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'जितना दमन, उतना बड़ा खतरा', लेह हिंसा पर क्या बोले फारूक?

लेह हिंसा के एक दिन बाद फारूक अब्दुल्ला ने केंद्र सरकार पर निशाना साधा और आरोप लगाया कि जितना अधिक वे दमन का इस्तेमाल करेंगे, खतरा उतना ही बढ़ेगा। उन्होंने केंद्र सरकार से लद्दाख की जनता से बातचीत करने की वकालत की।

Farooq Abdullah.

फारूक अब्दुल्ला। ( Photo Credit: PTI)

लेह में हिंसा के एक दिन बाद नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला ने बड़ा बयान दिया है। जब उनसे पूछा गया कि क्या उनकी पार्टी लेह हिंसा का समर्थन करती है तो उन्होंने कहा, 'नेशनल कॉन्फ्रेंस ने कभी गांधीवादी रास्ते को नहीं छोड़ा है। हमने कभी पत्थर नहीं उठाया और बम नहीं फेंका। वास्तव में हमने बलिदान दिया है। कल क्या होगा? हमारे बच्चे क्या करेंगे, उसके बारे में मैं कुछ नहीं कह सकता।'

 

फारूक अब्दुल्ला ने केंद्र सरकार को चेतावनी दी कि उसे लद्दाख से सबक लेना चाहिए और जम्मू-कश्मीर से किया वादा पूरा करना चाहिए। फारूक अब्दुल्ला ने कहा, 'जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा देने का वादा किया गया था, मगर वह कहां है? उन्हें सबक सीखना चाहिए। आपने हमसे जो वादे किए थे, वे कहां हैं, नौकरियां कहां हैं? बाहर से लोगों को थोपा जा रहा है।'

 

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कांग्रेस को दी क्लीनचिट

बीजेपी ने लेह हिंसा का दोष कांग्रेस पर मढ़ा। जब यह सवाल फारूक अब्दुल्ला से पूछा गया तो उन्होंने कहा, 'यह जिम्मेदारी से बचने की कोशिश है। भाजपा 2019 से सत्ता में है। कांग्रेस कहां से आ गई? वे (बीजेपी) हमेशा ध्यान भटकाने का प्रयास करते हैं। कांग्रेस 10 लोगों को इकट्ठा नहीं कर सकती। जो कुछ हो रहा है, उसके लिए दिल्ली में बैठे नेता जिम्मेदार हैं।'

यह जनता की आवाज: फारूक अब्दुल्ला

अब्दुल्ला ने लेह हिंसा में बाहरी ताकतों के शामिल होने की अटकलों को खारिज कर दिया। उन्होंने दावा किया कि पिछले पांच साल से लद्दाख की जनता छठी अनुसूची और राज्य के दर्जे की मांग चुपचाप तरीके से कर रही थी। नेताओं ने लेह से दिल्ली तक दौरा भी किया। आंदोलन की जगह गांधीवादी रास्ता चुना। मगर युवाओं को लगा कि वादे खोखले हैं। वह इसे बर्दाश्त नहीं कर सके। लेह हिंसा में कोई बाहरी हाथ नहीं है। यह जनता की आवाज है।

सोनम वांगचुक का किया बचाव

केंद्र सरकार ने सोनम वांगचुक को लेह हिंसा का जिम्मेदार ठहराया। हालांकि फारूक अब्दुल्ला ने उनका बचाव किया और कहा, 'वह हिंसा के जिम्मेदार नहीं हैं। अब्दुल्ला ने दावा किया, 'उन्होंने (वांगचुक) कभी गांधीवादी रास्ता नहीं छोड़ा। आज युवाओं ने उन्हें दरकिनार कर दिया है। इसके लिए वे जिम्मेदार नहीं हैं। जब वे (बीजेपपी) चुनाव हार गए तो उन्होंने सुरक्षा कानून लागू कर दिया और लोगों को जेलों में डाल दिया। अब वे सीबीआई का इस्तेमाल कर रहे हैं। जितना अधिक वे दमन का इस्तेमाल करेंगे, खतरा उतना ही बढ़ेगा। मैं भारत सरकार से कहना चाहता हूं कि बल का इस्तेमाल न करें और बातचीत करें।'

 

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फारूक अब्दुल्ला ने बताया चीन वाला एंगल

फारूक अब्दुल्ला ने केंद्र से लद्दाख के लोगों से बातचीत करने और जल्द से जल्द मामले को सुलझाने की वकालत की। अब्दुल्ला ने कहा, 'मैं सरकार को बताना चाहता हूं कि लद्दाख सीमावर्ती राज्य है। चीन घात लगाए बैठा है। सरकार को बातचीत करके मामले को जल्द सुलझाना चाहिए। अगर लद्दाख क्षेत्र में कोई खालीपन रहा तो कोई और उसे भरने की कोशिश करेगा।' 

 

सरकार का दावा है कि चीन ने लद्दाख में कोई जमीन पर कब्जा नहीं किया है। इस पर फारूक अब्दुल्ला का कहना, 'पूरी दुनिया जानती है कि उन्होंने (चीन) कितनी जमीन हथियाई है? हम अपनी जमीन पर गश्त भी नहीं कर सकते। हम कब तक झूठ की दुनिया में रहेंगे?' 

 

 

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