गुजरात में भी UCC! क्या है BJP सरकार की तैयारी?
उत्तराखंड में भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने 27 जनवरी से ही समान नागरिक संहिता लागू कर दी है। अब गुजरात भी लागू कराने की तैयारी है।

गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल (Photo Credit: Facebook)
गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने ऐलान किया है कि राज्य में समान नागरिक संहिता लागू करने के लिए मसौदा तैयार किया जाएगा। मंगलवार को उन्होंने 4 सदस्यीय समिति का गठन किया है। समिति की अध्यक्षता रंजना देसाई करेंगी।
सीएम भूपेंद्र पटेल ने कहा है कि अब समान नागिरक संहिता की दिशा में ड्राफ्ट तैयार करने की प्रक्रिया शुरू होगी। यह समिति 45 दिनों के अंदर अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपेगी। सरकार रिपोर्ट की बारिकियां समझने के बाद ही इस दिशा में कोई एक्शन लेगी।
उत्तराखंड की राह पर अब गुजरात भी चलने की तैयारी कर रहा है। समान नागरिक संहिता के समर्थन में उन्होंने कहा है कि इसकी जनता की जरूरत है। उन्होंने कहा, 'जो कहो, वही करो, यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चाहते हैं। हमने तीन तलाक कानून और एक देश एक चुनाव की दिशा में कदम बढ़ाया है। अब हम नागरिक संहिता की लागू करेंगे।'
कौन करेगा समिति की अध्यक्षता?
भूपेंद्र पटेल ने कहा, 'राज्य सरकार यहां के नागिरकों को एक समान हक देना चाहती है। हम समान नागरिक संहिता लागू करने के लिए एक समिति का गठन कर रहे हैं। इसके 5 सदस्य होंगे। हम चाहते हैं कि राज्य के निवासियों को एक समान हक मिले। सुप्रीम कोर्ट की रिटायर्ड जज रंजना देसाई अध्यक्षता करेंगी। समिति में अन्य सदस्यों के नाम रिटायर्ड IAS सीएल मीना, आशीष कोडेकर, दक्षेस ठाकर और गीता शामिल होंगी। कमेटी 15 दिनों के भीतर रिपोर्ट सौंपेगी।'
यह भी पढ़ें: 'किस मुहूर्त का इंतजार कर रहे हैं?' असम सरकार से SC ने क्यों कहा ऐसा
उत्तराखंड में लागू है समान नागरिक संहिता
समान नागरिक संहिता की मांग देश में एक अरसे से होती आई है। अल्पसंख्यक और आदिवासी समूह इस संहिता का विरोध करते हैं। 27 जनवरी से उत्तराखंड की पुष्कर सिंह धामी सरकार ने उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता लागू कर दी है।
क्या आदिवासियों पर भी लागू होगा UCC?
गुजरात में आदिवासी भी बड़ी संख्या में रहते हैं। आदिवासियों अपनी देशज परंपराए होती हैं, जिनकी वजह से वे समान नागरिक संहिता का विरोध करते हैं। झारखंड और कुछ अन्य जनजाति बाहुल राज्यों को लेकर गृहमंत्री अमित शाह पहले ही स्पष्ट कर चुके हैं कि उनके हितों से खिलवाड़ नहीं होगी।
समान नागरिक संहिता है क्या?
समान नागरिक संहिता का जिक्र संविधान के अनुच्छेद 44 में है। इस अनुच्छेद में कहा गया है, 'राज्य भारत के समस्त राज्यक्षेत्रों में एक समान सिविल संहिता प्राप्त करने की कोशिश करेगा।' समान नागिरक संहिता का मतलब है कि सभी नागरिकों के लिए एक जैसे कानूनी अधिकार। अभी लोगों को व्यक्तिगत कानूनों की वजह से कानून के कई प्रावधानों से छूट मिल जाती है, जिसकी आलोचना होती है। भारत में समान नागिरक संहिता पर विवाद की स्थिति रहती है। अल्पसंख्यक और आदिवासी समाज से जुड़ा एक बड़ा तबका नहीं चाहता है कि समान नागरिक संहिता लागू हो।
यह भी पढ़े: दिल्ली की वे 20 सीटें, जहां इस बार तगड़ा हो सकता है मुकाबला?
समान नागरिक संहिता क्यों चाहिए?
सुप्रीम कोर्ट की अधिवक्ता रुपाली पंवार ने कहा, 'सभी धर्मों को अपने-अपने धार्मिक कानूनों को मानने की इजाजत है। सामान्य तौर पर सिख, बौद्ध, जैन और हिंदू के लिए हिंदू विवाह अधिनियम, भरण पोषण अधिनियम जैसे व्यक्तिगत कानून हैं। मुसलमानों के लिए मुस्लिम पर्सनल लॉ है। यहूदी, पारसी और इसाइयों के भी व्यक्तिगत कानून हैं। विवाह और संपत्ति से जुड़े विवादों में हर धर्म का अपने धर्म के हिसाब से निपटारा होता है। तलाक, संपत्ति बंटवारे और गोदनामे से जुड़े अधिकार हिंदू और मुस्लिम कानूनों में बेहद अलग हैं।
एडवोकेट रुपाली पंवार ने कहा, 'इस्लाम में बहुविवाह अपराध नहीं है लेकिन हिंदू मैरिज एक्ट के तहत यह अपराध है। ऐसे ही संपत्ति से जुड़े विवादों में भी इस्लामिक कानून अलग हैं। गोदनामे से जुड़े मामलो में भी अलग हैं। इस्लाम में हलाला, तीन तलाक जैसी कुरीतियां हैं, जिन्हें हटाने के लिए नरेंद्र मोदी सरकार पहले ही कानून ला चुकी है। इस्लाम में भरण-पोषण से जुड़े भी कानून बेहद अलग हैं, जिन्हें बदलने की बहस होती है।'
एडवोकेट सुधांशु बिरंचि बताते हैं, 'आदिवासी अलग-अलग परंपराओं को प्रथाओं को मानते हैं। वे अपने अधिकारों के संरक्षण के पक्षधर हैं। वे नहीं चाहते कि किसी कानून के जरिए उनकी परंपराओं को बदल दिया जाए। उनमें भी कुछ समूहों में बहु-विवाह की प्रथा है। आदिवासी इसे खतरा के तौर पर देखते हैं।'
अगर UCC लागू हो तो क्या होगा?
व्यक्तिगत कानून खत्म हो जाएंगे। सभी नागरिकों के लिए एक समान कानून होगा।
और पढ़ें
Copyright ©️ TIF MULTIMEDIA PRIVATE LIMITED | All Rights Reserved | Developed By TIF Technologies
CONTACT US | PRIVACY POLICY | TERMS OF USE | Sitemap