दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अरविंद केजरीवाल के खिलाफ सार्वजनिक धन के दुरुपयोग के आरोपों में एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया है। केजरीवाल के साथ में गुलाब सिंह और नितिका शर्मा के खिलाफ भी केस दर्ज होगा। कोर्ट के इस फैसले से केजरीवाल को एक और बड़ा झटका लगा है।
दिल्ली के पूर्व सीएम केजरीवाल दिल्ली शराब नीति घोटाले से जुड़े एक मामले में जमानत पर बाहर हैं। दरअसल, 2019 में दी गई एक शिकायत में बड़े होर्डिंग लगाने को लेकर आरोप लगाया गया था। राउज एवेन्यू कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली पुलिस को एफआईआर दर्ज करके 18 मार्च तक कार्रवाई रिपोर्ट देने का निर्देश दिया है।
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याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया है कि केजरीवाल, पूर्व आप विधायक गुलाब सिंह और द्वारका की पार्षद नितिका शर्मा ने पूरे इलाके में बड़े होर्डिंग्स लगाकर सार्वजनिक धन का गलत इस्तेमाल किया था।
बीजेपी ने लगाए हैं गंभीर आरोप
बता दें कि दिल्ली में 11 साल तक 'आप' की सरकार रही, इस दौरान बीजेपी ने पार्टी पर अपने प्रचार के लिए सार्वजनिक धन का दुरुपयोग करने का आरोप लगाया। पिछले साल जनवरी में सूचना एवं प्रचार निदेशालय ने भी 'आप' से राजनीतिक विज्ञापनों के लिए सार्वजनिक धन का कथित रूप से दुरुपयोग करने के लिए ब्याज सहित 163.62 करोड़ रुपये चुकाने को कहा था।
आवंटित बजट से ज्यादा खर्च- बीजेपी
इस साल जनवरी में भी बीजेपी ने आरोप लगाया था कि आम आदमी पार्टी ने सरकारी योजनाओं के प्रचार पर उनके लिए आवंटित बजट से ज्यादा खर्च किया। जैसे कहा गया कि बिजनेस ब्लास्टर्स योजना के लिए 54 करोड़ रुपये आवंटित किए गए, जबकि इसके प्रचार पर 80 करोड़ रुपये खर्च किए गए। बीजेपी ने दावा किया कि देश के मेंटर योजना के लिए केवल 1.9 करोड़ रुपये आवंटित किए गए और इसके प्रचार पर 27.9 करोड़ रुपये खर्च किए गए। पराली प्रबंधन योजना के आंकड़े 77 लाख रुपये खर्च करने थे, जबकि प्रचार पर लगभग 28 करोड़ रुपये खर्च किए गए।
आप ने सभी आरोपों से इनकार किया
दिल्ली विधानसभा चुनाव के दौरान बीजेपी ने अरविंद केजरीवाल और उनकी पार्टी को आड़े हाथों लिया था। बीजेपी ने आरोप लगाया था कि केजरीवाल ने दिल्ली के मुख्यमंत्री के बंगले को नए सिरे से बनाने के लिए फिजूलखर्ची की थी। बीजेपी ने इसे 'शीशमहल' का नाम दिया था।
वहीं, आम आदमी पार्टी ने कहा कि मुख्यमंत्री आवास को नए सिरे से बनाना जरूरी था क्योंकि मुख्यमंत्री का आवास 1942 में बना था और इसे पूरी तरह से बदलने की जरूरत थी। पार्टी ने यह भी दावा किया कि लोक निर्माण विभाग ने बदलावों की सिफारिश की थी।