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अधजली लाशें, कई किलोमीटर तक फैला मलबा; आसमान में टकरा गए थे दो विमान

करीब तीन दशक पहले हरियाणा के चरखी-दादरी में एक विमान हादसा हुआ था जिसकी याद आज भी वहां के लोगों के जहन में जिंदा है। दो विमान आसमान में ही टकरा गए थे।

Representational Image । Photo Credit: AI Generated

प्रतीकात्मक तस्वीर । Photo Credit: AI Generated

आज से लगभग तीन दशक पहले, हरियाणा के चरखी दादरी के आसमान में भारत की सबसे भयावह विमान हादसों में से एक हुई जिसने पूरी दुनिया को झकझोर के रख दिया था। बात 12 नवंबर 1996 के शाम की है, जब दो विमान—एक सऊदी अरब एयरलाइंस का और दूसरा कजाकिस्तान एयरलाइंस का—दिल्ली के पास चरखी दादरी के टिकाण गांव के ऊपर हवा में आपस में टकरा गए थे।

 

सऊदी एयरलाइंस की फ्लाइट 763 (बोइंग 747) थी, दिल्ली से उड़ान भरकर सऊदी के दहरान शहर जा रही थी। वहीं, कजाकिस्तान एयरलाइंस की फ्लाइट 1907 (इल्युशिन Il-76) उसी समय दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर उतरने के लिए आ रही थी। दोनों ही विमान अपने-अपने रास्तों पर थे, लेकिन चूक और गलतफहमी ने इस दुर्घटना को अंजाम दे दिया।

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आसमान में टकराए विमान, 349 जिंदगियां राख

इन दोनों विमानों में कुल मिलाकर 349 लोग सवार थे, जिनमें से कोई भी जीवित नहीं बच सका। हादसा इतना भयानक था कि घटनास्थल पर शवों की पहचान करना भी लगभग असंभव हो गया था। बाद में अस्पतालों में 298 शव पहुंचे, लेकिन उनमें से केवल 118 की ही पहचान हो सकी। बाकी शव या तो पूरी तरह से जल चुके थे या टुकड़ों में मिले, जिससे उन्हें अलग-अलग धर्मों के अनुसार सामूहिक रूप से अंतिम संस्कार करना पड़ा।

कैसे हुआ हादसा: सरकारी दस्तावेजों से समझिए

पूर्व सैन्य अधिकारी और मुस्लिम इंतजामिया कमेटी के प्रमुख कैप्टन मोहम्मद शरीफ के अनुसार, सऊदी एयरलाइंस की फ्लाइट संख्या 5VA-763 शाम 6:32 बजे दिल्ली से रवाना हुई थी। इसमें 312 यात्री और चालक दल के सदस्य थे, जिनमें से ज्यादातर भारतीय थे। कुछ रोज़गार की तलाश में थे, तो कुछ हज के लिए जा रहे थे।

 

दूसरी ओर, कजाकिस्तान की फ्लाइट KZA-1907 दिल्ली एयरपोर्ट से लगभग 74 किलोमीटर दूर थी जब उसने एयर ट्रैफिक कंट्रोल से संपर्क किया। उसे 15,000 फीट की ऊंचाई पर उड़ान भरने की इजाज़त मिली, जबकि उसी रूट पर सऊदी की फ्लाइट 14,000 फीट पर उड़ रही थी।

एक चूक ने ले ली जान

करीब 6:40 बजे, कजाकिस्तान के पायलट ने रिपोर्ट किया कि वह 15,000 फीट पर है, लेकिन असल में उसकी फ्लाइट अभी भी नीचे की ओर थी। जब कंट्रोलर ने उसे दोबारा कॉल किया, तो कोई उत्तर नहीं मिला। इधर सऊदी पायलट को भी सतर्क किया गया, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। दोनों विमान गलती से एक ही ऊंचाई पर आ गए थे जिसकी वजह से दोनों की टक्कर हो गई थी।

 

कजाकिस्तान की फ्लाइट का पिछला हिस्सा सऊदी फ्लाइट के बाएं विंग से टकरा गया था। टकराव के साथ ही एक जोरदार धमाका हुआ और सऊदी विमान में आग लग गई। विमान का नियंत्रण पायलट के हाथ से निकल गया और वह तेजी से नीचे गिरने लगा।

कई किलोमीटर में फैला मलबा

सऊदी विमान दो हिस्सों में टूटकर गांव दाणी फोगाट, पातुवास, खेड़ी सनवाल और टिकाण कलां के खेतों में बिखर गया, वहीं कजाकिस्तान का विमान बिरोहड़ गांव के पास आकर गिरा। सऊदी फ्लाइट का मलबा करीब तीन किलोमीटर के क्षेत्र में फैल गया। यह हादसा गांवों की आबादी से दूर हुआ था, इसलिए जमीन पर कोई नागरिक हताहत नहीं हुआ।

अधजली लाशें, बिखरे अंग

प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि हादसे की जगह का दृश्य दिल दहला देने वाला था। लाशें जलकर राख हो चुकी थीं, शरीर के अंग इधर-उधर बिखरे पड़े थे। स्थानीय लोगों ने भी प्रशासन की मदद की और शवों को एकत्र किया गया। विदेशी मुद्रा तक मलबे में बिखरी मिली, जिसे बाद में सुरक्षित किया गया।

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3 दिनों तक चला सर्च ऑपरेशन

शवों और विमान के मलबे को हटाने में टीमों को 72 घंटे से भी अधिक का समय लगा। 14 नवंबर की रात तक अस्पताल में 298 शव पहुंच चुके थे। इनमें 118 की शिनाख्त कर उनके परिजनों को सौंपा गया। बाकी बचे 231 शवों की पहचान नहीं हो सकी थी।

कुछ को जलाया कुछ को दफनाया

जिन शवों की पहचान नहीं हो सकी, उन्हें तीन धर्मों—हिंदू, मुस्लिम और ईसाई—में बांटकर सामूहिक अंतिम संस्कार किया गया। जेसीबी मशीनों से बड़े गड्ढे खोदे गए। मुस्लिम और ईसाई शवों को दफनाया गया, जबकि हिंदू शवों का अंतिम संस्कार किया गया। यह क्रिया चरखी दादरी के चिड़िया मोड़ स्थित पुराने कब्रिस्तान में की गई, जो आज भी उस हादसे की याद संजोए हुए है।

सबसे ज्यादा भारतीय

चरखी दादरी के कब्रिस्तान में एक बोर्ड लगाया गया है, जिसमें मृतकों की राष्ट्रीयता दर्ज है। भारत के 231 नागरिकों ने अपनी जान गंवाई, सऊदी अरब के 18, नेपाल के 9, पाकिस्तान के 3, अमेरिका के 2, जबकि यूके और बांग्लादेश के एक-एक व्यक्ति की मृत्यु हुई। भारतीय मृतकों में उत्तर प्रदेश के 80, बिहार के 48, राजस्थान के 46, दिल्ली के 15, केरल के 13, जम्मू-कश्मीर के 9, पंजाब के 7, महाराष्ट्र और आंध्र प्रदेश के 3-3, हरियाणा, असम और मध्य प्रदेश के 2-2 नागरिक शामिल थे। 

आज भी मनाई जाती है बरसी

कैप्टन मोहम्मद शरीफ बताते हैं कि हर साल 12 नवंबर को इस दर्दनाक हादसे की बरसी पर श्रद्धांजलि कार्यक्रम आयोजित करने की योजना बनाई जाती है। कुछ साल पहले अमेरिका से एक महिला भी आई थी, जिसकी दोस्त इस हादसे में मारी गई थी। सरकार से अनुरोध कर अब कब्रिस्तान की देखभाल और बरसी आयोजन की औपचारिक स्वीकृति मांगी जाती है।

 

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