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NOIDA में जेवर इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर पहली लैंडिंग और टेकऑफ सफल

नोएडा में जेवर इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर पहली लैंडिंग और टेकऑफ का ट्रायल सफलतापूर्वक कर लिया गया है। डेटा के आधार पर कॉमर्शियल उड़ान की अनुमति दी जाएगी।

Representational Image of Indigo Flight : PTI

इंडिगो फ्लाइट की प्रतीकात्मक तस्वीर । पीटीआई

नोएडा के जेवर एयरपोर्ट पर पहली फ्लाइट की लैंडिंग हो गई है। नोएडा में जेवर इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर इंडिगो की पहली फ्लाइट के उतरते ही उसका स्वागत वाटर कैनन के जरिए किया गया। लैंडिंग के बाद फ्लाइट का टेकऑफ भी सफलतापूर्वक किया गया। अब लैंडिंग के डेटा के आधार पर ही आगे कॉमर्शियल फ्लाइट्स को अनुमति देने पर विचार किया जाएगा।

 

इंडिगो फ्लाइट ने दिल्ली के इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट से उड़ान भरी थी। यूपी के जेवर स्थित इस एयरपोर्ट का कार्यसंचालन अगले साल अप्रैल से शुरू होने की उम्मीद है। आईजीआई के बाद अब यह दिल्ली-एनसीआर में सबसे बड़ा एयरपोर्ट होगा।

 

इस मौके पर नागरिक उड्डयन मंत्री ने कहा, 'यह काफी गौरवपूर्ण क्षण था. आज फ्लाइट का उतरना काफी बड़ी उपलब्धि थी।

 

 

पीएम मोदी ने रखी थी आधारशिला

पीएम मोदी ने साल 2021 में जेवर एयरपोर्ट की आधारशिला रखी थी। एयरपोर्ट को नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट लिमिटेड के साथ मिलकर यमुना इंटरनेशनल एयरपोर्ट प्राइवेट लिमिटेड द्वारा बनाया जा रहा है जो कि ज्यूरिख एयरपोर्ट इंटरनेशनल एजी की सहायक कंपनी है।

 

परियोजना कुल 1,334 हेक्टेयर  क्षेत्रफल पर फैली है और उम्मीद है कि इसके पहले चरण में हर साल 1.2 करोड़ यात्री हवाई अड्डे का उपयोग करेंगे। दशक के अंत तक यह संख्या बढ़कर 3 करोड़ और उसके कुछ साल बाद 7 करोड़ हो जाने का अनुमान है।

शुरू में एक रनवे होगा चालू

शुरुआत में एक रनवे चालू होगा और जब यह खुलेगा, तो टर्मिनल में 10 एयरोब्रिज और तीन बस गेट होंगे। अंततः दो ऑपरेशनल रनवे होंगे और जबकि हवाई अड्डे पर शुरुआत में एप्रन क्षेत्र में विमानों के लिए 28 स्थान होंगे, उड़ानों और यात्रियों की संख्या बढ़ने पर यह संख्या 200 तक बढ़ जाएगी।

 

यह हवाई अड्डा सिग्नल-फ्री यमुना एक्सप्रेसवे के माध्यम से ग्रेटर नोएडा, नोएडा और दिल्ली से जुड़ा हुआ है।

 

इसे ताजमहल सहित उत्तर भारत के पर्यटन स्थलों, तथा चारधाम यात्रा, कुंभ मेला, मथुरा और वृंदावन जैसे हिंदू तीर्थस्थलों के साथ-साथ श्रावस्ती, कपिलवस्तु और कुशीनगर के बौद्ध सर्किट के लिए प्रवेश द्वार के रूप में योजनाबद्ध किया गया है।

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