बिहारियों के छठ को लेकर असम में क्यों हंगामा? विवाद की पूरी कहानी
पीपुल पार्टी के फाउंडर डेनियल लंगथासा बिहारी समुदाय से तीखे अंदाज में बात करते नजर आ रहे हैं। क्या है माजरा, आइए जानते हैं।

डेनियल लंगथासा और छठ मनाती महिलाएं। (Photo Credit: PTI)
बिहार की एक बड़ी आबादी, पूर्वोत्तर में भी रहती है। ज्यादातर लोग प्रवासी मजदूर हैं, कुछ लोग स्थानीय व्यापार में शामिल हैं। कुछ लोगों की छोटी-छोटी दुकानें भी हैं। अब बिहारी के लोग वहां हैं तो छठ भी वहां मनेगा ही। खुद मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा भी छठ घाटों का जायजा ले चुके हैं लेकिन वहीं पर पीपुल पार्टी के फाउंडर डेनियल लंगथासा ने कुछ ऐसा किया है, जिसे लेकर असम में बिहारियों की स्थिति पर ही सवाल उठे हैं।
डेनियल लंगथासा का एक वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। वह बिहारी समुदाय के कुछ लोगों से झगड़ते नजर आ रहे हैं। वह तीखे सवाल कर रहे हैं और वहां मौजूद लोगों को फटकार कर रहे हैं। एहसान जताते हुए कहते हैं कि आपके पूर्वज यहां के नहीं थे फिर भी आपको दुकान चलाने और छठ मनाने तो दे रहे हैं, क्या आप बिहार में भी पूर्वोत्तर के लोगों को ऐसा करने देंगे।
यह भी पढ़ें: छठ पर पीने या नहाने लायक है यमुना का पानी? DPCC के आंकड़ों से समझिए
डेनियल लंगथासा, संस्थापक, पीपल्स पार्टी:-
कौन से गांव से आया है, बोलिए। आपके पिता जी के पिता जी ने यहां किस गांव में जन्म लिया था। फिर भी आपको खेती करने देते हैं, दुकान करने दिया, बच्चों ने पढ़ाई की, कम से कम जो लोगों ने आपको ज्यादा दिया, उसकी इज्जत दीजिए।
महिला इज्जत वाली बात पर कहती है कि इज्जत तो दिया है। जवाब में वह कहते हैं कि इज्जत दिया है तो मुख बंद करो। बहुत हो गया। उन्होंने कहा हम आदिवासी हैं, हिंदू नहीं हैं फिर भी आपको छठ मनाने दे रहे हैं, दुकान खोलने दे रहे हैं लेकिन आप लोगों को छठ पूजा चाहिए, बिहार में आप हमें क्या करने देंगे।
डेनियल लंगथासा:-
इज्जत दिया तो मुख बंद करो। मुख बंद करो। बहुत हो गया। आप लोगों को छठ पूजा चाहिए। छठ पूजा में भी जबरदस्ती किया। लेकिन आप लोगों को तो छठ पूजा चाहिए। आपको को तो छठ पूजा करने भी दिया। बिहार में आप लोग हमें कुछ करने देंगे, एक गांव देंगे, क्या बात करते हैं, आपको तकलीफ क्या दिया, आप 300 साल पहले आए थे, क्या 400 साल पहले आए थे? रहने दिया है, खेती करने दिया है, माथा पर चढ़कर नाचेगा क्या, इतना मुंह मत लगो, इतना जवाब मत दो।
डेनियल लंगथासा ने बिहारी समुदाय पर भड़कते हुए कहा, 'आप गूगल करो, संविधान देखो, छठवीं अनुसूची देखो क्या है, अगर पढ़ाई की है तो फिर भी यहां के आदिवासी लोगों का दिल बड़ा है, आपको रहने देते हैं, हिंदू नहीं होकर भी हम भी हिंदू बोलकर मानते हैं, आपने कभी आदिवासियो्ं का कुछ माना है क्या, क्या बात कर रहे हैं, आप लोग मारपीट करके भी माफी नहीं मांगते हैं, चैलेंज करने लगते हैं।'
जब एक महिला जवाब में कहती है कि कैसे माफी मांगेगा, हमारा हाथ तोड़ दिया है, कैसे माफी मांगेगा? जवाब में पास में खड़ी एक महिला कहती है, 'मेरी बहन को मारा है, कपड़ा फाड़ दिया है, चोटी पकड़-पकड़कर मारा है, मेरे पास इस विवाद का एक-एक वीडियो है।'
यह भी पढ़ें: PM मोदी के लिए बनी 'नकली यमुना'? AAP के आरोप और BJP के दावे; पूरी कहानी
क्यों विवाद बढ़ा?
असम के कार्बी आंगलोंग जिले में बिहारी प्रवासियों के साथ डेनियल की टकराहट का एक वीडियो वायरल हो रहा है। स्थानीय लोगों का कहना है कि यहां के बिहारी समुदाय ने पहले असम की एक लड़की के साथ मारपीट की थी, जिसके बाद विवाद बढ़ गया। जवाब में स्थानीय लोगों ने किसी प्रवासी युवक को मार दिया, जिसका हाथ टूट गया। कार्बी आंगलोंग जिला असम का एक अनुसूचित क्षेत्र है, जहां कार्बी और डिमासा को संविधान के तहत विशेष स्वायत्तता मिली हुई है। यह स्वायत्तता उनकी भूमि, संस्कृति और परंपराओं की रक्षा के लिए है। बिहार और उत्तर प्रदेश से बड़ी संख्या में मजदूर, चाय बागानों, कृषि और कंस्ट्रक्शन सेक्टर में काम करने के लिए जाते हैं। अक्तूबर में छठ पूजा के दौरान बिहारी समुदाय ने मांग की थी कि एक स्थानीय तालाब में उन्हें पूजा करने दिया जाए। आदिवासी समुदाय ने इसका विरोध किया। उन्होंने तर्क दिया कि यह जगह उनके लिए पवित्र हैं। बात में पूजा के लिए तनाव के बाद इजाजत दी गई।
https://twitter.com/KreatelyMedia/status/1982429298285002858/video/2
कौन हैं डेनियल लंगथासा?
डेनियल लंगथासा असम के दीमा हासाओ जिले के हाफलॉन्ग के ट्राइबल एक्टिविस्ट और गायक हैं। संगीतकार और सामाजिक कार्यकर्ता हैं। वह व्यंग्यात्मक वीडियो और गीतों के जरिए सामाजिक मुद्दों पर आवाज उठाते हैं।
चर्चा में क्यों हैं डेनियल लंगथासा?
डेनियल लंगथासा ने हाल ही में एक वीडियो पोस्ट किया। वह बिहारी समुदाय से एक स्थानीय लड़की को पीटने के सिलसिले में बात कर रहे थे। उन्होंने कहा कि बिहारी समुदाय मारपीट कर रहा है, उनकी परंपराओं का सम्मान नहीं कर रहा है, संविधान की छठवीं अनुसूची का महत्व नहीं समझ रहा है। उनकी टीशर्ट पर 'I Love 6th Schedule' लिखा था।
असम में क्यों टकराते हैं आदिवासी और बिहारी?
स्थानीय स्तर पर असम में कई जगह बिहारी और असमिया समुदायों के बीच टकराव की खबरें आती हैं। बिहारी प्रवासी छठ पूजा करते हैं, वे स्थानीय धार्मिक महत्व वाले तलाब को चुनते हैं, वहां के स्थानीय लोगों को यही बात खटकती है कि उनकी लोक मान्यताओं का अपमान हो रहा है।
छठवीं अनुसूची का मुद्दा क्या है?
असम के कई जिले छठवीं अनुसूची के तहत आते हैं जो आदिवासियों को भूमि और शासन पर विशेष अधिकार देते हैं। प्रवासियों को काम करने की अनुमति है, लेकिन स्थानीय नियमों का पालन अनिवार्य है। डेनियल लंगथासा इसी की बात करते हैं।
और पढ़ें
Copyright ©️ TIF MULTIMEDIA PRIVATE LIMITED | All Rights Reserved | Developed By TIF Technologies
CONTACT US | PRIVACY POLICY | TERMS OF USE | Sitemap

