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नासिक में तेजस Mark-1A की पहली गर्जना, खुद मौजूद रहे रक्षा मंत्री

तेजस Mk1A के भारतीय वायु सेना में शामिल होने से भविष्य में भारत की ताकत में भारी इजाफा होगा।

Tejas Mark-1A

उड़ान भरता तेजस Mark-1A, Photo Credit- ANI

अब देश में वायुसेना की ताकत और भी तेजी से बढ़ने वाली है। भारत जिन लड़ाकु विमानों को अमेरिका फ्रांस और रूस से खरीदता था, अब इन लड़ाकु विमानों का निर्माण खुद ही करने लगा है। दरअसल, आज महाराष्ट्र के नासिक में तेजस Mk1A लड़ाकू विमान ने पहली बार उड़ान भरी। इस मौके पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह मौजूद रहे।

 

इस लड़ाकु विमान का निर्माण हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) ने किया है। यह पहला जेट डिलीवर हुआ है। यह वही फाइटर जेट है, जिसका वायुसेना लंबे समय से इंतजार कर रही थी। हालांकि, तेजस-एमके1ए को कई परीक्षणों के बाद भारतीय वायु सेना में औपचारिक रूप से शामिल किया जाएगा।

घरेलू रक्षा उत्पादन को 100 फीसदी...

इस मौके पर राजनाथ सिंह ने कहा कि भारत घरेलू रक्षा उत्पादन को 100 फीसदी तक ले जाने की दिशा में काम कर रहा है। उन्होंने इसके पीछे की वजह बताते हुए कहा कि विदेशी सैन्य आपूर्ति पर निर्भरता सामरिक कमजोरी पैदा करती है। बता दें कि नासिक में अब तीसरी एलसीए उत्पादन लाइन और दूसरी एचटीटी-40 उत्पादन लाइन स्थापित हो रही है। तेजस के उड़ान भरने से पहले रनवे पर वाटर कैनन से सलामी दी गई। 

 

 

 

24 तेजस का होना है उत्पादन

तेजस विमानों के लिए नई सुविधा के खुलने से हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड द्वारा कम से कम 24 तेजस विमानों का उत्पादन किए जाने की उम्मीद है। इस दौरान राजनाथ सिंह ने कहा, 'एक समय था जब देश अपनी रक्षा जरूरतों को पूरा करने के लिए दूसरे देशों पर निर्भर था और लगभग 65-70 प्रतिशत रक्षा उपकरण आयात किए जाते थे लेकिन आज स्थिति बदल गई है। अब भारत 65 प्रतिशत विनिर्माण अपनी धरती पर कर रहा है।'

 

उन्होंने कहा, 'हम अपने घरेलू विनिर्माण को बहुत जल्द 100 प्रतिशत तक भी ले जाएंगे। भारत का रक्षा निर्यात 25,000 करोड़ रुपये के रिकॉर्ड स्तर तक पहुंच गया है जो कुछ साल पहले 1,000 करोड़ रुपये से भी कम था। हमने 2029 तक घरेलू रक्षा विनिर्माण में तीन लाख करोड़ रुपये और रक्षा निर्यात में 50,000 करोड़ रुपये हासिल करने का लक्ष्य रखा है।'

अभी होने हैं कई परीक्षण

हालांकि, अभी तेजस Mk1A को एस्ट्रा दृश्य-सीमा से परे हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइल, कम दूरी की मिसाइलों और लेजर-निर्देशित बमों से जुड़े परीक्षणों में सफल होना होगा।

 

प्री-इंडक्शन परीक्षण इजरायली मूल के ELTA ELM-2052 रडार और अग्नि-नियंत्रण सिस्टम के साथ मिलकर काम कर रहे हैं। वहीं, इससे पहले के परीक्षणों में तेजस में सॉफ्टवेयर संबंधी कुछ खामियां आई थीं, जिसकी वजह से अंतिम समय में तेजस में बदलाव करने पड़े थे।

 

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