द रेजिस्टेंस फ्रंट (TRF) को अमेरिका ने आतंकी समूह घोषित कर दिया है। 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 25 हिदुंओं समेत कुल 26 लोगों की हत्या आतंकियों ने धर्म के नाम पर की थी। हमले की जिम्मेदारी टीआरएफ ने ली थी। यह समूह पाकिस्तान में स्थित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा का ही हिस्सा है। अमेरिका के इस कदम से पाकिस्तान को करारा झटका लगा है। मगर टीआरएफ को अमेरिका की आतंकी सूची में शामिल कराना इतना आसान नहीं था। इसके पीछे विदेश सचिव विक्रम मिसरी का एक प्लान है, जिसके बाद ही अमेरिका ने टीआरएफ के खिलाफ एक्शन लिया है।
विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने 27 से 29 मई तक अमेरिकी की यात्रा की थी। उन्होंने अमेरिकी विदेश विभाग को टीआरएफ का काला चिट्ठा सौंपा। इसके अलावा एक डोजियर न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र 1267 समिति को भी दिया ताकि आतंकी संगठन पर बैन लगाने का रास्ता खुल सके। अमेरिका ने इस डोजियर का न केवल संज्ञान लिया बल्कि टीआरएफ के खिलाफ कार्रवाई भी की। गुरुवार को डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन ने टीआरएफ को आतंकी घोषित करने की अधिसूचना जारी की।
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काम नहीं आया मुनीर का लंच
पिछले महीने पाकिस्तान के सेना प्रमुख आसिम मुनीर ने अमेरिका की यात्रा की थी। यहां उन्होंने डोनाल्ड ट्रंप के साथ लंच किया और उन्हें नोबेल पुरस्कार देने की सिफारिश की। मगर पाकिस्तान की यह कूटनीति भी काम नहीं आई। अमेरिका ने टीआरएफ के खिलाफ एक्शन लेने के बाद पाकिस्तान को स्पष्ट संदेश दिया है कि आतंकवाद के मामले में उसे कोई राहत नहीं मिलेगी।
कौन है टीआरएफ सगरना सज्जाद गुल?
श्रीनगर के एचएमटी इलाके का रहने वाला सज्जाद गुल टीआरएफ का सरगना है। पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई का समर्थन उसे प्राप्त है। मौजूदा समय में सज्जाद पाकिस्तान के रावलपिंडी में रहता है। भारत ने उसे यूएपीए के तहत आतंकी घोषित कर रखा है। जम्मू-कश्मीर में आतंकियों को तैयार करना, कट्टरपंथ को फैलाना, साजिश रचना और मामलों को अंजाम देने में सज्जाद की भूमिका सबसे अहम है।
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आतंकी सज्जाद को हुई थी 10 साल की सजा
सज्जाद गुल की शुरुआती पढ़ाई श्रीनगर में हुई। इसके बाद उसने केरल से लैब टेक्नीशियन और बेंगलुरु से एमबीए की पढ़ाई की। श्रीनगर में डायग्नोस्टिक लैब चलाने वाला सज्जाद गुल जल्द ही लश्कर-ए-तैयबा का मददगार बन गया। दिल्ली पुलिस ने पांच किलो आरडीएक्स के साथ सज्जाद को निजामुद्दीन रेलवे स्टेशन से पकड़ा था। वह दिल्ली में बम धमाकों की साजिश रच रहा था। साल 2003 में सज्जाद और उसके दो अन्य साथियों को 10 साल की सजा हुई।
आईएसआई ने रची गहरी साजिश
सजा पूरी होने के बाद सज्जाद गुल को जेल से रिहा कर दिया गया। इसके बाद वह 2017 में अपने परिवार के साथ पाकिस्तान चला गया। पुलवामा आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान की कुख्यात खुफिया एजेंसी आईएसआई ने 2019 में सज्जाद को टीआरएफ का सरगना बनाया, ताकि दुनिया को यह दिखाया जा सके कि आतंकवाद जम्मू-कश्मीर में लोकल स्तर पर ही पनप रहा है। पिछले छह साल में टीआरएफ जम्मू-कश्मीर में कई आतंकी घटनाओं को अंजाम दे चुका है। कई टारगेट किलिंग में भी यह आतंकी संगठन शामिल रहा है।