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हजरतबल दरगाह में अशोक चिह्न पर हंगामा और विवाद की कहानी क्या है?

हजरतबल दरगाह में एक पत्थर पर राष्ट्रीय चिह्न उकेरने पर ऐसा हंगामा बरपा है कि जिस पर देशभर में सियासत हो रही है। क्या है पूरा मामला, समझिए।

Hazratbal

हज़रतबल दरगाह। (Photo Credit: PTI)

जम्मू और कश्मीर में इन दिनों राष्ट्रीय चिह्न 'अशोक स्तंभ' को लेकर हंगामा बरपा है। कश्मीर के श्रीनगर में हजरतबल मजार की सरकार ने मरम्मत कराई थी। ईद-ए-मिलाद का दिन था। हजारों की संख्या में लोग मजार के बाहर जुटे और वहां मौजूद शिलापट्ट पर अशोक स्तंभ देखकर भड़क गए। भीड़ से कुछ लोग आए, ईंट पत्थर उठाकर मजार के शिलापट्ट को तोड़ने लगे। 

भीड़ ने अशोक स्तंभ को निशाना बनाया। एक शख्स ने उसी निशान पर इतने ईंट मारे के लगा ही नहीं, कभी अशोक स्तंभ वहां छपा हुआ था। जुमे की नमाज के बाद भड़के इस हंगामे के दौरान लोगों ने वक्फ बोर्ड के खिलाफ नारे लगाए। कश्मीर में अब वक्फ बोर्ड की अध्यक्ष दाराख्शां अंद्राबी को हटाने की मांग उठ रही है। 

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दरगाह खास क्यों है?

यह हजरतबल मजार दरगाह कश्मीर के चर्चित धर्मस्थलों में से एक है। यहां पैंगबर मोहम्मद की निशानियां रखी गई हैं। कश्मीर के मुस्लिमों के लिए यह दरगाह खास है। जम्मू-कश्मीर वक्फ बोर्ड ने करोड़ों रुपये खर्च करके हजरतबल दरगाह की मरम्मत कराई थी। इसी में शिलापट्ट लगाया गया था, जिसे भीड़ ने तोड़ दिया है। ऐसी मान्यता है कि यहां पैंगबर के बाल रखे हैं। 

दरख्शां अंद्राबी:-
कानूनी तौर पर नेशनल एम्बलेम को नुकसान पहुंचाना एक अपराध है। उन्होंने दरगाह की संपत्ति को भी नुकसान पहुंचाया है। ऐसे लोगों की पहचान की जाएगी। जिनकी पहचान की जाएगी उन्हें उम्रभर के लिए दरगाह से बैन किया जाएगा और उनके खिलाफ FIR होगी। 

दरगाह में हुआ क्या था, एक नजर:-


सिसायत क्यों बरपी है?

जम्मू और कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला इस हमले की निंदा करने की जगह, हमले को सही ठहराते नजर आए। उन्होंने अशोक स्तंभ के सवाल पर कहा,'दरगाह हजरतबल को यह शक्ल शेख मोहम्मद अब्दुल्ला ने दिया था। कहीं उन्होंने पत्थर लगाया? आज भी लोग उनके काम को याद करते हैं, इस बात के बावजूद कि उन्होंने अपने नाम का कोई पत्थर लगाया? पत्थर लगाने की जरूरत ही नहीं थी। अगर काम अच्छा होता तो लोग खुद-ब-खुद पहचान लेते। उन्होंने गलती की हो गया, नहीं होना चाहिए।'

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उमर अब्दुल्ला, मुख्यमंत्री, जम्मू और कश्मीर:-
उस पत्थर पर राष्ट्रीय प्रतीक लगना चाहिए था या नहीं, पहले तो यह सवाल बनता है। मैंने अभी तक किसी मजहबी इदायरे में, इस तरह के प्रतीक का इस्तेमाल होते नहीं देखा गया है। पत्थर लगाने की क्या जरूरत थी, क्या काम काफी नहीं था? 

उमर अब्दुल्ला ने कहा, 'डरा धमकाकर क्या होगा। पहले लोगों के जज्बातों के साथ खिलवाड़ हुआ। उसके लिए तो माफी मांगी जाए। ये कहें कि गलती हुई, हमसे यह नहीं होना चाहिए। जहां भी धार्मिक स्थल हैं, ऐसे आयोजनत होते हैं, वहां कहीं भी सरकारी प्रतीक इस्तेमाल नहीं होता है। मस्जिद दरगाह मजहबी इदायरे हैं।'

भारतीय जनता पार्टी ने क्या कहा?

सुधांशु त्रिवेदी, राज्यसभा सांसद, बीजेपी:-
वे भारत और उसके राष्ट्रीय गौरव की किसी भी पहचान और प्रतीक पर प्रहार करने को तैयार हैं। अशोक स्तंभ राष्ट्रीय गौरव और भारत की पहचान का प्रतीक है। अशोक भारत के महानतम राजाओं में से एक थे और बिहार के पुत्र थे। इसलिए हम इंडिया गठबंधन के नेताओं, खासकर राहुल गांधी और तेजस्वी यादव से स्पष्ट जवाब चाहते हैं। भारत की अस्मिता और सम्मान के प्रतीक पर हुए इस हमले का बचाव करने के लिए आपको देश से माफी मांगनी चाहिए। 


अशोक स्तंभ के साथ हुई तोड़-फोड़ पर भारतीय जनता पार्टी ने मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला के बयानों की आलोचना की। बीजेपी ने राहुल गांधी और उमर अब्दुल्ला से भारत की प्रतीक को अपमानित करने के लिए माफी मांगने की सलाह दी है। 

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बीजेपी राज्यसभा सांसद सुधांशु त्रिवेदी ने कहा, 'उमर अब्दुल्ला ने अपनी टिप्पणी से सारनाथ के अशोक स्तंभ का प्रतिनिधित्व करने वाले राष्ट्रीय प्रतीक के प्रति घोर अनादर' किया है। इस कायरतापूर्ण हमले की निंदा करने के बजाय, इंडिया गठबंधन के नेता और जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला इसे उचित ठहराने की कोशिश कर रहे हैं।' 

सुनील सेठी, बीजपी प्रवक्ता:-
हजरतबल की घटना संवेदनशील है। यह कृत्य न केवल राज्य के खिलाफ है, बल्कि कश्मीर की सूफी संस्कृति के खिलाफ भी है, जो सहिष्णुता सिखाती है। 


दरख्शां अंद्राबी पर PDP-NC ने उठाए सवाल

नेशनल कॉन्फ्रेंस और PDP ने वक्फ बोर्ड की अध्यक्ष दरख्शां अंद्राबी पर स्टेट एम्ब्लम ऑफ इंडिया (प्रोहिबिशन ऑफ इम्प्रॉपर यूज) एक्ट, 2005 के उल्लंघन का आरोप लगाया है। दोनों दलों ने दाराख्शां अंद्राबी का इस्तीफा मांगा है। नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेताओं ने कहा कि अगर माता वैष्णो देवी मंदिर की शिला पर राष्ट्रीय प्रतीक नहीं है तो दरगाह पर क्यों है। 

महबूबा मुफ्ती, PDP प्रमुख:-
इस कदम से मुस्लिमों की धार्मिक भावनाएं आहत हुई हैं। हजरतबल कोई ताजपोशी या राजनीतिक प्रतीक का स्थान नहीं है। लोग राष्ट्रीय चिन्ह के खिलाफ नहीं थे, बल्कि मूर्ति पूजा के खिलाफ थे। जम्मू-कश्मीर के मौजूदा वक्फ बोर्ड को भंग कर दिया जाए, अधिकारियों को हटा दिया जाए।


पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के प्रमुख सज्जाद लोन ने कहा, 'पाक मजहबी जगहों पर इस तरह के प्रतीकों का इस्तेमाल दुर्भाग्यपूर्ण है।'

 

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