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चमकता शहर जो बन गया खंडहर, क्या है हम्पी के विनाश की कहानी?

जिस विजयनगर की दुनिया में बोलती थी तूती, कैसे वह बन गया खंडहरों का शहर? पढ़िए पूरी कहानी।

Vijayanagara Empire

हम्पी शहर अब खंडहर में तब्दील हो गया है। (इमेज क्रेडिट- wikipedia.org)

तुंगभद्रा नदी के किनारे बसा पम्पा क्षेत्र, जितना पौराणिक है, उतना ही सुंदर और भव्य यहां की प्रकृति है। यह वही भूमि है, जहां भगवान शिव की अर्धांगिनी पार्वती के एक रूप पम्पा ने तपस्या की थी। यह भगवान राम के सेवक वानरराज सुग्रीव की नगरी भी है। इसे भास्कर क्षेत्र भी कहते हैं। धरती के पांच सरोवरों में से एक सरोवर पम्पा भी है। मानसरोवर, नारायाण, पुष्कर, बिंदु और पम्पा सरोवर। इसी पम्पा के नाम से प्रभावित नाम हम्पी है। 

हम्पी शहर, दुनिया के सबसे प्राचीन और समृद्ध शहरों में से एक है। यह वही क्षेत्र है, जहां रामायण के मुताबिक शबरी ने राम की प्रतीक्षा की थी। इस शहर का जिक्र रामायण से लेकर महाभारत तक में मिलता है। यह क्षेत्र अपने संपन्नता के शीर्ष पर तब पहुंचा जब महान विजयनगर सम्राज्य की नींव पड़ी।
 

विजयनगर साम्राज्य के प्रताप की कहानी, तुंगभद्रा नदी के किनारे बसे खंडहर आज भी कह रहे हैं। जगह-जगह बलुए पत्थरों से निर्मित खंडहर बताते हैं कि कभी यह नगर कितना समृद्ध रहा होगा। यहां प्राचीन चट्टानें हैं, आकर्षक पत्थर हैं, टूटे किले हैं, चबूतरे हैं और ऐसी कलाकृतियां हैं, जो किसी दूसरे लोक में पहुंचा देती हैं। यह साम्राज्य अपने विकास के चरम पर 1336 से लेकर 1565 तक के बीच में रहा है।

भारत के महान शासकों ने यहां किया है राज्य

यहां शल्व, तुलुवा, अराविदु और पल्लव, चालुक्य और चोल राजवंश ने राज किया है। हर वंश ने यहां की समृद्धि बढ़ाई। विजयनगर साम्राज्य, संसार के सबसे धनी राज्यों में से एक हुआ। 14वीं शताब्दी तक विजयनगर साम्राज्य का दबदबा रहा लेकिन फिर मुस्लिम शासकों के आक्रमणों में इस नगरी की चमक, हमेशा के लिए खो गई। यहां करीब 200 वर्षों तक अलग-अलग राजवंशों ने शासन किया।

 

विजयनगर साम्राज्य के राजाओं ने भव्य मंदिर बनवाए, साम्राज्य विस्तार किया लेकिन अपने पड़ोसी राजाओं के षड्यंत्रों से हार गए। 1565 तक पड़ोसी राज्यों की साजिशों में दबकर यह शहर पूरी तरह से मिट गया था। यहां सिर्फ निशानियां बची थीं। यहां आक्रमणकारियों ने कब्जा नहीं किया, महल जला दिया, इमारतों को तोड़ दिया, अब सिर्फ यहां अतीत के दंश दिखते हैं लेकिन उनसे ही यह इशारा मिल जाता है कि यह नगरी कितनी भव्य रही होगी। 

सोर्स- wikipedia.org

कैसे दुनिया के सामने आई हम्पी की भव्यता?
1565 ईस्वी तक हम्पी शहर वीरान हो गया था। विजयनगर साम्राज्य नष्ट हो चुका था। 300 साल तक यहां सिर्फ पत्थर-खंडहरों का बसेरा रहा। सन 1800 में अंग्रेज इंजीनियर कर्लन कोलिन मैकनीज ने इस इलाके में दस्तक दी। उशने पूरे इलाके का एक नक्शा तैयार किया। साल 1856 तक इसकी तस्वीरें खींची जा चुकी थीं। अलग-अलग टुकड़ों में बंटे मंदिरों को ढूंढ लिया गया था। तेलगू, कन्नड़, तमिल और संस्कृत में दर्ज दस्तावेजों को इतिहासकारों ने खंगाला और विजयनगर साम्राज्य के बारे में पड़ताल की। 

किसने रखी थी विजयनगर साम्राज्य की नींव?
विजयनगर साम्राज्य की स्थापना हरिहर और बुक्का नाम के दो भाइयों ने 1336 ईस्वी में की थी। इस साम्राज्य में अलग-अलग भाषाओं को बोलने वाले लोग थे। वे अलग-अलग संप्रदायों में बंटे हुए थे। इस शहर के दक्षिणी हिस्से में दक्कन के सुल्तानों का शासन थआ, वहीं ओडिशा में गजपति राजवंश के राजाओं का शासन था। यह शहर, प्राकृतिक रूप से भी समृद्ध था और व्यापार का केंद्र भी था। विजयनगर के संस्थापकों ने स्थापत्य कला पर काम किया और अपने पड़ोसी राज्यों को भी पीछे छोड़ दिया।

इमेज सोर्स- wikipedia.org

इतिहासकारों का एक धड़ा कहता है कि यह कर्नाटक साम्राज्य था, न कि विजयनगर साम्राज्य लेकिन अतीत के निशान बताते हैं कि विजयनगर साम्राज्य, अपने आप में संपूर्ण था। इस साम्राज्य पर राज करने वाला पहला राजवंश संगम राजवंश कहलाता है। संगमों का राज 1485 तक रहा। इन्हें सुल्वों ने मिलकर हरा दिया था, वे 1503 तक शासन में बने रहे। उन्हें तुलुवा राजवंश ने हटा दिया। कृष्णदेव राय इसी वंश से आते थे। 

 

कैसे खत्म हो गया था विजयनगर साम्राज्य?
तुंगभद्र और कृष्णा नदी के बीच राज्यों की ओर से इस साम्राज्य पर कई बार हमले हुए। रायचूर दोआब भी युद्ध का मैदान बना। कृष्णदेव राय इस साम्राज्य के सबसे ताकतवर राजा थे। उन्होंने 1509 से लेकर 1529 तक राज किया था। वे कवि भी थे। उन्होंने उस वक्त की संस्कृति पर भी बहुत कुछ लिखा। अमुक्तमाल्यदा में उन्होंने राजा के कर्तव्यों के बारे में लिखा है। उनके निधन के बाद से ही यह साम्राज्य लड़खड़ाने लगा था। कृष्णदेव राय ने अपने राज्य में खूब मंदिर बनवाए। उन्होंने दक्षिण भारतीय मंदिरों का शिल्प बदल दिया था। कृष्णदेव राय के वंशज आक्रमाणकारियों से हारते चले गए। उन्हें नायकों ने कड़ी चुनौतियां दी।

 

1542 तक, राज्य का नियंत्रण अराविडू राजवंश के पास आ गया था।  17वीं शताब्दी तक इसी राजवंश का कब्जा रहा। 1565 में विजयनगर के सेनापति राम राय और बीजापुर की सेना के बीच जमकर लड़ाई तिलकोटा में हुई। इस सेना में बीजापुर, अहमदनगर और गोलकोंडा की सेनाएं शामिल थीं। इन्होंने मिलकर विजयनगर साम्राज्य में जमकर हिंसा मचाई। कई दिनों तक महल जलते गए। 6 महीने तक लूट मची। लोगों को लूटा-खसोटा गया। लोग पूरा इलाका छोड़कर भाग गए।

इमेज सोर्स- wikipedia.org

 

साम्राज्य अराविडु राजा शासन करते रहे। वे पेनुकोंडा और चंद्रगिरि से राजकाज देखने लगे। विजयनगर को तबाह मुस्लिम सेनाओं ने किया था। यह वही समय था, जब यमन साम्राज्य को मान्यता मिल गई थी। एक समृद्ध राज्य ध्वस्त हो चुका था। आजादी के बाद भारतीय पुरातत्व विभाग ने इस इलाके के कई हिस्सों में खुदाई कराई। कई प्राचीन मंदिर और इमारतें मिलीं।  विजयनगर इलाके में कंपली साम्राज्य के भी अंश दिखते हैं। तुंगभद्रा के तटों पर करीब 26 वर्ग किलोमीटर में फैले इस साम्राज्य के पुराने अवशेष नजर आते हैं।

 

क्या है हम्पी का पौराणिक महत्व?
पौराणिक मान्यता है कि जिस जगह पर हम्पी है, वहां कभी किष्किंधा साम्राज्य हुआ करता था। वानरों के राजा बालि और सुग्रीव का यही राज्य था। भगवान राम और लक्ष्मण, सीता हरण के बाद यहीं ठहरे हुए थे। यहां हजारा राम मंदिर भी है, जो लोगों के आकर्षण का केंद्र है। इसके अलावा हम्पी में विरुपाक्ष मंदिर भी है, जो अपने शिल्प के लिए दुनिया में जाना जाता है। आज जहां विजयनगर साम्रज्य के खंडहर दिखते हैं, वहां कभी समृद्ध महल थे, जिन्हें आक्रमणकारियों ने नष्ट कर दिया।

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