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साल के छठे दिन ही नक्सली अटैक, 2026 तक कैसे खत्म होगा नक्सलवाद?

6 जनवरी को छत्तीसगढ़ के बीजापुर में नक्सली हमला हुआ है। इस हमले में 8 जवान शहीद हो गए। ऐसे में जानते हैं कि देशभर में कितने नक्सली हमले होते हैं और क्या 2026 तक नक्सल फ्री बन पाएगा इंडिया?

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प्रतीकात्मक तस्वीर (AI Generated Image)

साल के छठे दिन ही छत्तीसगढ़ के बीजापुर में बड़ा नक्सली हमला हुआ। इस हमले में 8 जवान शहीद हो गए। एक ड्राइवर की भी इसमें मौत हो गई। बस्तर रेंज के आईजी सुंदरराज पी ने बताया कि एक ऑपरेशन कर टीम लौट रही थी, तभी दोपहर करीब 2.15 बजे नक्सलियों ने IED ब्लास्ट कर दिया। हमला बीजापुर हेडक्वार्टर से लगभग 70 किलोमीटर दूर हुआ।
 
छत्तीसगढ़ ही अभी ऐसा राज्य है, जो नक्सलवाद से सबसे ज्यादा प्रभावित है। यहां के 15 जिले- बीजापुर, बस्तर, दंतेवाड़ा, धमतरी, गरियाबंद, कांकेर, कोंडागांव, महासमुंद, नारायणपुर, राजनंदगांव, मोहल्ला-मानपुर-अंबागढ़ चौकी, खैरगढ़-छुईखदान-गंडई, सुकमा, कबीरधाम और मुंगेली नक्सल प्रभावित हैं। केंद्र सरकार के मुताबिक, इस वक्त देश के 9 राज्यों के 38 जिले ऐसे हैं, जहां नक्सलवाद अभी भी मौजूद है। 

नक्सली हमलों पर क्या कहते हैं आंकड़े?

हाल ही में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि मार्च 2026 तक नक्सलवाद खत्म हो जाएगा। उन्होंने बताया था कि छत्तीसगढ़ में नक्सलियों के सरेंडर को लेकर नई पॉलिसी आएगी।
 
सरकार ने 2026 तक इंडिया को नक्सल फ्री बनाने का वादा किया है। मगर क्या ऐसा हो सकता है? इसे कुछ आंकड़ों से समझते हैं। 11 दिसंबर को राज्यसभा में गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने नक्सली हमलों और उनमें होने वाली मौतों के आंकड़े पेश किए थे। 
 
इसके मुताबिक, 2020 से 2024 के बीच 5 साल में देशभर में 2,057 नक्सली हमले हुए थे। इस दौरान इन हमलों में 697 मौतें हुई थीं, जिनमें शहीद हुए जवानों की संख्या भी शामिल थी। ये आंकड़े 30 नवंबर 2024 तक के थे। इन आंकड़ों के हिसाब से 2020 की तुलना में 2024 में नक्सली हमलों में 32 फीसदी की कमी आई थी। जबकि, 2020 के मुकाबले 2024 में 29 फीसदी मौतें कम हुई थीं।
 
 

कहां-कहां है नक्सलवाद?

आंकड़ों से पता चलता है कि नक्सलवाद अब सिमट रहा है। कुछ साल पहले तक बिहार के 10 जिलों में नक्सलवाद फैला था। अब यहां से नक्सलियों का पूरी तरह से सफाया हो गया है। अगर छत्तीसगढ़ को छोड़ दिया जाए तो बाकी नक्सल प्रभावित राज्यों में नक्सली दो-चार जिलों तक ही सिमट कर रह गए हैं।
 
केंद्र सरकार के मुताबिक, इस वक्त आंध्र प्रदेश के अल्लुरी सीतारामराजू, झारखंड के गिरिडीह, गुमला, लातेहार, लोहारदगा, पश्चिमी सिंहभूम, केरल के वायनाड और कन्नूर, मध्य प्रदेश के बालाघाट, मंडला और डिंडोरी, महाराष्ट्र के गढ़चिरौली और गोंदिया, ओडिशा के कालाहांडी, कंधामल, बोलंगीर, मल्कानगिरी, नबरंगपुर, नौपाड़ा और रायगढ़, तेलंगाना के भद्राद्री-कोथागुदेम और मुलुगु और पश्चिम बंगाल के झारग्राम में ही नक्सली हैं।
 
केंद्र सरकार के मुताबिक, 2010 तक 96 जिलों के 465 पुलिस थानों तक नक्सलवाद फैला था। 2023 तक 42 जिलों के 171 पुलिस थाने ही नक्सल प्रभावित बचे। जबकि, जून 2024 तक नक्सलवाद 30 जिलों के 89 पुलिस थानों तक सिमट गया।
 
 

2026 तक नक्सल फ्री हो जाएगा इंडिया?

सरकार का दावा है कि कुछ सालों में नक्सलवाद का तेजी से सफाया किया गया है। गृह मंत्रालय का एक दस्तावेज बताता है कि मई 2005 से अप्रैल 2014 की तुलना में मई 2014 से अप्रैल 2023 के बीच नक्सली घटनाओं में 52 फीसदी की कमी आई है। इसी दौरान इन घटनाओं में शहीद होने वाले जवानों की संख्या में 72 फीसदी और आम नागरिकों की मौतों में 69 फीसदी की कमी आई है।
 
पिछले साल अगस्त में गृह मंत्री अमित शाह ने बताया था कि 2019 के बाद से नक्सल प्रभावित इलाकों में CRPF के 277 कैंप खोले गए हैं। ED और CBI जैसी एजेंसियां नक्सलियों की फंडिंग रोकने पर काम कर रही हैं।
 
नक्सलवाद खत्म करने के लिए सिर्फ एनकाउंटर ही नहीं किया जा रहा है, बल्कि सरेंडर पॉलिसी भी लाई जा रही हैं। छत्तीसगढ़ में अगर कोई नक्सली सरेंडर करता है तो उसे 1 करोड़ का इनाम दिया जाता है। 
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