जहां ऑस्ट्रेलिया, कनाडा और अमेरिका जैसे देश दूसरे देशों से आकर काम करने वाले लोगों के लिए वीज़ा का कोटा कम कर रहे हैं या ऐसा करने पर विचार कर रहे हैं, वहीं जर्मनी इसे बढ़ाने पर विचार कर रहा है।
ऑस्ट्रेलिया ने हाल ही में अस्थायी वर्क वीज़ा पर रेग्युलेशन को कड़ा करने की कोशिश की थी, ताकि स्थानीय लोगों के रोज़गार पर इसका नकारात्मक प्रभाव न पड़े. इसके अलावा यह पढ़ने के लिए आने वाले छात्रों की संख्या को भी सीमित करने के बारे में सोच रहा है जिससे रिहायशी इलाकों में मकानों पर पड़ने वाले जनसंख्या दबाव को कम किया जा सके।
यही नहीं कनाडा ने भी कुछ दिन पहले घोषणा की थी कि वह स्टूडेंट परमिट को सीमित करेगा। लेकिन, इसके उलट जर्मनी भारतीयों को अपने यहां रोज़गार के लिए ज्यादा से ज़्यादा बुलाने पर विचार कर रहा है। भारत के पास स्किल्ड युवाओं की भरमार है जो कि जर्मनी और भारत दोनों के लिए काफी फायदे वाली बात हो सकती है। जर्मनी अब हर साल 20 हजार के बजाय 90 हजार युवाओं को वर्क वीज़ा देगा।
इस बात की जानकारी देते हुए पीएम मोदी ने कहा, 'हमने आने वाले 25 सालों में विकसित भारत का रोडमैप तैयार किया है। मुझे बहुत खुशी हो रही है कि इस महत्वपूर्ण समय में जर्मन कैबिनेट ने 'फोकस ऑन इंडिया' डॉक्यूमेंट जारी किया है। जर्मनी ने स्किल्ड इंडियन प्रोफेशनल्स के लिए वीज़ा संख्या 20 हजार से बढ़ाकर 90 हजार करने का फैसला किया है। इससे जर्मनी के विकास को नई गति मिलने वाली है।'
क्यों चाहिए जर्मनी को भारतीय युवा
जर्मनी न सिर्फ यूरोप में सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है बल्कि दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। इस गति को बनाए रखने के लिए जर्मनी चाहता है कि कार्यशील जनसंख्या की कमी उसके देश में न हो. इसके अलावा यूरोप के तमाम देशों में अवैध प्रवासियों की समस्या बनी हुई है और ये देश आर्थिक मंदी का भी शिकार हो रहे हैं, लेकिन जर्मनी तुलनात्मक रूप से बेहतर विकास कर रहा है। पर इस रफ्तार को बनाए रखने के लिए कार्यशील युवा जनसंख्या की जरूरत है, जिसकी आपूर्ति भारत के जरिए आसानी से हो सकती है।
जर्मनी में बूढ़े लोगों की बढ़ रही जनसंख्या
दरअसल यूरोप के बाकी देशों की तरह ही जर्मनी में भी बूढ़े लोगों की जनसंख्या बढ़ रही है। ऐसे में जर्मनी के पास अपने यहां वर्कफोर्स बढ़ाने के लिए भारत से स्किल्ड युवा जनसंख्या को वर्क वीज़ा देकर इकोनॉमिक ग्रोथ को बनाए रखना काफी आसान तरीका है। भारत का वर्कफोर्स न सिर्फ काफी स्किल्ड है बल्कि तुलनात्मक रूप से सस्ता भी है इसलिए जर्मनी भारतीय युवाओं को तरजीह दे रहा है। साथ ही अभी भी जर्मनी में भारी संख्या में भारतीय युवा काम करते हैं जो कि वहां की ग्रोथ में काफी सहायक हैं।