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पीएम जन आरोग्य योजना क्यों चर्चा में, 112 मरीजों की मौत से बवाल

गुजरात में प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (पीएमजेएवाई) योजना के तहत एक बड़ा घोटाला सामने आया है। जांच से पता चला है कि इन 3,842 लाभार्थियों में से 112 की इन तीन वर्षों में इलाज के दौरान या बाद में मौत हो गई।

Ahmedabad-based Khyati Multi-speciality Hospital

प्रतीकात्मक तस्वीर, Image credit: PTI

गुजरात में प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (पीएमजेएवाई) योजना के तहत एक बड़े घोटाले का खुलासा हुआ है। यहां ख्याति अस्पताल में 3842 मरीजों का इलाज योजना के तहत किया गया। अब अस्पताल के रिकॉर्ड की ऑडिट में खुलासा हुआ है कि तीन साल के भीतर इनमें से 1 या 2 नहीं बल्कि 112 मरीजों की मौत या तो सर्जरी के दौरान या सर्जरी के बाद हो गई। 

 

अहमदाबाद क्राइम ब्रांच द्वारा बैरिएट्रिक सर्जन और अस्पताल के निदेशकों में से एक डॉ. संजय पटोलिया को गिरफ्तार किए जाने के कुछ दिनों बाद यह खुलासा हुआ है। पुलिस ने कहा कि इन मौतों की जांच के लिए चिकित्सा विशेषज्ञों की मदद ली जाएगी। सहायक पुलिस आयुक्त (एसीपी) भरत पटेल ने कहा कि निजी अस्पताल में पीएमजेएवाई के तहत करीब 8,500 मरीजों ने इलाज कराया या अलग-अलग सर्जरी करवाई।

 

इलाज के दौरान या बाद में अपनी जान गंवाई

अधिकारी ने कहा, 'इनमें से 3,842 लोगों को पीएमजेएवाई जैसी सरकारी योजनाओं के तहत मुफ्त इलाज मिला। हमारी जांच से पता चला है कि इन 3,842 लाभार्थियों में से 112 ने इन तीन वर्षों में इलाज के दौरान या बाद में अपनी जान गंवा दी।' पुलिस ने यह भी कहा कि एंजियोप्लास्टी मौत मामले में आरोपी सहित अस्पताल प्रबंधन ने इन मामलों से प्राप्त राजस्व को अपने खातों में विभिन्न उप-शीर्षों के तहत विभाजित किया, ताकि अपनी नवीनतम वित्तीय रिपोर्ट में 1.5 करोड़ रुपये का घाटा दिखाया जा सके।

 

ख्याति अस्पताल पहले से विवादों में 

दरअसल, यह अस्पताल पहले से ही 2 मरीजों की मौत के बाद से विवाद में बना हुआ हैं।  मामले के सिलसिले में सीईओ राहुल जैन और निदेशक (मार्केटिंग) चिराग राजपूत समेत सात लोगों को गिरफ्तार किया गया है। दो अन्य आरोपी - अस्पताल के चेयरमैन कार्तिक पटेल (जो विदेश में हैं) और निदेशक राजश्री कोठारी - अभी भी फरार हैं।

 

पुलिस जांच में पता चला है कि अस्पताल ने गांवों में जांच शिविर लगाने के लिए गांवों का दौरा किया और पीएमजेएवाई कार्डधारकों को एंजियोप्लास्टी कराने के लिए राजी किया, जबकि इस प्रक्रिया के लिए कोई मेडिकल आवश्यकता नहीं थी। 

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