ही अलग-अलग जगहों पर बदल जाता हो लेकिन प्राचीन समय में, खासकर वैदिक काल में इसे और भी अलग नामों से जाना जाता था। ऋग्वेद जैसे पुराने ग्रंथों में इस नदी को 'असिक्नी' कहा गया है, जिसका मतलब होता है – 'काली रंग की नदी'। कहीं-कहीं इसे 'इसकमती' भी कहा गया है। ये नाम आज भले ही इस्तेमाल नहीं होते लेकिन पुराने धार्मिक और ऐतिहासिक ग्रंथों में इनका जिक्र मिलता है। सिर्फ वेदों में ही नहीं, पुराणों और महाभारत जैसे धार्मिक ग्रंथों में भी इस नदी को 'चंद्रभागा' कहा गया है। इससे ये साफ होता है कि ये नदी पुराने समय से ही पवित्र और खास मानी जाती रही है।