'बूढ़ी गाड़ियों' पर बैन से किसे नफा, किसे नुकसान? सारा गणित समझिए
दिल्ली में 10 साल पुरानी डीजल और 15 साल पुरानी पेट्रोल गाड़ियों पर प्रतिबंध लग गया है। इससे लोग परेशान हो गए हैं। दिल्ली सरकार ने इस फैसले पर रोक लगाने की अपील है। ऐसे में समझते हैं कि इससे किसे नुकसान होगा और कौन फायदे में रहेगा?

प्रतीकात्मक तस्वीर। (Photo Credit: PTI)
दिल्ली में पुरानी गाड़ियों का पहिया थमा तो सियासी गाड़ी चल पड़ी। 10 साल पुरानी डीजल और 15 साल पुरानी पेट्रोल गाड़ियों को फ्यूल न देने का फैसला लिया गया तो लोग इतने भड़के कि तीन दिन में ही सरकार को इस पर ऐक्शन लेना पड़ा। दिल्ली में 1 जुलाई से इन पुरानी गाड़ियों को फ्यूल देने पर रोक लगा दी गई थी। 3 जुलाई को दिल्ली सरकार ने कमीशन फॉर एयर क्वालिटी मैनेजमेंट (CAQM) को चिट्ठी लिखकर इस फैसले पर फिलहाल रोक लगाने की अपील की है।
राजधानी दिल्ली में 1 जुलाई से 10 साल पुरानी डीजल और 15 साल पुरानी पेट्रोल गाड़ियों को फ्यूल न देने का नियम लागू हो गया है। ऐसी गाड़ियों को 'एंड ऑफ लाइफ व्हीकल' के तौर पर क्लासिफाइड किया गया है। यह फैसला वायु प्रदूषण को देखते हुए लिया गया है। अभी इसे दिल्ली में लागू किया है, लेकिन इसे धीरे-धीरे बाकी NCR जिलों में भी लागू करने की तैयारी है।
दिल्ली सरकार के पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने CAQM को चिट्ठी लिखकर इस फैसले पर रोक लगाने की अपील की है। उन्होंने बताया कि ऑटोमैटिक नंबर प्लेट रिकग्निशन (ANPR) सिस्टम में कई खामियां हैं और जब तक पूरे NCR में ऐसे कैमरे नहीं लग जाते, तब तक इस फैसले को लागू न किया जाए।
- क्या है पूरा मामला?: 2015 में NGT और 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि दिल्ली-NCR में पुरानी गाड़ियां नहीं चल सकतीं। दिल्ली में वायु प्रदूषण को देखते हुए CAQM ने आदेश जारी किया था कि 1 जुलाई से दिल्ली में 10 साल पुरानी पेट्रोल और 15 साल पुरानी डीजल गाड़ियों को फ्यूल देने पर रोक लगा दी।
- तैयारी क्या की गई?: दिल्ली के 500 फ्यूल स्टेशन में ऑटोमैटिक नंबर पहचानने वाले ANPR कैमरे लगाए गए थे। इसके साथ ही ऐसी कारों के मालिक पर 10 हजार और टू-व्हीलर के मालिकों पर 5 हजार रुपये का जुर्माना लगाने का आदेश भी दिया। दो दिन में 87 पुरानी गाड़ियों को जब्त किया गया।
- कितनी गाड़ियों पर असर?: CAQM ने बताया था कि दिल्ली में EOL व्हीकल्स की संख्या 62 लाख है, जिनमें से 41 लाख टू-व्हीलर हैं। वहीं, दिल्ली से इतर पूरे NCR जिलों में ऐसी तकरीबन 44 लाख गाड़ियां हैं। मतलब दिल्ली में यह बैन लगने का असर 62 लाख गाड़ियों पर पड़ रहा है। ऐसी गाडियों को फ्यूल नहीं मिल सकता।
- बाकी NCR जिलों में भी होगा ऐसा?: CAQM ने सभी NCR जिलों को 31 मार्च 2026 तक ANPR कैमरे लगाने के आदेश दिए हैं, ताकि 1 अप्रैल 2026 से इसे लागू किया जा सके। दिल्ली से सटे 5 जिलों- गुरुग्राम, फरीदाबाद, गाजियाबाद, गौतम बुद्ध नगर और सोनीपत में इस साल 1 नवंबर से ही इस फैसले को लागू किया जाएगा।
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दिल्ली में 1 जुलाई से अब तक क्या-क्या हुआ?
दिल्ली में 1 जुलाई से EOL गाड़ियों को फ्यूल नहीं मिल रहा है। इसके लिए फ्यूल पंपों पर न सिर्फ ANPR कैमरे लगाए गए हैं, बल्कि सुरक्षा भी बढ़ाई गई है।
इस फैसले के लागू होने के बाद से ही इसका जबरदस्त विरोध हो रहा है। सोशल मीडिया पर लोग इसका विरोध कर रहे हैं। एक यूजर ने लिखा, '62 लाख गाड़ियों को रातोरात बैन कर दिया। EV इन्फ्रास्ट्रक्चर नहीं है, कोई विकल्प नहीं है। इससे पृथ्वी को नहीं बचाया जा रहा है, बल्कि आजीविका बर्बाद हो रही है।'
इस फैसले पर वायुसेना के पूर्व पायलट संजीव कपूर ने भी सवाल उठाया। उन्होंने X पर लिखा, 'हम अभी भी 40 साल पुराने एयरक्राफ्ट उड़ा रहे हैं। हमारी ज्यादातर ट्रेनें, बसें, जहाज और कमर्शियल प्लेन तीन दशक से भी ज्यादा पुराने हैं, जिनका हर दिन इस्तेमाल हो रहा है। ऐसे में सिर्फ निजी गाड़ियों पर ही बैन क्यों लगाया जा रहा है?'
कई यूजर्स ने यह भी सवाल उठाए कि 10 साल के लिए 15 साल का रोड टैक्स क्यों लिया जा रहा है? एक यूजर ने लिखा, '15 साल के लिए रोड टैक्स क्यों देना है, जब 10 साल बाद कार को स्क्रैप करना है।' एक यूजर ने लिखा, 'NCR में 15 साल पुरानी कार अपनी कैपेसिटी का 30% भी इस्तेमाल नहीं हो पाती। यह नियम बकवास है। सरकार को इस पर फिर से सोचना चाहिए।'
जब लोगों का गुस्सा दिखा तो दिल्ली सरकार ने CAQM को चिट्ठी लिखी और पुरानी गाड़ियों को फ्यूल न देने के फैसले पर रोक लगाने की मांग की। पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने इस चिट्ठी में लिखा कि 'ANPR सिस्टम अभी पूरे NCR में लागू नहीं हुआ। इस सिस्टम में अभी कई खामियां हैं। इसके अलावा हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट में भी समस्याएं हैं। ऐसे में इस नियम को लागू करना सही नहीं है।'
Delhi Govt letter to Commission for Air Quality Management in National Capital. pic.twitter.com/ZEbFbi6o6P
— Manjinder Singh Sirsa (@mssirsa) July 3, 2025
क्यों लिया गया था यह फैसला?
यह फैसला इसलिए लिया गया था, ताकि दिल्ली में वायु प्रदूषण को कम किया जा सके। दिल्ली में हर साल अक्टूबर-नवंबर से हवा जहरीली होने लगती है। ऐसा माना जाता है कि पुरानी पेट्रोल और डीजल गाड़ियों से निकलने वाले धुएं से हालात और खराब होते हैं।
अगस्त 2018 में संसदीय समिति ने अपनी रिपोर्ट में बताया था कि सर्दियों में दिल्ली में गाड़ियों से निकलने वाले धुंए से हवा में PM2.5 की मात्रा 25% तक रहती है, जबकि गर्मियों में यह 9% रहती है। यानी, दिल्ली की हवा में जितना PM2.5 होता है, उसका 25% सिर्फ गाड़ियों के धुंए की वजह से होता है। हवा में मौजूद PM2.5 को सबसे खतरनाक माना जाता है। वह इसलिए क्योंकि यह इतना महीन कण होता है कि मुंह और नाक के जरिए शरीर में घुस जाता है, जिससे कई बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है।
इतना ही नहीं, 2014 और 2015 में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) ने आदेश दिया था कि दिल्ली-NCR में 10 साल पुरानी पेट्रोल और 15 साल पुरानी डीजल गाड़ियों को बैन किया जाए। 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने NGT के इस फैसले को सही ठहराया था।
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इस फैसले से किसी को फायदा भी होगा?
वैसे तो कहा जा रहा है कि इस फैसले को वायु प्रदूषण को देखते हुए लागू किया गया है। हालांकि, जानकारों का मानना है कि इससे बहुत खास असर नहीं होगा। ऐसा इसलिए, क्योंकि सिर्फ पुरानी गाड़ियां ही प्रदूषण के लिए जिम्मेदार नहीं हैं।
इसके अलावा, CAQM का कहना है कि दिल्ली में 62 लाख EOL गाड़ियां हैं। हालांकि, हिंदुस्तान टाइम्स ने परिवहन विभाग के एक अधिकारी के हवाले से बताया था कि दिल्ली की सड़कों पर करीब 6 लाख EOL गाड़ियां ही हैं। बाकी गाड़ियां या तो स्क्रैप में चली गई हैं या डि-रजिस्टर्ड हो चुकी हैं या फिर उन्हें दूसरे शहरों में बेच दिया गया है।
पुरानी गाड़ियों पर प्रतिबंध लगाने का असर आम लोगों पर तो पड़ ही रहा है। साथ ही साथ इसका असर फ्यूल पंप की बिक्री पर भी पड़ रहा है। माना जा रहा है कि इस प्रतिबंध से पेट्रोल-डीजल की बिक्री 10-15% तक कम हो गई है। हालांकि, इस फैसले से भले ही कुछ लोगों को नुकसान उठाना पड़ रहा हो लेकिन इससे सरकार को फायदा होने की उम्मीद है। ऐसा इसलिए क्योंकि पुरानी गाड़ियां बैन होने से लोग नई गाड़ी खरीदेंगे, जिससे सरकार को टैक्स मिलेगा।
सरकार को कैसे होगा फायदा?
नई गाड़ी खरीदने पर 28% GST लगता है। इसके अलावा सेस, रोड टैक्स, पार्किंग फी, रजिस्ट्रेशन फीस, इंश्योरेंस GST और फास्टैग पर भी पैसा खर्च होता है।
सोसायटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैनुफैक्चरर्स (SIAM) के मुताबिक, 1500CC वाले इंजन की गाड़ियां खरीदने पर 28% GST के अलावा 17% कंपन्सेशन सेस लगता है। मतलब 45% तो यही हो जाता है। वहीं, ICICI की रिपोर्ट बताती है कि अगर 10 लाख रुपये तक की पेट्रोल गाड़ी है तो उस पर 8.75% और डीजल गाड़ी पर 10.94% तो रोड टैक्स लग जाता है।
अगर GST, कंपन्सेशन सेस और बाकी तरह के टैक्स और फी को जोड़ लिया जाए तो अनुमान लगाया जा सकता है कि एक 10 लाख रुपये तक की गाड़ी खरीदने पर तकरीबन 4-5 लाख रुपये तो ऐसे ही लग जाते हैं।
SIAM ने अपनी रिपोर्ट में बताया था कि 2023-24 में भारत की ऑटो इंडस्ट्री 20 लाख करोड़ रुपये को पार कर गई थी। सरकार को सालाना जितना GST मिलता है, उसका 14-15% सिर्फ ऑटो इंडस्ट्री से ही आता है।
अब अगर हिसाब लगाया जाए तो 2024-25 में केंद्र सरकार को 22.08 लाख करोड़ रुपये का GST मिला था। यह अब तक का सबसे ज्यादा है। इसमें अगर 15% ऑटो इंडस्ट्री का कंट्रीब्यूशन माना जाए तो यह 3 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा होता है।
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