दिल्ली के प्रदूषण के लिए पंजाब जिम्मेदार? आंकड़े बता रहे गलती किसकी
दिल्ली में जब-जब प्रदूषण बढ़ता है, दोष पंजाब और हरियाणा के किसानों पर मढ़ा जाता है। क्या आंकड़े भी ऐसा कहते हैं?

दिल्ली के राजपथ पर प्रदूषण की वजह से छाया धुंध। (Photo Credit: PTI)
दिल्ली में हर तरफ धुंध है। लोगों का सांस लेना मुहाल है। प्रदूषण की वजह से लोग बाहर निकलने से बच रहे हैं। लोगों को सांस संबंधी मुश्किलों का भी सामना करना पड़ रहा है। भारतीय जनता पार्टी, दिल्ली में अचानक बढ़े प्रदूषण के पीछे पंजाब को जिम्मेदार ठहरा रही है। पंजाब में पराली का जलना पूरी तरह से नहीं रुका है लेकिन इस पर सियासत भी खूब हो रही है। पराली जलाने के आंकड़े कुछ और कहानी कह रहे हैं।
दिल्ली सरकार का कहना है कि दीपावली के बाद बढ़े प्रदूषण की वजह पंजाब में पराली का जलाया जाना है। पंजाब में इस साल 22 अक्टूबर तक 484 पराली जलाने की घटनाएं दर्ज हुईं हैं। साल 2024 में यह आंकड़ा 1,581 था और 2023 में यह संख्या 1,794 रही। 2024 की तुलना में 69 फीसदी कम पराली इस बार जली है। दीपावली पर पंजाब में पराली जलाने के केवल 45 मामले दर्ज हुए है, यह बीते पांच सालों में सबसे कम का आंकड़ा है।
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मनजिंदर सिंह सिरसा, पर्यावरण मंत्री, दिल्ली:-
रिमोट कंट्रोल सीएम भगवंत मान और सुपर सीएम अरविंद केजरीवाल रोज फर्जी आंकड़े जारी कर और बयान वीर बन यह बता रहे कि पंजाब में पराली जलनी कम हो गई है। रोज झूठ बोले जा रहे लेकिन पंजाब के अलग अलग शहरों और गांवों से आ रहे यह वीडियो क्या झूठे हैं? इनके बारे में क्या कहना है?
पंजाब में पराली जलाने के आंकड़े क्या कह रहे हैं?
2025 में अब तक 484 पराली जलाने की घटनाएं सामने आईं हैं। साल 2024 में यह आंकड़ा 1,581 था और 2023 में यह संख्या 1,794 रही। 2024 की तुलना में 69 फीसदी कम पराली इस बार जली है। दीपावली पर पंजाब में पराली जलाने के केवल 45 मामले दर्ज हुए है, यह बीते पांच सालों में सबसे कम का आंकड़ा है। पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (PPCB) के आंकड़ों बताते हैं कि दीपावली की रात को 45 मामले दर्ज हुए, जो पिछले पांच सालों में सबसे कम हैं। तुलना करें तो 2021 में 5,327, 2022 में 181, 2023 में 987 और 2024 में 587 मामले सामने आए थे।
मनजिंदर सिंह सिरसा, पर्यावरण मंत्री, दिल्ली:-
किसानों को मजबूर कर उनसे पराली जलाने को कहा जा रहा है। न कोई सरकारी सहायता न मुआवजा बस सिस्टम का दुरुपयोग और गुंडागर्दी कर किसानों को सरकारी धमकी देकर उन्हें यह करने को मजबूर कर दिया गया। शर्म है कि आती नहीं।
दिल्ली में प्रदूषण, जिम्मेदार पंजाब और केजरीवाल क्यों?
मनजिंदर सिंह सिरसा:-
अरविंद केजरीवाल ने न सिर्फ दिल्ली, बल्कि पंजाब को भी बर्बाद किया है। पंजाब की साफ हवा, अब प्रदूषित हो गई है। अगर हम दिल्ली की हवा साफ कर सकते हैं तो पंजाब क्यों नहीं? पंजाब के कई शहरों जैसे जालंधर, कपूरथला, अमृतसर और लुधियाना में AQI 500 से 1100 तक पहुंच गया है। लेकिन सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के आंकड़े कुछ और बता रहे हैं।
पंजाब में प्रदूषण का हाल क्या है?
दीपावली से पहले पंजाब का AQI 150 था। यह मध्यम श्रेणी का माना जाता है। दीवाली की रात को यह 206 तक पहुंच गया। इसे खराब श्रेणी का कहा जाता है। यह मनजिंदर सिंह सिरसा के उस दावे से बेहद कम है, जो पंजाब की हवा को गंभीर श्रेणी में बता रहे हैं। PPCB के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, 'पंजाब का AQI कभी 500 के पार नहीं गया। दिल्ली सरकार किस डेटा की बात कर रही है, यह समझ से परे है।'
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क्या पंजाब, दिल्ली को प्रदूषित कर रहा है?
क्या पंजाब की पराली का धुआं 400 किलोमीटर दूर दिल्ली तक पहुंच सकता है। PPCB के एक वैज्ञानिक ने कहा, 'अगर पंजाब की पराली दिल्ली की हवा खराब कर रही है, तो लुधियाना और अमृतसर का AQI दिल्ली से ज्यादा खराब होना चाहिए। ऐसा बिलकुल नहीं है।'
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) के पूर्व जज सुधीर अग्रवाल ने इंडियन एक्सप्रेस के साथ बातचीत में कहा, 'पंजाब दिल्ली से सटा नहीं है और हवा का रुख हमेशा दिल्ली की ओर नहीं होता। दिल्ली का प्रदूषण तेल-आधारित कणों से ज्यादा है, जबकि पराली का धुआं सूखा होता है।'
https://twitter.com/mssirsa/status/1980991518640046274
दिल्ली के प्रदूषण की क्या वजह बताते हैं एक्सपर्ट?
दिल्ली की हवा खराब होने के पीछे स्थानीय कारण ज्यादा जिम्मेदार हैं। यहां गाड़ियों का धुआं, निर्माण, औद्योगिक प्रदूषण और पटाखों का धुआं ज्यादा जिम्मेदार है। PPCB का दावा है कि पंजाब में पराली जलाने की घटनाएं 2020 के 76,582 से घटकर 2024 में 10,909 हो गई हैं। 85.7 फीसदी की कमी आई है। दिल्ली का AQI तब भी खराब रहता है, जब पराली जलाने की घटनाएं कम या शून्य होती हैं।
पंजाब पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के आंकड़े क्या बता रहे हैं?
पंजाब में इस साल 31.72 लाख हेक्टेयर में धान की खेती हुई है। अब तक 32.84 फीसदी फसलों की कटाई 21 अक्तूबर तक हो चुकी थी। तरन तारन की कटाई 21 अक्टूबर तक हो चुकी थी। तरन तारन में 67.95 फीसदी कटाई हुई है, वहीं अमृतसर में 70 फीसदी कटाई हो चुकी है। यहां सबसे ज्यादा पराली जलाने की घटनाएं हुईं। PPCB ने 189 मामलों में 9.4 लाख रुपये का जुर्माना लगाया। 6.25 लाख रुपये भी वसूले गए। पंजाब में अब तक 170 FIR दर्ज की गई हैं। आंकड़े बता रहे हैं कि अब पंजाब में पराली कम जली है।
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