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मुस्तफाबाद इमारत हादसा: वह सबकुछ जो आप जानना चाहते हैं

दिल्ली के मुस्तफाबाद इलाके में शनिवार सुबह हादसे में कम से कम 11 लोग मारे गए हैं। दिल्ली में जर्जर इमारतों को गिन पाना मुश्किल है, सैकड़ों घर ऐसे हैं, जो गिरने की कगार पर खड़े हैं, पढ़ें रिपोर्ट।

Mustafabad Building Collapse

मुस्तफाबाद बिल्डिंग हादसा। (Photo Credit: PTI)

दिल्ली के दयालपुर गांव में एक चार मंजिला इमारत ढह गई, जिसमें 11 लोगों की मौत हो गई, कई गंभीर रूप से जख्मी हो गए हैं। करीब 20 साल पुरानी इस इमारत के ढहने के बाद दिल्ली में घरों की स्थिति पर लोगों की चिंताएं बढ़ गई हैं। दिल्ली नगर निगम (MCD) के अधिकारियों ने कहा है कि बिल्डिंग के अंदर कुछ दिनों पहले बीम हटाई गई थी, जिस पर बिल्डिंग टिकी थी। घर के मालिक ने दो दुकानों को जोड़ने के लिए मरम्मत का काम शुरू किया था। यह इलाका, मुस्तफाबाद विधानसक्षा क्षेत्र के अंतर्गत आता है।

2 से 3 दिन पहले शुरू हुए इस काम के बाद जो हुआ, वह जानलेवा साबित हुआ। नगर निगम के अधिकारियों ने कहा है कि बिल्डिंग में निर्माण का काम रात में भी चल रहा था। इमारत की संरचना कमजोर थी। यहां के आसपास की दूसरी इमारतों में भी बिल्डिंगें कमजोर हैं, ऐसे हादसे हो सकते हैं। 

क्यों हादसा हुआ?
हादसे पर विशेषज्ञों का कहना है कि इमारत की मुख्य दीवार ही हटा दी गई। उसकी डिजाइन ही यहां की मिट्टी के हिसाब से ठीक नहीं थी। यह हादसा कभी न कभी होता ही। इमारत अवैध कॉलोनी में बनी थी। 60 स्क्वायर गज में बनी इस इमारत में 4 दुकानें थीं, ऊपर तीन मंजिरों के घर थे। 

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दिल्ली में ऐसी अवैध इमारतें बहुत हैं, जिनके निर्माण में धांधली बरती गई है। बिना परमिशन इन्हें बनाया गया है। इनकी निगारानी के लिए सख्त नियमों की कमी है। विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसी जगहों को नियंत्रित करने के लिए सरकार को जल्दी नीति बनानी चाहिए। MCD ने इस हादसे के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई का वादा किया है।

नियम कानून की धज्जियां उड़ाकर बनती हैं कॉलोनियां
मुस्तफाबाद के विधायक मोहन सिंह बिष्ट ने हादसे के बाद इलाके का दौरा किया। उन्होंने कहा, 'इलाके में छह मंजिला इमारतें बनी हुई हैं जबकि यहां की संरचना इतनी ऊंची इमारतों का बोझ नहीं सह सकती है। ऐसे हादसों की आशंका हमेशा बनी रहती है। मैं पहले भी विधानसभा में ये मुद्दा उठा चुका हूं। यहां तो छह-छह मंजिला इमारतें बन गई हैं। लेकिन यहां का इन्फ्रास्ट्रक्चर इन्हें बर्दाश्त नहीं कर सकता। जहां 20-25 घरों की जगह है, अगर यहां 100 घर बस जाएं तो ऐसे हादसे होंगे ही।' उन्होंने हादसा का ठीकरा, पुरानी आम आदमी पार्टी पर पर फोड़ा। उन्होंने कहा कि AAP के भ्रष्टाचार की वजह से ऐसी स्थितियां बनी हैं। अब अफसरों को काम करना पड़ेगा। 

मुस्तफाबाद में चल रहा रेस्क्यू ऑपरेशन। (Photo Credit: PTI)

किन इलाकों में हैं ज्यादा कमजोर इमारतें?
दिल्ली सरकार के मंत्री कपिल मिश्रा ने कहा, 'दयालपुर का यह क्षेत्र 6-7 मंजिला अवैध इमारतों से घिरा है, जिसकी वजह से और बड़े हादसे हो सकते हैं। मुस्तफाबाद, जाफराबाद, सीलमपुर जैसे क्षेत्रों में अवैध निर्माण की पहचान कर तुरंत खाली कराया जाए और बिना वैध अनुमति और नक्शे के कोई भी निर्माण कार्य न हों।' कपिल मिश्रा ने नगर निगम आयुक्त को अगले 2-3 दिनों में क्षेत्र का सर्वे कर असुरक्षित इमारतों की सूची तैयार करने और रिपोर्ट सौंपने को कहा है।

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क्यों दिल्ली में होते हैं अवैध निर्माण?
अगस्त 2024 में दिल्ली हाई कोर्ट ने अपने एक फैसले में MCD को फटकार लगाई थी। हाई कोर्ट ने कहा था, 'यह न्यायालय ऐसी स्थिति की अनुमति नहीं दे सकता, जहां बड़े पैमाने पर अनधिकृत निर्माण बिना किसी दंड के जारी रहे। MCD अपेक्षित कार्रवाई करने में विफल या असमर्थ हो। इस तरह असहाय दर्शक बनकर रह जाए।'

अवैध निर्माण के बारे में पता है बस ऐक्शन नहीं होता है
MCD ने 2015 से 2025 तक 76,465 अवैध निर्माणों की पहचान की, जिनमें से केवल 35,842 पर कार्रवाई हुई। इसमें 11,903 संपत्तियों को सील किया गया। इस आंकड़े में जर्जर इमारतों का जिक्र नहीं है लेकिन अवैध निर्माण से बनीं ज्यादातर इमारतों की हालत ऐसी ही है। 2024 में दिल्ली हाई कोर्ट ने MCD और DDA को पूरे शहर का सर्वेक्षण करने का निर्देश दिया था, जिसमें हर छह महीने में अवैध और जर्जर निर्माणों की जांच शामिल है। इस सर्वेक्षण के नतीजे ही सार्वजनिक नहीं हुए। 

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