लद्दाख में भारत और चीन सीमा पर जारी विवाद फिलहाल शांत होता दिख रहा है। दोनों देशों के बीच हुए समझौते के बाद भारत और चीन की सीमाएं विवादित इलाकों से पीछे हटने लगी हैं। सेना से जुड़े सूत्रों के मुताबिक, दोनों देशों की सेनाओं का पीछे हटना पूरा हो गया है। देपसांग और देमचोक में यह काम पूरा होने के बाद दोनों ही तरफ पेट्रोलिंग भी की जाएगी। शांति की इस पहल के पूरा होने की खुशी में दिवाली के मौके पर दोनों देश एक-दूसरे को मिठाई भी खिलाएंगे। यह भी कहा गया है कि ग्राउंड कमांडर स्तर के अधिकारी इश मुद्दे पर बातचीत जारी रखेंगे।
सेना से जुड़े सूत्रों के मुताबिक, दोनों देशों की सेनाओं के पीछे हटने के बाद वेरिफाई किया जा रहा है। वेरिफेकिशन का काम पूरा होते ही दोनों देशों के ग्राउंड कमांडर्स पेट्रोलिंग के बारे में योजना बनाएंगे। दोनों देश आपसी सहमति से ही पेट्रोलिंग करेंगे। यह भी कहा गया है कि ब्रिगेडियर या उससे नीचे की रैंक के अधिकारी ग्राउंड कमांडर हैं। इससे पहले, 21 अक्तूबर को भारत ने ऐलान किया था कि दोनों देशों ने पेट्रोलिंग को लेकर समझौता किया है और अब दोनों के जवान उन पोजीशन पर लौट जाएंगे जहां वे 2020 में विवाद होने से पहले तैनात थे।
इस समझौते के तहत दोनों देशों ने उन ढाचों को भी नष्ट कर दिया है जो विवाद के बाद सेनाओं ने खड़े किए थे। समझौते के बाद सैटलाइट से ली गई तस्वीरों में देखा गया था कि चीन की तरफ इन ढांचों को गिराया जाने लगा था। 11 अक्तूबर की सैटलाइट तस्वीरों में जो ढांचे दिख रहे थे, 25 अक्तूबर की तस्वीरों में उन्हें हटाया जा चुका था। अब कहा जा रहा है कि ढांचों को ढहाने और इलाके को खाली करने की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है।
क्या है पूरा विवाद?
लंबे समय से भारत और चीन की सीमा लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (LAC) की लद्दाख में स्थिति को लेकर विवाद होता आ रहा है। ताजा विवाद साल 2020 में शुरू हुआ जब चीन की सेना ने यहां अपनी गतिविधि शुरू कर दी। गलवान घाटी में दोनों देशों की सेनाओं में भीषण झड़प भी हुई थी जिसमें दोनों देशों के सैनिकों की जान भी गई थी। इसके बाद दोनों देशों में तनाव ऐसा बढ़ गया कि भारत ने भी कई जगहों पर अपने सैनिक तैनात कर दिए। इसी को लेकर दोनों देशों के बीच लंबे समय से बातचीत चल रही थी और अब जाकर यह बातचीत नतीजे पर पहुंच पाई है।
हाल ही में रूस में हुए BRICS सम्मेलन से ठीक पहले भारत और चीन के बीच यह समझौता हुआ था। इस सम्मेलन के दौरान ही भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मुलाकात हुई थी। दोनों नेताओं ने पूर्वी लद्दाख के मुद्दे पर हुए इस समझौते का स्वागत किया था।