क्या किसानों में पड़ी फूट, शंभू बॉर्डर पर किसानों का क्या है प्लान
शंभू बॉर्डर पर बैठे किसानों से हरियाणा के किसानों ने किनारा कर लिया है। ऐसे में 8 दिसंबर के लिए किसानों की क्या योजना है?

आंदोलन करते किसान । पीटीआई
शंभू बॉर्डर पर किसानों का एक जत्था दिल्ली की ओर कूच करने के लिए बैठा हुआ है। शुक्रवार को किसानों ने दिल्ली की तरफ कूच करने की कोशिश की थी जिसे पुलिस ने रोक दिया था। पुलिस के साथ झड़प में कुछ किसानों को चोट भी आई थी।
पुलिस के मुताबिक किसानों ने बैरिकेडिंग की कुछ लेयर तोड़ दी थी और पुलिस द्वारा बनाए गए शेड पर चढ़ने की कोशिश भी की थी। इसके बाद पुलिस को किसानों को रोकने के लिए आंसू गैस के गोले छोड़ने पड़े थे।
शाम तक किसानों ने अपने आंदोलन को रोक दिया था और सरकार को बात करने के लिए एक दिन का वक्त दिया था। उनका कहना था कि अगर सरकार 7 दिसंबर तक बात नहीं करती है तो 101 किसानों का जत्था फिर से दिल्ली की तरफ कूच करेगा।
हालांकि, उसी दिन कृषि मंत्री का बयान भी आया कि मोदी सरकार किसानों के कल्याण के लिए प्रतिबद्ध है और बेहतर एमएसपी के लिए हर संभव प्रयास किया जाएगा।
खैर, लेकिन अभी तक सरकार की तरफ से किसी ने भी औपचारिक तौर पर किसानों से बात करने की कोशिश नहीं की है।
वहीं किसानों के नेता सरवन सिंह पंढेर ने कहा कि पैदल जाते किसानों के साथ इतना जुल्म क्यों किया जा रहा है। उस बात को रिलीव करने के लिए सरकार द्वारा झूठी बात की जा रही है कि एमएसपी देंगे। लेकिन एमएसपी देने की बात ही नहीं हो रही बल्कि मंडी में एमएसपी पर फसलें खरीदी नहीं जा रहीं तो उसकी खरीद को सुनिश्चित करने के लिए आंदोलन कर रहे।
#WATCH | At the Shambhu border, farmer leader Sarwan Singh Pandher says, "Why are farmers being treated with brutality?... Taking cognisance of the whole situation, tomorrow at noon, a group of 101 will depart for Delhi. Our hunger strike has entered its 12th day... Our group… pic.twitter.com/4FqpLU8cEU
— ANI (@ANI) December 7, 2024
उन्होंने कहा कि सारी स्थिति का जायज़ा लेते हुए कल यानी कि रविवार को 101 किसानों का जत्था रवाना होगा। उन्होंने कहा कि हम जत्थे को शांतिपूर्ण ढंग से भेजेंगे और कोई भी अनुशासन टूटने नहीं देंगे। उन्होंने कहा कि केंद्र के जब्र का मुकाबला सब्र से करेंगे।
क्या किसानों में पड़ गई है फूट
इस बीच शंभू बॉर्डर पर मौजूद किसानों से हरियाणा के किसानों ने किनारा कर लिया है. उनका कहना है कि वे किसानों की मांगों का समर्थन तो करते हैं लेकिन आंदोलन में साथ नहीं हैं। खबरों के मुताबिक भारतीय किसान यूनियन (चढ़ूनी), भारतीय किसान यूनियन, संयुक्त किसान मोर्चा ने भी दूरी बना ली।
वहीं हरियाणा के कैबिनेट मंत्री कृष्ण कुमार बेदी ने भी कहा है कि आंदोलन में हरियाणा का एक भी किसान शामिल नहीं है. उनका कहना है कि इस आंदोलन में सिर्फ पंजाब के किसान शामिल हैं.
साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि हरियाणा सरकार और मोदी सरकार ने किसानों के लिए बहुत काम किया है। हरियाणा तो पराली प्रबंधन के मुद्दे पर भी बेहतरीन काम कर रहा है. यही वजह है कि हरियाणा को सुप्रीम कोर्ट से भी शाबासी मिली है, जबकि पंजाब सरकार किसानों की फसल नहीं खरीद रही है. किसानों को फसल का भुगतान नहीं हो रहा है और उठान नहीं हो रहा है. किसानों को आंदोलन करना है तो पंजाब में जाकर करें.
कृषि मंत्री ने दिया था आश्वासन
कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने राज्यसभा में बोलते हुए कहा था कि नरेंद्र मोदी सरकार फसलों को एमएसपी पर खरीदेगी . उन्होंने कहा था कि 'किसानों का हित हमारी प्राथमिकता है। एमएसपी की आवश्यकता तब पड़ती है जब फसलें मार्केट में निर्धारित मूल्य से नीचे बिकती हैं। हमने एमएसपी को बढ़ाने की पूरी कोशिश की है और फसलों को इस कीमत पर खरीदने की कोशिश की है।'
चौहान ने आगे कहा कि पीएम नरेंद्र मोदी की अगुवाई में कृषि के लिए पिछले दशक में बजट आवंटन में काफी वृद्धि हुई है। उन्होंने कहा कि पीएम मोदी के नेतृत्व में सरकार किसानों के कल्याण के लिए प्रतिबद्ध है. पिछले 10 सालों में कृषि के बजट में और एमएसपी में बढ़ोत्तरी हुई है।
क्या हैं किसानों की मांगें
- MSP गारंटी को कानून बनाया जाए
- स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट पर कीमत तय हो
- किसानों का कर्ज माफ हो
- भूमि अधिग्रहण अधिनियम 2013 दोबारा लागू हो
- विद्युत संशोधन विधेयक 2020 रद्द किया जाए
- लखीमपुर खीरी कांड के दोषियों को सजा मिले
- आंदोलन में मारे गए किसान के परिवार को मुआवजा मिले
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