राजस्थान की धरती से सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने शुक्रवार पाकिस्तान को कड़ी चेतावनी दी है। उन्होंने कहा कि भारत इस बार पूरी तरह से तैयार है। अब हम इस बार ऑपरेशन सिंदूर के दौरान दिखाए गए संयम को नहीं बरतेंगे। अगर पड़ोसी देश दुनिया के मानचित्र में अपनी जगह कायम रखना चाहता है तो उसे अपनी जमीन से आतंकवाद को बढ़ावा देना बंद करना होगा।
सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी राजस्थान के श्रीगंगानगर जिले के अनूपगढ़ पहुंचे। सैनिकों को संबोधित करते हुए कहा कि भारत पूरी तरह से तैयार है। अबकी बार ऑपरेशन सिंदूर के समय दिखाया गया संयम दोहराया नहीं जाएगा। इस बार एक कदम आगे बढ़ते हुए ऐसी कार्रवाई करेंगे कि पाकिस्तान को सोचना पड़ेगा कि वह दुनिया के नक्शे पर रहना चाहता है या नहीं।
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'तैयार रहो, भगवान ने चाहा तो जल्द मौका आएगा'
सेना प्रमुख ने सभी सैनिकों से तैयार करने को कहा है। उन्होंने कहा कि अभी से पूरी तरह तैयार रहो। अगर भगवान ने चाहा तो मौका जल्द ही आएगा। उन्होंने आगे कहा कि अगर पाकिस्तान नक्शे में रहना चाहता है तो उसे राज्य प्रायोजित आतंकवाद को रोकना होगा।
'सात ठिकानों पर थलसेना ने किया था हमला'
सेना प्रमुख उपेंद्र द्विवेदी ने बताया कि पूरी दुनिया को पाकिस्तान में मौजदू आतंकी ठिकानों के सबूत सौंपे गए थे। अगर भारत ऐसा नहीं करता तो पाकिस्तान सबकुछ छिपा लेता। भारत की सेना ने कुल नौ ठिकानों पर हमला किया था। इनमें से सात पर थलसेना और दो वायुसेना ने हमला किया था।
आम पाकिस्तानी से कोई शिकायत नहीं: सेना प्रमुख
ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारतीय सेना ने पाकिस्तान में सिर्फ आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया था। जबकि पाकिस्तान की सेना ने भारतीय सैन्य ठिकानों पर हमला करने की कोशिश की थी। अब जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने बताया कि पाकिस्तान में सिर्फ आतंकवादियों को नुकसान पहुंचाना हमारा लक्ष्य था। इस वजह से उनके ठिकानों की पहचान की गई थी। पाकिस्तान के आम लोगों से कोई शिकायत नहीं है, बशर्ते उनका देश आतंकवादियों को प्रायोजित न करे। हालांकि आतंकियों को प्रायोजति किया जा रहा है, इस वजह से उनके ठिकानों पर हमला किया गया।
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'आने वाला संघर्ष सिर्फ सेना का नहीं होगा'
अंतरराष्ट्रीय सीमा के पास रहने वालों लोगों से सेना प्रमुख ने खास अपील की। जब उनसे इसके बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि सीमा पर रहने वालों को हम आम नागरिक नहीं, बल्कि सैनिक मानते हैं। आने वाला संघर्ष सिर्फ सेना का नहीं होगा। यह पूरे देश का संघर्ष होगा। इतिहास गवाह है कि 1965 और 1971 के युद्धों में आम लोगों ने सैनिकों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर साथ दिया। हम चाहते हैं कि वे हमारे साथ जुड़ें। मैं उनका शुक्रिया अदा करना चाहता हूं। उनका जोश हमारे सैनिकों का मनोबल बढ़ाता है।