भारत एक कृषि प्रधान देश है लेकिन भारत के किसान गरीब हैं। भारत के किसान महीने में औसतन 10 हजार रुपये ही कमा पाते हैं। इस कमाई में मजदूरी, फसल से होने वाली कमाई, जमीन से मिलने वाला किराया और जानवरों से होने वाली कमाई भी शामिल है। अगर सिर्फ फसलों से होने वाली कमाई की बात की जाए तो यह आंकड़ा और नीचे आ जाता है। पूरे देश के किसानों का औसत निकाला जाए तो भारत के किसान सिर्फ खेती से हर महीने औसतन 3798 रुपये ही कमा पाते हैं। इससे ज्यादा कमाई मनरेगा या अन्य मजदूरी करने वाले मजदूर भी कर लेते हैं।
भारत में गरीबी मापने का के लिए तेंदुलकर पावर्टी थ्रेशहोल्ड का इस्तेमाल किया जाता है। इसके हिसाब से अगर कोई शख्स हर दिन 33 रुपये (शहरी क्षेत्र में) या 27 रुपये (ग्रामीण क्षेत्र) में कमा ले रहा है तो उसे गरीब नहीं माना जाएगा। यानी शहरी क्षेत्र में हर महीने लगभग 990 रुपये और ग्रामीण क्षेत्र में 810 रुपये कमाने वाले शख्स को गरीब नहीं माना जाएघा। सरकारी आंकड़ो के हिसाब से अगर सिर्फ खेती से होने वाली आय देखी जाए तो कुछ राज्य इसी आंकड़े के बिल्कुल पास में हैं।
कितना कमा रहे हैं किसान?
केंद्रीय कृषि मंत्रालय के मुताबिक, ओडिशा के किसान हर महीने 1569 रुपये, पश्चिम बंगाल के किसान 1547 रुपये और झारखंड के किसान 1102 रुपये ही हर महीने कमा पाते हैं। हम महीने की कमाई के मामले में सबसे आगे मेघालय के किसान हैं जो हर महीने सिर्फ खेती से औसतन 21,060 रुपये कमाते हैं। दूसरे नंबर पर पंजाब के किसान हैं जिनकी खेती से औसत कमाई 12597 रुपये मासिक है। पूरे देश की बात करें तो सभी राज्यों को मिलाकर सिर्फ खेती से होने वाली कमाई सिर्फ 3798 रुपये है। इसका मतलब है कि देश का एक किसान एक महीने में खेती से सिर्फ 3798 रुपये ही कमा रहा है।
अगर इसी कमाई में मजदूरी, जमीन से मिलने वाले किराए, पशुपालन और गैर खेतिहर व्यापार से होने वाली कमाई भी जोड़ ली जाए तो यह आंकड़ा थोड़ा बढ़ जाता है। तब राष्ट्रीय औसत 3798 रुपये से बढ़कर 10218 रुपये हो जाता है। इस मामले में सबसे पीछे झारखंड है। झारखंड के किसानों की कुल मासिक कमाई 4895 रुपये ही है। वहीं, सबसे ज्यादा कमाई के मामले में मेघालय (29348 रुपये) और पंजाब (26701 रुपये) आगे हैं।
कितना है किसानों का कर्ज?
देश के ज्यादातर किसान फसल की बुवाई, खेत की सिंचाई, बीज खरीदने, फसल की कटाई कराने या बिजली के बिल चुकाने जैसी जरूरतों को पूरा करने के लिए कर्ज लेते हैं। इस तरह से हर किसान परिवार पर औसतन 74121 रुपये का कर्ज है। प्रति परिवार कर्ज के मामले में सबसे आगे आंध्र प्रदेश है। आंध्र प्रदेश के हर किसान परिवार पर औसतन 2.45 लाख रुपये का कर्ज है। वहीं, केरल में यह 2.42 लाख, पंजाब में 2.03 लाख, हरियाणा 1.82 लाख और तेलंगाना में 1.52 लाख है। सबसे कम कर्ज नागालैंड और अरुणाचल प्रदेश के किसानों पर है। प्रति परिवार कर्ज अरुणाचल प्रदेश में 3581 रुपये, झारखंड में 8415 रुपये, नागालैंड में 1750 रुपये और और मेघालय में 2237 रुपये है।
देश के लगभग 50.2 प्रतिशत किसान कर्ज में हैं। सबसे ज्यादा 93.2 पर्सेट किसान अरुणाचल के हैं जो कर्ज में हैं। वहीं, तेलंगाना के 91.7 पर्सेंट, केरल के 69.9 पर्सेंट, कर्नाटक के 67.6 पर्सेंट, राजस्थान के 60.3 पर्सेंट और तमिलनाडु के 65.1 प्रतिशत किसान परिवार कर्ज में हैं। सबसे कम किसान नागालैंड के ऐसे हैं जो कर्ज में हैं। नागालैंड के सिर्फ 6 पर्सेंट किसानों पर कर्ज है।
ये सभी आंकड़े साल 2019 के जनवरी महीने से दिसंबर 2019 के बीच कराए गए सिचुएशन असेसमेंट सर्वे (SAS) के हैं। यह सर्वे मिनिस्ट्री ऑफ स्टैटिस्टिक्स एंड प्रोग्राम इम्प्लीमेंटेशन (MoSPI) के तहत आने वाले नेशनल सैंपल सर्वे ऑफिस (NSSO ) ने किया था।